ETV Bharat / state

नम आंखों से विदा हुई 24 वर्षीय एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल, दी गई जल समाधि

शुक्रवार को सविता कंसवाल का शव जिला अस्पताल (body of Savita Kanswal reached district hospital) पहुंचा. सविता कंसवाल के शव (Mountaineer Savita Kanswal dies) को देखते ही ग्रामीण और जानने वालों की आंखें मन हो गई. सभी ने सविता कंसवाल श्रद्धाजंलि दी. लोंथरू गांव में सविता कंसवाल के बूढ़े मां-बाप भी सविता की यादों को सीने से लगाये रो रहे हैं.

24-year-old Everest winner Savita Kanswal
नम आंखों से विदा हुई 24 वर्षीय एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल
author img

By

Published : Oct 7, 2022, 10:29 PM IST

उत्तरकाशी: पर्वतारोहण के क्षेत्र में बेहद कम समय में नाम कमाने वाली 24 वर्षीय एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की मौत (Mountaineer Savita Kanswal dies) की खबर से हर कोई स्तब्ध है. परिवार में चार बहनों में सबसे छोटी सविता बूढ़े मां-बाप का सबसे बड़ा सहारा थीं. वहीं, शुक्रवार को जब जिला अस्पताल में सविता का शव पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम थी. तो दूसरी ओर सविता के बूढ़े मां-बाप बेसुध पड़े थे.

बता दें कि सविता ने जब 15 दिन के भीतर इसी साल मई में एवरेस्ट फतह किया था, तो मां ने फक्र से कहा था कि, 'बेटी हो तो ऐसी'.मां ने कहा था कि 'पहले तो मैं बोलती थी कि बहुत सारी बेटी हो गई, लेकिन अब तो मैं बहुत खुश हूं'. आज घटना के चौथे दिन जब मां को गांव में किसी ने सविता के दुनिया छोड़ने की खबर दी, तो मां का कलेजा सीने से उतर गया. बेटी के लिए कहे वो शब्द मां कमलेश्वरी के दिल में ही रह गए, जिस पर उसने कभी खुशियों की आस बांधी थी. वहीं, पिता राधेश्याम कंसवाल भी बेटी के जाने के गम में आंसुओं के सैलाब से भर गए.

पढ़ें- उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए वेबसाइट लॉन्च, दें सुझाव, महिलाओं की राय बेहद जरूरी

शुक्रवार को जब जिला अस्पताल में सविता का शव पहुंचा तो एक तरफ ग्रामीण और जानने वालों की भीड़ नम आंखों से उन्हें श्रद्धाजंलि दे रही थी, दूसरी तरफ दूर लोंथरू गांव में बूढ़े मां-बाप सविता की यादों को सीने से लगाकर विलाप कर रहे थे. उस बेटी के लिए रो रहे थे, जिसने पहाड़ों के बूते नाम कमाया और फिर सदा के लिए उसी हिमालय की गोद में सो गईं. जिसने रोमांच और साहस की दुनिया में न सिर्फ नाम कमाया बल्कि मां-बाप को बेटी होने का गौरव भी महसूस कराया.

पढ़ें- उत्तरकाशी एवलॉन्च UPDATE: अब तक 26 पर्वतारोहियों के शव बरामद, परिवार को सौंपे गए 4 शव

वहीं, सविता की बहनें भी अपनी 'लाडली' को खोकर मातम में चूर थीं. हर कोई जानता है कि सविता ने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था. पर्वतारोहण के क्षेत्र में कदम जमाने के लिए सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था. गांव की इस बेटी का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। चार बहनों में सबसे छोटी सविता ही थीं, जो घर की जिम्मेदारियां भी बखूबी संभाल रही थीं. आज उसके न होने पर पूरा परिवार बिखर गया है.

पढ़ें- Uttarkashi Avalanche: इकलौते बेटे के शव को देखकर फूट-फूटकर रोए परिजन

सविता को जल समाधि देने उमड़े लोग: जिला अस्पताल में शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद सविता को डिडसारी पैतृक घाट पर जल समाधि दी गई. 24 वर्षीय सविता अविवाहिता थीं. सविता की जल समाधि यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए और नम आंखों से विदा कर श्रद्धांजलि दी.

उत्तरकाशी: पर्वतारोहण के क्षेत्र में बेहद कम समय में नाम कमाने वाली 24 वर्षीय एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की मौत (Mountaineer Savita Kanswal dies) की खबर से हर कोई स्तब्ध है. परिवार में चार बहनों में सबसे छोटी सविता बूढ़े मां-बाप का सबसे बड़ा सहारा थीं. वहीं, शुक्रवार को जब जिला अस्पताल में सविता का शव पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम थी. तो दूसरी ओर सविता के बूढ़े मां-बाप बेसुध पड़े थे.

बता दें कि सविता ने जब 15 दिन के भीतर इसी साल मई में एवरेस्ट फतह किया था, तो मां ने फक्र से कहा था कि, 'बेटी हो तो ऐसी'.मां ने कहा था कि 'पहले तो मैं बोलती थी कि बहुत सारी बेटी हो गई, लेकिन अब तो मैं बहुत खुश हूं'. आज घटना के चौथे दिन जब मां को गांव में किसी ने सविता के दुनिया छोड़ने की खबर दी, तो मां का कलेजा सीने से उतर गया. बेटी के लिए कहे वो शब्द मां कमलेश्वरी के दिल में ही रह गए, जिस पर उसने कभी खुशियों की आस बांधी थी. वहीं, पिता राधेश्याम कंसवाल भी बेटी के जाने के गम में आंसुओं के सैलाब से भर गए.

पढ़ें- उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए वेबसाइट लॉन्च, दें सुझाव, महिलाओं की राय बेहद जरूरी

शुक्रवार को जब जिला अस्पताल में सविता का शव पहुंचा तो एक तरफ ग्रामीण और जानने वालों की भीड़ नम आंखों से उन्हें श्रद्धाजंलि दे रही थी, दूसरी तरफ दूर लोंथरू गांव में बूढ़े मां-बाप सविता की यादों को सीने से लगाकर विलाप कर रहे थे. उस बेटी के लिए रो रहे थे, जिसने पहाड़ों के बूते नाम कमाया और फिर सदा के लिए उसी हिमालय की गोद में सो गईं. जिसने रोमांच और साहस की दुनिया में न सिर्फ नाम कमाया बल्कि मां-बाप को बेटी होने का गौरव भी महसूस कराया.

पढ़ें- उत्तरकाशी एवलॉन्च UPDATE: अब तक 26 पर्वतारोहियों के शव बरामद, परिवार को सौंपे गए 4 शव

वहीं, सविता की बहनें भी अपनी 'लाडली' को खोकर मातम में चूर थीं. हर कोई जानता है कि सविता ने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था. पर्वतारोहण के क्षेत्र में कदम जमाने के लिए सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था. गांव की इस बेटी का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। चार बहनों में सबसे छोटी सविता ही थीं, जो घर की जिम्मेदारियां भी बखूबी संभाल रही थीं. आज उसके न होने पर पूरा परिवार बिखर गया है.

पढ़ें- Uttarkashi Avalanche: इकलौते बेटे के शव को देखकर फूट-फूटकर रोए परिजन

सविता को जल समाधि देने उमड़े लोग: जिला अस्पताल में शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद सविता को डिडसारी पैतृक घाट पर जल समाधि दी गई. 24 वर्षीय सविता अविवाहिता थीं. सविता की जल समाधि यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए और नम आंखों से विदा कर श्रद्धांजलि दी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.