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लाल चावल के लिए जानी जाती है उत्तरकाशी रवांई घाटी, नहरें ध्वस्त होने से काश्तकार परेशान - Uttarkashi Irrigation Department

Uttarkashi Rawai Valley उत्तरकाशी की रवांई घाटी प्रसिद्ध लाल चावल की पैदावार के लिए जानी जाती है. लेकिन काश्तकारों का कहना है कि भारी बारिश से उनके क्षेत्र में नहरें क्षतिग्रस्त हो गई है. जिससे लाल चावल की पैदावार प्रभावित हो सकती है.

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Published : Aug 12, 2023, 9:51 AM IST

उत्तरकाशी: रवांई घाटी के रामा, कमल सिरांई पट्टी में भारी बारिश से सिंचाई नहरों को खासा नुकसान पहुंचा है. जिससे क्षेत्र की आजीविका का मुख्य जरिया प्रसिद्ध लाल चावल की पैदावार प्रभावित हो सकती है. क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में उगाए जाने वाले एक लाल चावल को लगातार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. जबकि बीते दिन आपदा से क्षेत्र की तकरीबन 72 सिंचाई नहरें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. जिससे काश्तकारों को अब रवांई क्षेत्र में सिंचाई की चिंता सता रही है.

गौर हो कि प्रदेश में भारी बारिश से सिंचाई नहरों को खासा नुकसान पहुंचा है. पुरोला डिवीजन के अंतर्गत 72 क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों में एक में भी पानी नहीं आ रहा है. जिससे क्षेत्र की आजीविका का मुख्य जरिया प्रसिद्ध लाल चावल की पैदावार प्रभावित हो सकती है. हालांकि 23 जुलाई को आपदाग्रस्त क्षेत्र के स्थलीय मौके पर आए आपदा सचिव रंजीत सिन्हा व आयुक्त विनय पांडेय ने संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र की सिंचाई नहरों को तत्काल मरम्मत करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है.पुरोला गांव के किसान रमेश दत्त,दिनेश उनियाल व बलबीर असवाल, त्रिलोक चौहान ने बताया कि आपदा के बाद से क्षेत्र में नहरें बदहाल स्थिति में हैं.

Uttarkashi
उत्तरकाशी रवांई घाटी में भारी बारिश से नहरें ध्वस्त
पढ़ें-धान की बुआई का क्षेत्रफल गिरा,पैदावार में हुआ इजाफा !

नहरों की मरम्मत दूर की बात है, विभाग की मुख्य पुरोला गांव नहर में बीते तीन सप्ताह बाद भी मलबा नहीं हटाया गया है. बताया कि लाल धान की खेती उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. लाल धान की खेती ही हमारे परिवारों भरण पोषण का एकमात्र जरिया है. किसानों ने चेतावनी दी कि एक सप्ताह के अंदर नहरों को चालू नहीं किया गया तो सिंचाई विभाग के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.पुरोला गांव की मुख्य नहर, करड़ा की उपला क्यारी नामे तोक, कुरुडा, छाड़ा, रामा, बेस्टी, चन्देली, नेत्री, स्वील, पोरा कण्डियाल गांव, कुमारकोट, खलाडी, नेत्री,ठडूंग आदि क्षेत्रों में पांच दर्जन से अधिक नहरें है. जो सिंचाई का मुख्य साधन हैं. सिंचाई निर्माण खंड पुरोला के एई पीएस रावत ने बताया कि आपदा से क्षतिग्रस्त क्षेत्र की सभी नहरों का मुआयना कर पुनर्निर्माण के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. धान की सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर, एक सप्ताह के अंदर पुरोला गांव मुख्य नहर व सभी नहरों में पानी सुचारू कर दिया जाएगा.

उत्तरकाशी: रवांई घाटी के रामा, कमल सिरांई पट्टी में भारी बारिश से सिंचाई नहरों को खासा नुकसान पहुंचा है. जिससे क्षेत्र की आजीविका का मुख्य जरिया प्रसिद्ध लाल चावल की पैदावार प्रभावित हो सकती है. क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में उगाए जाने वाले एक लाल चावल को लगातार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. जबकि बीते दिन आपदा से क्षेत्र की तकरीबन 72 सिंचाई नहरें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. जिससे काश्तकारों को अब रवांई क्षेत्र में सिंचाई की चिंता सता रही है.

गौर हो कि प्रदेश में भारी बारिश से सिंचाई नहरों को खासा नुकसान पहुंचा है. पुरोला डिवीजन के अंतर्गत 72 क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों में एक में भी पानी नहीं आ रहा है. जिससे क्षेत्र की आजीविका का मुख्य जरिया प्रसिद्ध लाल चावल की पैदावार प्रभावित हो सकती है. हालांकि 23 जुलाई को आपदाग्रस्त क्षेत्र के स्थलीय मौके पर आए आपदा सचिव रंजीत सिन्हा व आयुक्त विनय पांडेय ने संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र की सिंचाई नहरों को तत्काल मरम्मत करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है.पुरोला गांव के किसान रमेश दत्त,दिनेश उनियाल व बलबीर असवाल, त्रिलोक चौहान ने बताया कि आपदा के बाद से क्षेत्र में नहरें बदहाल स्थिति में हैं.

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नहरों की मरम्मत दूर की बात है, विभाग की मुख्य पुरोला गांव नहर में बीते तीन सप्ताह बाद भी मलबा नहीं हटाया गया है. बताया कि लाल धान की खेती उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. लाल धान की खेती ही हमारे परिवारों भरण पोषण का एकमात्र जरिया है. किसानों ने चेतावनी दी कि एक सप्ताह के अंदर नहरों को चालू नहीं किया गया तो सिंचाई विभाग के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.पुरोला गांव की मुख्य नहर, करड़ा की उपला क्यारी नामे तोक, कुरुडा, छाड़ा, रामा, बेस्टी, चन्देली, नेत्री, स्वील, पोरा कण्डियाल गांव, कुमारकोट, खलाडी, नेत्री,ठडूंग आदि क्षेत्रों में पांच दर्जन से अधिक नहरें है. जो सिंचाई का मुख्य साधन हैं. सिंचाई निर्माण खंड पुरोला के एई पीएस रावत ने बताया कि आपदा से क्षतिग्रस्त क्षेत्र की सभी नहरों का मुआयना कर पुनर्निर्माण के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. धान की सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर, एक सप्ताह के अंदर पुरोला गांव मुख्य नहर व सभी नहरों में पानी सुचारू कर दिया जाएगा.

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