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देवराना 'डांडा की जातर' में आस्था और संस्कृति का समागम, भक्तों ने किए रुद्रेश्वर देवता के दर्शन

उत्तरकाशी के रवांई क्षेत्र में अभी भी ग्रामीणों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहरों और परंपराओं को संजोए रखा है. आज भी यहां पारंपरिक परंपरा के कई उदाहरण देखने को मिल जाते हैं. जिसमें देवराना डांडा की जातर भी शामिल है. जहां रुद्रेश्वर महाराज के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ उमड़ती है. इस बार भी देवराना मंदिर परिसर में आयोजित मेले में आस्था और संस्कृति का समागम देखने को मिला. इस दौरान ग्रामीणों ने पारंपरिक परिधान पहनकर ढोल दमाऊं की थाप पर हारुल, रासौं और तांदी नृत्य किया.

Danda Devrana Fair in Uttarkashi
डांडा देवराना की जातर
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Published : Jul 4, 2023, 9:49 PM IST

Updated : Jul 4, 2023, 11:01 PM IST

देवराना 'डांडा की जातर' में आस्था और संस्कृति का समागम

उत्तरकाशीः रवांई घाटी के प्रसिद्ध देवराना डांडा की जातर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. देवराना पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर मन्नतें मांगी. जातर में आस्था के साथ रवांई की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली.

Devrana ki Jatar
देवराना मेले में उमड़ी भीड़

बता दें कि नौगांव ब्लॉक में करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर घने देवदार के जंगलों के बीच स्थित देवराना में हर साल असाढ़ महीने में 65 गांव के आराध्य रुद्रेश्वर महाराज का ऐतिहासिक मेला लगता है. जिसे स्थानीय भाषा में लोग 'डांडा की जातर' कहते हैं. यह रवांई घाटी का सबसे प्रसिद्ध मेला है. जिसमें रवांई, जौनपुर और जौनसार के हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
ये भी पढ़ेंः समृद्ध संस्कृति की पहचान है सेलकु, मायके आई ध्याणियों के लिए खास होता है यह मेला

इस बार भी तड़के चार बजे पुजारी संकित थपलियाल ने मंदिर के ऊपर बने लकड़ी के शेर पर चढ़ कर रुद्रेश्वर देवता की मूर्ती को दूध से स्नान करवा कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए. काफी संख्या में मेले का आनंद लेने पहुंची महिलाओं ने देव डोली के साथ लोक नृत्य किया. मेले के दौरान गढ़ गांव के हुड़की वादकों ने रुद्रेश्वर की गाथा सुनाई. जिन्हें पुजारी ने उपहार के रूप में अंग वस्त्र भेंट किए.

वहीं, रवांई घाटी की पल्ली मुंगरशंति पट्टी में शुरू हुई मेलों की श्रृंखला के दौरान रुद्रेश्वर महाराज की डोली एक महीने तक गांव-गांव के भ्रमण पर रहेगी. जहां डोली जाएगी, उस गांव में मेले का आयोजन होगा. मेलों की श्रृंखला के दौरान ग्रामीणों को रुद्रेश्वर महाराज, धर्म राज युधिष्ठर, बाबा बौख नाग, महासू महाराज और माता नाटेश्वरी की पांच मूर्तियों के एक साथ दर्शन होंगे.

देवराना 'डांडा की जातर' में आस्था और संस्कृति का समागम

उत्तरकाशीः रवांई घाटी के प्रसिद्ध देवराना डांडा की जातर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. देवराना पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर मन्नतें मांगी. जातर में आस्था के साथ रवांई की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली.

Devrana ki Jatar
देवराना मेले में उमड़ी भीड़

बता दें कि नौगांव ब्लॉक में करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर घने देवदार के जंगलों के बीच स्थित देवराना में हर साल असाढ़ महीने में 65 गांव के आराध्य रुद्रेश्वर महाराज का ऐतिहासिक मेला लगता है. जिसे स्थानीय भाषा में लोग 'डांडा की जातर' कहते हैं. यह रवांई घाटी का सबसे प्रसिद्ध मेला है. जिसमें रवांई, जौनपुर और जौनसार के हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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इस बार भी तड़के चार बजे पुजारी संकित थपलियाल ने मंदिर के ऊपर बने लकड़ी के शेर पर चढ़ कर रुद्रेश्वर देवता की मूर्ती को दूध से स्नान करवा कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए. काफी संख्या में मेले का आनंद लेने पहुंची महिलाओं ने देव डोली के साथ लोक नृत्य किया. मेले के दौरान गढ़ गांव के हुड़की वादकों ने रुद्रेश्वर की गाथा सुनाई. जिन्हें पुजारी ने उपहार के रूप में अंग वस्त्र भेंट किए.

वहीं, रवांई घाटी की पल्ली मुंगरशंति पट्टी में शुरू हुई मेलों की श्रृंखला के दौरान रुद्रेश्वर महाराज की डोली एक महीने तक गांव-गांव के भ्रमण पर रहेगी. जहां डोली जाएगी, उस गांव में मेले का आयोजन होगा. मेलों की श्रृंखला के दौरान ग्रामीणों को रुद्रेश्वर महाराज, धर्म राज युधिष्ठर, बाबा बौख नाग, महासू महाराज और माता नाटेश्वरी की पांच मूर्तियों के एक साथ दर्शन होंगे.

Last Updated : Jul 4, 2023, 11:01 PM IST
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