उत्तरकाशीः उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस से एक दिन पूर्व राज्य आंदोलनकारी जिला कलक्ट्रेट परिसर में अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो दोबारा जल-जंगल-जमीन के मुद्दों के साथ पहाडों में उग्र आंदोलन किया जाएगा. क्योंकि, राज्य के लिए शहादत देने वाले शहीदों ने पहाड़ी राज्य की परिकल्पना की थी. जो अभी तक पूरी तरह साकार नहीं हो पाई है.
सोमवार को चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों ने कलक्ट्रेट परिसर में अपनी 9 सूत्रीय मांगों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण कानून समेत सरकारी नौकरियों में मूल निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को लागू करने एवं राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन को 15 हजार करने, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आंदोलनकारियों को 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर प्रदेश सरकार राज्य स्थापना दिवस पर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वो शहर की बजाए बजाय जंगलों में जाकर आंदोलन करेंगे.
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जल-जंगल-जमीन के मुद्दे को लेकर मुखरः चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि जिस सपने को लेकर उन्होंने पृथक पहाड़ी राज्य की लड़ाई लड़ी थी, वो सपना आज भी अधूरा है. राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई है. इसलिए अब दोबारा पहाड़ी प्रदेश की मूल अवधारणा के साथ जल-जंगल-जमीन के साथ आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.