उत्तरकाशी: हर्षिल घाटी सेब के साथ ही केसर की खुशबू से महक रही है. जिला प्रशासन और उद्यान विभाग का केसर उत्पादन को लेकर हर्षिल घाटी के काश्तकारों के साथ किया प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है. वहीं, हर्षिल घाटी के काश्तकार भी केसर का अच्छा उत्पादन होने पर उत्साहित नजर आ रहा है. उद्यान विभाग की ओर से हर्षिल घाटी के किसानों को दिए केसर के बीज अब अंकुरित होने लगे हैं.
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आगामी 1 सप्ताह में काश्तकारों के पास हुए उत्पादन का आकलन और गुणवत्ता की जांच की जाएगी. अभी तक के रिजल्ट को देखते हुए अगर सब कुछ ठीक रहा, तो घाटी में केसर के उत्पादन को बढाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा. उद्यान सचल दल केंद्र हर्षिल प्रभारी विश्वास भंडारी ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार हर्षिल घाटी में जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर अनुकूल वातावरण को देखते हुए केसर उत्पादन के लिए कुछ काश्तकारों को केसर के बीज दिए गए थे.
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जिनका सकारात्मक परिणाम आने पर उसके बाद हर्षिल घाटी के मुखबा, हर्षिल, जसपुर, सुक्की, सहित आठ गांव में जिला योजना के तहत 39 काश्तकारों का चयन कर करीब 37 नाली भूमि पर केसर उत्पादन के लिए बीज दिए गए.जिसका उत्पादन शुरू हो चुका है. वहीं, केसर के सकारात्मक उत्पादन से हर्षिल घाटी के काश्तकार उत्साहित नजर आ रहे हैं. विश्वास भंडारी का कहना है कि एक सप्ताह बाद हर्षिल घाटी में केसर के उत्पादन की गुणवत्ता की जांच की जाएगी, उसके बाद परिणाम के आधार पर आगे कार्य किया जाएगा.
काश्तकारों का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार इस पर ध्यान देती है तो घाटी के काश्तकारों के लिए यह दूसरे रोजगार का नया आयाम साबित होगा. क्योंकि कई बार मौसम की बेरुखी के कारण सेब उत्पादन में काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ता है. जिसकी भरपाई केसर उत्पादन कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि केसर के उत्पादन के लिए हर्षिल में ठंडा वातावरण है और मिट्टी केसर उत्पादन के लिए उपयुक्त है.
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डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि है हर्षिल घाटी में केसर उत्पादन का प्रयोग अपनी सफलता की ओर है और काश्तकार भी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इसको देखते हुए जिला उद्यान विभाग से कहा गया है कि उत्पादन को बढ़ाने के लिए घाटी के काश्तकारों को प्रशिक्षण दिया जाए.जिससे भविष्य में काश्तकारों की आय का नया जरिया बन सके.