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उत्तरकाशी के लिवाड़ी गांव में नहीं बन पाई पुलिया, जर्जर ट्रॉली से जान जोखिम में डाल आवाजाही कर रहे ग्रामीण

Liwari Villagers Crossing River by Trolley उत्तरकाशी के लिवाड़ी गांव के रालाचौरी, रालासौं नामे तोक में पुलिया बह जाने के बाद ग्रामीण ट्रॉली के जरिए आवाजाही कर रहे हैं. आलम ये है कि जो ट्रॉली लगी है, उसकी तारें भी जर्जर हैं. जिसे मरम्मत कर चलाया जा रहा है. ग्रामीणों ने गोविंद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क प्रशासन के साथ जिला प्रशासन से पुलिया निर्माण की मांग की है.

Liwari Villagers Crossing River by Trolley
लिवाड़ी गांव में ट्रॉली
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 22, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Aug 22, 2023, 7:01 PM IST

ट्रॉली से आवाजाही

उत्तरकाशीः मोरी तहसील के दूरस्थ पंचगाई पट्टी के लिवाड़ी गांव में ग्रामीणों की परेशानी अब तक दूर नहीं हो पाई है. बीती 11 जुलाई को यहां पुलिया बह गई थी, लेकिन अभी तक वहां पर पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को ट्रॉली के जरिए आवाजाही करनी पड़ रही है, लेकिन जर्जर तारों के ऊपर ट्रॉली से आवाजाही करना काफी जोखिम भरा है. जहां हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

लिवाड़ी गांव के जयचंद रावत, जय सिंह, जनक सिंह, मनोज, सुस्तानु लाल आदि का कहना है कि रालाचौरी, रालासौं नामे तोक में गोविंद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने एक वैकल्पिक पुलिया लगाई थी. जिसके जरिए ग्रामीण आवाजाही करते थे. साथ ही स्कूली बच्चे भी इसी पुलिया को पार कर जखोल इंटर कॉलेज पढ़ने आते जाते थे, लेकिन बीती 11 जुलाई को अतिवृष्टि में यह वैकल्पिक पुलिया बह गई. जिसके बाद से ही ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों ने बताया कि आवाजाही के लिए तीर सिंचा नामक तोक में पीडब्ल्यूडी विभाग ने साल 2012 में लगी ट्रॉली को मरम्मत कर आवाजाही के लिए खोल दिया, लेकिन ट्रॉली की तारों पर जंग लग चुकी है. साथ ही जर्जर हो चुकी है. ऐसे में इन जर्जर तारों के सहारे आवाजाही करना जोखिम भरा रहता है. इतना ही नहीं यहां पर किसी हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. ट्रॉली कभी-कभी में कई दिनों तक बंद रहती है. साथ ही ट्रॉली संचालक सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही ट्रॉली का संचालन करते हैं.
ये भी पढ़ेंः सरिया और केबल के सहारे हवा में 'जिंदगी', जान हथेली पर रखकर नदी पार कर रही छात्राएं

ऐसी में गांव के किसी के आकस्मिक बीमार होने या चोट लगने पर उन्हें या तो घरेलू उपचार के भरोसे रहना पड़ता या फिर सुबह 9 बजे तक का इंतजार करना पड़ता है. इसके चलते जोखिम काफी बढ़ जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि जो बच्चे जखोल इंटर कॉलेज पढ़ने जाते हैं, उन्हें उनकी वापसी तक चिंता बनी रहती है. तहसील दिवस में पहुंचे ग्रामीण रालाचौरी, रालासौं में वैकल्पिक पुलिया के निर्माण की मांग कर चुके हैं.

क्या बोले एसडीएम देवानंद शर्माः मामले में उप जिलाधिकारी देवानंद शर्मा का कहना है कि उक्त स्थान पर पहले पार्क प्रशासन की ओर से वैकल्पिक पुलिया बनाई गई थी. जो 11 जुलाई की आपदा में बह गई. गोविंद वन्यजीव विहार को उक्त स्थान पर ग्रामीणों की आवाजाही के लिए एक हफ्ते के भीतर पुलिया बनाने के लिए कह दिया गया है.

ट्रॉली से आवाजाही

उत्तरकाशीः मोरी तहसील के दूरस्थ पंचगाई पट्टी के लिवाड़ी गांव में ग्रामीणों की परेशानी अब तक दूर नहीं हो पाई है. बीती 11 जुलाई को यहां पुलिया बह गई थी, लेकिन अभी तक वहां पर पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को ट्रॉली के जरिए आवाजाही करनी पड़ रही है, लेकिन जर्जर तारों के ऊपर ट्रॉली से आवाजाही करना काफी जोखिम भरा है. जहां हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

लिवाड़ी गांव के जयचंद रावत, जय सिंह, जनक सिंह, मनोज, सुस्तानु लाल आदि का कहना है कि रालाचौरी, रालासौं नामे तोक में गोविंद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने एक वैकल्पिक पुलिया लगाई थी. जिसके जरिए ग्रामीण आवाजाही करते थे. साथ ही स्कूली बच्चे भी इसी पुलिया को पार कर जखोल इंटर कॉलेज पढ़ने आते जाते थे, लेकिन बीती 11 जुलाई को अतिवृष्टि में यह वैकल्पिक पुलिया बह गई. जिसके बाद से ही ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों ने बताया कि आवाजाही के लिए तीर सिंचा नामक तोक में पीडब्ल्यूडी विभाग ने साल 2012 में लगी ट्रॉली को मरम्मत कर आवाजाही के लिए खोल दिया, लेकिन ट्रॉली की तारों पर जंग लग चुकी है. साथ ही जर्जर हो चुकी है. ऐसे में इन जर्जर तारों के सहारे आवाजाही करना जोखिम भरा रहता है. इतना ही नहीं यहां पर किसी हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. ट्रॉली कभी-कभी में कई दिनों तक बंद रहती है. साथ ही ट्रॉली संचालक सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही ट्रॉली का संचालन करते हैं.
ये भी पढ़ेंः सरिया और केबल के सहारे हवा में 'जिंदगी', जान हथेली पर रखकर नदी पार कर रही छात्राएं

ऐसी में गांव के किसी के आकस्मिक बीमार होने या चोट लगने पर उन्हें या तो घरेलू उपचार के भरोसे रहना पड़ता या फिर सुबह 9 बजे तक का इंतजार करना पड़ता है. इसके चलते जोखिम काफी बढ़ जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि जो बच्चे जखोल इंटर कॉलेज पढ़ने जाते हैं, उन्हें उनकी वापसी तक चिंता बनी रहती है. तहसील दिवस में पहुंचे ग्रामीण रालाचौरी, रालासौं में वैकल्पिक पुलिया के निर्माण की मांग कर चुके हैं.

क्या बोले एसडीएम देवानंद शर्माः मामले में उप जिलाधिकारी देवानंद शर्मा का कहना है कि उक्त स्थान पर पहले पार्क प्रशासन की ओर से वैकल्पिक पुलिया बनाई गई थी. जो 11 जुलाई की आपदा में बह गई. गोविंद वन्यजीव विहार को उक्त स्थान पर ग्रामीणों की आवाजाही के लिए एक हफ्ते के भीतर पुलिया बनाने के लिए कह दिया गया है.

Last Updated : Aug 22, 2023, 7:01 PM IST
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