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ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ नहीं - उत्तरकाशी न्यूज

लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने साल 2015 में ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री धाम से जोड़ने के लिए 45 किमी सड़क का सर्वे किया था. लेकिन ये प्रोजेक्ट 5 साल बीत जाने के बाद भी अधूरा पड़ा है.

Uttarkashi
ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग प्रोजेक्ट
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Published : Jun 25, 2020, 9:15 AM IST

Updated : Jun 25, 2020, 10:21 AM IST

उत्तरकाशी: लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने साल 2015 में ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री धाम से जोड़ने के लिए करीब 45 किलोमीटर सड़क का निरीक्षण किया था. इसके आधार पर यहां पिलर भी लगाए गए. लेकिन सर्वे की फाइलें ठंडे बस्ते में जाने के बाद ये निर्माण अधर में लटक गया है. वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है, कि सड़क निर्माण की फाइलें वन भूमि हस्तांतरण के पेंच में फंसी हुई हैं. ऐसे में प्रशासन की हीलाहवाली को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों को चारधाम यात्रा रूट से जुड़ने के लिए अभी और इंतजार करना होगा.

ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग प्रोजेक्ट

बता दें, कि लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने साल 2015 में ज्ञानूसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री धाम से जोड़ने का प्रस्ताव शासन को भेजा था. शासन से पहले चरण की मंजूरी मिलते ही लोक निर्माण विभाग ने स्यानाचट्टी तक लगभग 45 किलोमीटर तक की सड़क निर्माण का सर्वे किया था. इसके बाद पिलर बनाने का काम किया गया. लेकिन 5 साल गुजर जाने के बाद भी ये प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. ग्रामीणों ने इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा कराने की मांग की है.

ये भी पढ़ें: हरेला पर्व: उत्तराखंड की राजनीति में छाया वन विभाग के प्रमुख का ये पत्र, कांग्रेस-बीजेपी दोनों ने किया विरोध

वहीं, करीब 10 से 20 गांव के ग्रामीण इस सड़क मार्ग का चारधाम यात्रा रूट से जुड़ने का सपना देख रहे हैं. वरुणाघाटी के ग्रामीणों का कहना है, कि इस मामले में कई बार लोक निर्माण विभाग से पत्राचार किया गया. विभाग ने मामले का संज्ञान अभी तक नहीं लिया है. गंगोत्री विधायक गोपाल रावत का कहना है, कि उपरिकोट से आगे 3 किलोमीटक तक सड़क स्वीकृत हुई है. लेकिन ये मामला दो विधानसभा क्षेत्रों और वन प्रभाग के बीच फंसा है.

उत्तरकाशी: लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने साल 2015 में ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री धाम से जोड़ने के लिए करीब 45 किलोमीटर सड़क का निरीक्षण किया था. इसके आधार पर यहां पिलर भी लगाए गए. लेकिन सर्वे की फाइलें ठंडे बस्ते में जाने के बाद ये निर्माण अधर में लटक गया है. वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है, कि सड़क निर्माण की फाइलें वन भूमि हस्तांतरण के पेंच में फंसी हुई हैं. ऐसे में प्रशासन की हीलाहवाली को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों को चारधाम यात्रा रूट से जुड़ने के लिए अभी और इंतजार करना होगा.

ज्ञानसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग प्रोजेक्ट

बता दें, कि लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने साल 2015 में ज्ञानूसू-साल्ड-उपरिकोट मोटर मार्ग को यमुनोत्री धाम से जोड़ने का प्रस्ताव शासन को भेजा था. शासन से पहले चरण की मंजूरी मिलते ही लोक निर्माण विभाग ने स्यानाचट्टी तक लगभग 45 किलोमीटर तक की सड़क निर्माण का सर्वे किया था. इसके बाद पिलर बनाने का काम किया गया. लेकिन 5 साल गुजर जाने के बाद भी ये प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. ग्रामीणों ने इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा कराने की मांग की है.

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वहीं, करीब 10 से 20 गांव के ग्रामीण इस सड़क मार्ग का चारधाम यात्रा रूट से जुड़ने का सपना देख रहे हैं. वरुणाघाटी के ग्रामीणों का कहना है, कि इस मामले में कई बार लोक निर्माण विभाग से पत्राचार किया गया. विभाग ने मामले का संज्ञान अभी तक नहीं लिया है. गंगोत्री विधायक गोपाल रावत का कहना है, कि उपरिकोट से आगे 3 किलोमीटक तक सड़क स्वीकृत हुई है. लेकिन ये मामला दो विधानसभा क्षेत्रों और वन प्रभाग के बीच फंसा है.

Last Updated : Jun 25, 2020, 10:21 AM IST
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