उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सीमांत जिले के दूरस्थ गांवों तक विकास नहीं पहुंच पाया है. इसकी बानगी जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर स्थित स्युणा गांव में देखने को मिल जाएगा. यहां ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. ग्रामीण कई बार मामले को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिससे ग्रामीण खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के आते ही मंत्री, नेता और जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए हैं. लगातार दौरे पर दौरा कर कई घोषणाएं और दावे कर जनता से अपने पक्ष में वोट डालने की अपील करते नजर आ रहे हैं. लेकिन चुनाव के खत्म होने के बाद ना ही नेता नजर आते हैं ना ही उनके मुद्दे. ऐसी ही जमीनी हकीकत बयां कर रहा है जिले का स्युणा गांव, जो कि जिला मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर बसा हुआ है. इस गांव में सड़क तो दूर एक अदद पुल भी नहीं बन पाया है.
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ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची और वहां की हकीकत जानी. इस दौरान टीम को ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई पुलिया से आवाजाही करते नजर आये. ऐसे में किसी का पैर फिसल जाने पर भागीरथी के तेज बहाव में बहने का खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और स्कूली बच्चों को हो रही है. लोगों को आवाजाही के साथ सामान की ढुलाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में यह अस्थाई पुलिया बह जाती है. ऐसे में ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी पैदल घने जंगल के बीच के रास्तों को पार करना पड़ता है. साथ ही जंगल के रास्ते में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, उन्होंने शासन प्रशासन से सड़क के साथ झूला पुल बनाने की मांग की.