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महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने मंदिरों में उमड़ी भीड़, महादेव के जयकारों से गुंजायमान शिवालय

महाशिवरात्रि पर्व पर देवभूमि के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का भारी तांता लगा रहा. उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और मसूरी के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही. मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की आराधना की.

mahashivratri festival
महाशिवरात्रि पर्व
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Published : Mar 1, 2022, 3:55 PM IST

Updated : Mar 1, 2022, 4:04 PM IST

उत्तरकाशी/रुद्रप्रयाग/मसूरी: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिवालयों में चारों ओर हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है. उत्तरकाशी में महाशिवरात्रि पर जिला मुख्यालय पर शिवजी की बारात और काशी विश्वनाथ मंदिर के ध्वज की शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों पर स्थानीय संस्कृति एवं शिव के प्रति आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला. जहां शिव नगरी भोले के जयकारों से गूंज उठी.

महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामलीला मैदान में एकत्र हुए. यहां से शिवजी की बारात और ध्वज शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए शोभा यात्रा पौराणिक मणिकर्णिका घाट पहुंची. यहां गंगा स्नान के बाद बस अड्डा, भटवाड़ी रोड, भैरव चौक होते हुए विश्वनाथ मंदिर में संपन्न हुई. शोभा यात्रा के दौरान पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर रांसो एवं तांदी नृत्य किया.

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने मंदिरों में उमड़ी भीड़
ये भी पढ़ेंः 6 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि पर पंचांग की गणना से हुई घोषणा

कोटेश्वर मंदिर में उमड़ा भक्तों का मेलाः रुद्रप्रयाग महाशिवरात्रि पर्व पर जिले के शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. भक्त भगवान शंकर का जलाभिषेक करने के साथ ही पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी. मंदिरों में उमड़ी भीड़ की सुरक्षा को लेकर पुलिस एवं एसडीआरएफ के जवान भी तैनात दिखे. जो श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करा रहे थे. कोटेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. ऐसा ही नजारा रुद्रप्रयाग कोटेश्वर, उमरानारायण, रुद्रनाथ, सूर्यप्रयाग, विश्वनाथ मंदिर, त्रियुगीनारायण सहित केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भी दिखा. वहीं, कोटेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही.

श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़ः पहाड़ों की रानी मसूरी ने भी महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया और पूजा पाठ कर परिवार की सुख समृद्धि की कामनाएं की. मसूरी देहरादून मार्ग पर स्थित श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान भोले शंकर का आशीर्वाद लिया और शिवलिंग पर दुग्ध अभिषेक किया. वहीं, भीड़ को देखते हुए पुलिस द्वारा पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे. वहीं, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और निर्मला जोशी ने देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और देश-प्रदेश में सुख-समृद्धि की कामना की.
ये भी पढ़ेंः CM धामी ने किया बनखंडी महादेव मंदिर में जलाभिषेक, यूक्रेन में फंसे छात्रों से वीडियो कॉल पर की बात

केदारघाटी में महाशिवरात्रि पर्व मनाने की अनूठी परंपराः महाशिवरात्रि पर्व को केदारघाटी में धूमधाम से मनाया गया. केदारघाटी के बहुत से गांवों में आज भी मिट्टी से शिव पार्वती के लिंग स्वरूप दो प्रतीक बनाए जाते हैं. इन प्रतीकों पर जौ के दानों को सीधा डुबोकर लगाया जाता है. जिसके शीर्ष पर सूर्ख (फूला हुआ बुरांश) लगाया जाता है. सांझ होते ही इन प्रतीकों को गांव की जलधाराओं की शीर्ष पर बने खदरे (चौकोर स्थान) पर रखने के बाद इन प्रतीकों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है और प्रसाद के लिए चौलाई के भुने हुए दाने और भुने हुए सोयाबीन को रखा जाता है. महाशिवरात्रि की पूरी रात इन्हे यूं ही रखा जाता है. अगली सुबह इन प्रतीकों को वापस निकाला जाता है और वहां रखे प्रसाद को सभी में बांटा जाता है. ये प्रतीक महादेव पार्वती कहलाते हैं. कई गांवों में इन्हें रखते समय मांगल गीत भी गाए जाते हैं.

उत्तरकाशी/रुद्रप्रयाग/मसूरी: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिवालयों में चारों ओर हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है. उत्तरकाशी में महाशिवरात्रि पर जिला मुख्यालय पर शिवजी की बारात और काशी विश्वनाथ मंदिर के ध्वज की शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों पर स्थानीय संस्कृति एवं शिव के प्रति आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला. जहां शिव नगरी भोले के जयकारों से गूंज उठी.

महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामलीला मैदान में एकत्र हुए. यहां से शिवजी की बारात और ध्वज शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए शोभा यात्रा पौराणिक मणिकर्णिका घाट पहुंची. यहां गंगा स्नान के बाद बस अड्डा, भटवाड़ी रोड, भैरव चौक होते हुए विश्वनाथ मंदिर में संपन्न हुई. शोभा यात्रा के दौरान पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर रांसो एवं तांदी नृत्य किया.

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने मंदिरों में उमड़ी भीड़
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कोटेश्वर मंदिर में उमड़ा भक्तों का मेलाः रुद्रप्रयाग महाशिवरात्रि पर्व पर जिले के शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. भक्त भगवान शंकर का जलाभिषेक करने के साथ ही पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी. मंदिरों में उमड़ी भीड़ की सुरक्षा को लेकर पुलिस एवं एसडीआरएफ के जवान भी तैनात दिखे. जो श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करा रहे थे. कोटेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. ऐसा ही नजारा रुद्रप्रयाग कोटेश्वर, उमरानारायण, रुद्रनाथ, सूर्यप्रयाग, विश्वनाथ मंदिर, त्रियुगीनारायण सहित केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भी दिखा. वहीं, कोटेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही.

श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़ः पहाड़ों की रानी मसूरी ने भी महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया और पूजा पाठ कर परिवार की सुख समृद्धि की कामनाएं की. मसूरी देहरादून मार्ग पर स्थित श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान भोले शंकर का आशीर्वाद लिया और शिवलिंग पर दुग्ध अभिषेक किया. वहीं, भीड़ को देखते हुए पुलिस द्वारा पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे. वहीं, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और निर्मला जोशी ने देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और देश-प्रदेश में सुख-समृद्धि की कामना की.
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केदारघाटी में महाशिवरात्रि पर्व मनाने की अनूठी परंपराः महाशिवरात्रि पर्व को केदारघाटी में धूमधाम से मनाया गया. केदारघाटी के बहुत से गांवों में आज भी मिट्टी से शिव पार्वती के लिंग स्वरूप दो प्रतीक बनाए जाते हैं. इन प्रतीकों पर जौ के दानों को सीधा डुबोकर लगाया जाता है. जिसके शीर्ष पर सूर्ख (फूला हुआ बुरांश) लगाया जाता है. सांझ होते ही इन प्रतीकों को गांव की जलधाराओं की शीर्ष पर बने खदरे (चौकोर स्थान) पर रखने के बाद इन प्रतीकों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है और प्रसाद के लिए चौलाई के भुने हुए दाने और भुने हुए सोयाबीन को रखा जाता है. महाशिवरात्रि की पूरी रात इन्हे यूं ही रखा जाता है. अगली सुबह इन प्रतीकों को वापस निकाला जाता है और वहां रखे प्रसाद को सभी में बांटा जाता है. ये प्रतीक महादेव पार्वती कहलाते हैं. कई गांवों में इन्हें रखते समय मांगल गीत भी गाए जाते हैं.

Last Updated : Mar 1, 2022, 4:04 PM IST
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