उत्तरकाशी: भारत चीन सीमा पर सुरक्षा में चूक (Security lapse on India China border) देखने को मिल रही है. यहां 15 दिनों के भीतर सीमा की अग्रिम चौकियों पर दो व्यक्ति पकड़े गए हैं. दोनों व्यक्तियों के पास सीमा क्षेत्र में जाने का किसी भी प्रकार का कोई अनुमति पत्र नहीं था. जबकि, सीमा क्षेत्र में जाने के लिए स्थानीय निवासियों को भी प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ती है.
चीन सीमा से लगा सीमांत जनपद उत्तरकाशी (Uttarkashi border district bordering China) है. यहां गंगोत्री हाईवे (Gangotri Highway) पर भैरव घाटी से आगे नेलांग की ओर जाने के लिए प्रशासन से इनर लाइन परमिट (inner line permit) लेना पड़ता है. इसके बाद यहां जाने वाले व्यक्ति की सीमा क्षेत्र की विभिन्न चौकियों पर सघन चेकिंग होती है. यहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी चाक चौबंद रहती है कि अवैध रूप से कोई भी व्यक्ति यहां प्रवेश नहीं कर सकता, लेकिन पिछले एक माह से यहां सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही नजर आ रही है.
बीते करीब 15 दिनों पहले सीमा की अग्रिम चौकी नीला पानी में एक युवक अवैध रूप से भ्रमण करता हुआ पकड़ा गया था. पकड़े गए व्यक्ति के पास सीमा पर जाने के लिए कोई भी अनुमति पत्र नहीं था. तब सेना ने इसे पुलिस को सौंपा था. जहां इसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया गया था. वहीं, रविवार को फिर सेना ने अग्रिम चौकी सोनम पर एक व्यक्ति को पकड़ा है. उक्त व्यक्ति के पास भी यहां तक आने के लिए कोई दस्तावेज नहीं था.
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पुलिस का कहना है कि उक्त व्यक्ति बिहार का है. परिजनों ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताया है. खास बात यह है कि प्रशासन भी सीमा पर निश्चित क्षेत्र तक के लिए अनुमति देता है. सोनम तक जाने की अनुमति केवल सेना, आईटीबीपी, गंगोत्री नेशनल पार्क व प्रशासन को ही है. ऐसे में सीमा के अति संवेदनशील क्षेत्र तक बिना अनुमति के पहुंचना सीमा की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है.
भैरों घाटी में पहली चेकिंग चौकी है. यहां परमिट चेक किया जाता है. नेलांग में भी चेकिंग की जाती है. जादुंग व नेलांग से आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. आरएन पांडे, उप निदेशक, गंगोत्री नेशनल पार्क. प्रशासन केवल नेलांग व जादुंग तक के लिए ही परमिट जारी करता है. इससे आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाती है.
सेना ने रविवार रात संदिग्ध व्यक्ति को पुलिस को सौंपा था. जिसे सोमवार को जिला न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय ने व्यक्ति के मानसिक परीक्षण कराने के लिए जिला चिकित्सालय को बोर्ड गठित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.