उत्तरकाशी: विश्व प्रसिद्ध डोडीताल स्थित प्राचीन मां अन्नपूर्णा मंदिर (Maa Annapurna Temple in Dodital) के कपाट 19 अप्रैल को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले दिए जाएंगे. नागदेवता अगोड़ा की अनुमति के बाद यह निर्णय लिया गया है. कपाटोद्घाटन (Maa Annapurna Temple door will open) की तैयारियों को लेकर डोडीताल पर्यटन विकास समिति (Dodital Uttarkashi news) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
भगवान गणेश की जन्मस्थली माने जाने वाले डोडीताल में मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर स्थित है. यहां पर हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं. शीतकाल में यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है. इसीलिए सर्दियों में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन गर्मियां शुरू होने के साथ ही वैदिक पंचांग के अनुसार देव अनुमति से इस मंदिर का कपाटोद्घाटन किया जाता है. डोडीताल पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष कमल सिंह रावत और अगोड़ा निवासी संजय पंवार ने बताया कि नागदेवता अगोड़ा की अनुमति से इस बार 19 अप्रैल को मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खोले जाने हैं, जिसके लिए 18 अप्रैल को ग्रामीण देव डोलियों के साथ अगोड़ा से डोडीताल के लिए रवाना होंगे.
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स्थानीय व्यापारियों को इस बार यात्रा के काफी उम्मीद है. उनका कहना है कि कोरोना के कारण पिछले दो सालों से समस्त गतिविधियां ठप पड़ी थी. इस साल उम्मीद है कि एक बार फिर से अस्सी गंगा घाटी के पर्यटक स्थल पर बड़ी संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु एवं पर्यटक पहुंचेंगे, जिसके लिए मंदिर समिति की ओर से कपाटोद्घाटन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. बता दें कि अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल में करीब 1 किमी लंबी झील के किनारे पर स्थित है. डोडीताल उत्तरकाशी जिले के अस्सी गंगा केलशु क्षेत्र में बसा हुआ है. केलशु क्षेत्र अस्सी गंगा घाटी के सात गांव अगोड़ा, भंकोली, गजोली, नौगांव समेत सेक्कू और नाल्ड से मिलकर बना है.
डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं. यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था. गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश था. कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को गणेश ने रोका था.