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ग्राउंड रिपोर्टः इस गांव के लोगों को सड़क तक जाने के लिए पार करनी पड़ती है मौत की पुलिया - लोकसभा चुनाव

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर स्थित स्युणा गांव में ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं.ऐसे में किसी का पैर फिसल जाने पर भागीरथी के तेज बहाव में बहने का खतरा बना हुआ है.

स्युणा गांव में पुल नहीं
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Published : Mar 27, 2019, 11:12 PM IST

उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सीमांत जिले के दूरस्थ गांवों तक विकास नहीं पहुंच पाया है. इसकी बानगी जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर स्थित स्युणा गांव में देखने को मिल जाएगा. यहां ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. ग्रामीण कई बार मामले को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिससे ग्रामीण खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

जानकारी देते ग्रामीण.


लोकसभा चुनाव के आते ही मंत्री, नेता और जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए हैं. लगातार दौरे पर दौरा कर कई घोषणाएं और दावे कर जनता से अपने पक्ष में वोट डालने की अपील करते नजर आ रहे हैं. लेकिन चुनाव के खत्म होने के बाद ना ही नेता नजर आते हैं ना ही उनके मुद्दे. ऐसी ही जमीनी हकीकत बयां कर रहा है जिले का स्युणा गांव, जो कि जिला मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर बसा हुआ है. इस गांव में सड़क तो दूर एक अदद पुल भी नहीं बन पाया है.

ये भी पढे़ंःनए पोलिंग बूथों के लिए नहीं मिली अनुमति, 1794 बूथों पर ही होगा मतदान


ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची और वहां की हकीकत जानी. इस दौरान टीम को ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई पुलिया से आवाजाही करते नजर आये. ऐसे में किसी का पैर फिसल जाने पर भागीरथी के तेज बहाव में बहने का खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और स्कूली बच्चों को हो रही है. लोगों को आवाजाही के साथ सामान की ढुलाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में यह अस्थाई पुलिया बह जाती है. ऐसे में ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी पैदल घने जंगल के बीच के रास्तों को पार करना पड़ता है. साथ ही जंगल के रास्ते में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, उन्होंने शासन प्रशासन से सड़क के साथ झूला पुल बनाने की मांग की.

उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सीमांत जिले के दूरस्थ गांवों तक विकास नहीं पहुंच पाया है. इसकी बानगी जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर स्थित स्युणा गांव में देखने को मिल जाएगा. यहां ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. ग्रामीण कई बार मामले को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिससे ग्रामीण खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

जानकारी देते ग्रामीण.


लोकसभा चुनाव के आते ही मंत्री, नेता और जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए हैं. लगातार दौरे पर दौरा कर कई घोषणाएं और दावे कर जनता से अपने पक्ष में वोट डालने की अपील करते नजर आ रहे हैं. लेकिन चुनाव के खत्म होने के बाद ना ही नेता नजर आते हैं ना ही उनके मुद्दे. ऐसी ही जमीनी हकीकत बयां कर रहा है जिले का स्युणा गांव, जो कि जिला मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर बसा हुआ है. इस गांव में सड़क तो दूर एक अदद पुल भी नहीं बन पाया है.

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ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची और वहां की हकीकत जानी. इस दौरान टीम को ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई पुलिया से आवाजाही करते नजर आये. ऐसे में किसी का पैर फिसल जाने पर भागीरथी के तेज बहाव में बहने का खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और स्कूली बच्चों को हो रही है. लोगों को आवाजाही के साथ सामान की ढुलाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में यह अस्थाई पुलिया बह जाती है. ऐसे में ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी पैदल घने जंगल के बीच के रास्तों को पार करना पड़ता है. साथ ही जंगल के रास्ते में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, उन्होंने शासन प्रशासन से सड़क के साथ झूला पुल बनाने की मांग की.

Intro:हेडलाइन- स्युणा गांव(ग्राउंड रिपोर्ट) Uk_uttarkashi_vipin negi_syuna village (ground report)_27 march 2019. उत्तरकाशी। शासन प्रशासन दावा करती है कि सीमांत जनपद के दूरस्थ गांव तक विकास पहुंच गया है। दूरस्थ गांव के दौरे कर सोशल मीडिया पर मंत्रियों और अधिकारियों की फ़ोटो वीडियो अपलोड हो जाती है। इन सब की जमीनी हकीकत बयां कर रहा है जनपद के स्युणा गांव,जो कि जनपद मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। लेकिन इस गांव के लिए सड़क तो दूर एक अदद पुल भी नहीं बन पाया है। ऐसे में ग्रामीण भागीरथी नदी पर बने अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। कंधो पर बोझ लिए ग्रामीण यह सोचते हैं कि अपनी जान बचाएं या सामान। शासन प्रशासन के हवाई दावों की पोल खोलता etv bharat की यह ground रिपोर्ट।


Body:वीओ-1, उत्तरकाशी जनपद का स्युणा गांव,जो कि जनपद मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर बसा है। इसलिए शायद दूरस्थ गांव तक विकास पहुँचाने के कारण स्थानिय जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अशिकारियो को इस नजदीकी गांव की परेशानी नहीं दिखी। इस गांव में सड़क तो दूर लेकिन एक अदद पुल भी नहीं बन पाया है। ग्रामीण आजकल भागीरथी नदी पर खुद की बनाई हुई अस्थाई पुलिया से आवाजाही कर रहे हैं। अचानक अगर किसी का पैर फिसल जाए तो नीचे भागीरथी का तेज बहाव। ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें बूढ़े व्यक्तियों सहित स्कूली बच्चों के साथ होती है। वहीं अगर गांव में कोई शादी समारोह हो। तो उस समय ग्रामीण इस परेशानी का शिकार बन जाते है कि आवाजाही सहित सामान की ढुलाई कैसे हो।


Conclusion:वीओ- 2, ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में यह अस्थाई पुलिया बह जाती है। फिर ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए करीब 5 किमी पैदल दूरी घने जंगल के बीच के रास्तों को पार करना पड़ता है। साथ ही जंगल के रास्ते मे जंगली जानवरों का भय भी बना रहता है। कहा कि अगर सड़क नहीं बन सकती तो एक झूला पुल अगर सड़क से जुड़ने के लिए बन जाये। तो ग्रामीणों को काफी सहूलियत होगी। ग्रामीणों ने बताया कि शासन प्रशासन के हर स्तर तक अपनी बात पहुंचाई। लेकिन सुनने को कोई राजी नहीं है। बाईट- ग्रामीण स्युणा गांव। बाईट- बृजमोहन नेगी, ग्रामीण स्युणा गांव।
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