उत्तरकाशीः गंगोत्री ग्लेशियर और गंगोत्री नेशनल पार्क पर मानवीय गतिविधि और हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग उठने लगी है. इसी के तहत ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने कहा कि धाम से आगे मानवीय गतिविधियों को बंद कर दिया जाना चाहिए. इस बार हिमालय में काफी बर्फबारी हुई है. ऐसे में गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट खुलने से बर्फबारी से बने ग्लेशियर पिघल जाएंगे. वहीं, उन्होंने राज्यपाल से प्रदेश के हिमालयी ग्लेशियरों में मानवीय हलचलों पर रोक लगाने की मांग की.
शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए गंगोत्री ग्लेशियर हिमालय एवं हिमनदियां बचाओ अभियान दल की ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार और वन विभाग को हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के बजाय जिले के दूरस्थ गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए. दूरस्थ गांवों में पर्यटन और साहसिक खेलों की व्यवस्थाओं को उपलब्ध कराकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है.
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शांति ठाकुर ने कहा कि हिमालय जल के मुख्य स्रोत हैं. इस बार रिकार्ड तोड़ बर्फबारी से कई ग्लेशियर बने हैं. ऐसे में वन विभाग समय से पहले गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट पर्वतारोहियों के लिए खोलकर ताजा ग्लेशियरों को नुकसान पहुंचाना चाहती है. जो पूरी तरह से पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मामले को लेकर वो डीएम और गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक से मिलेंगी. साथ ही कहा कि प्रदेश के सभी ग्लेशियरों में मानवीय हलचल बढ़ाई गई तो उसका विरोध किया जाएगा.
वहीं, उन्होंने कहा कि राज्यपाल को लिखे पत्र में उन्होंने गंगोत्री धाम के लिए भैरों घाटी में ही बस अड्डे और पार्किंग का निर्माण कराने की मांग की है. भैरों घाटी से आगे धाम तक जाने के लिए वैष्णों देवी की तर्ज पर बैटरी वाहनों और डंडी कंडी की व्यवस्था की जानी चाहिए. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके. ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि गंगोत्री नेशनल पार्क के पास एक पक्के आश्रम का निर्माण किया गया है. जो पूरी तरह से अवैध है. इस तरह का कोई निर्माण कार्य करना पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ है.