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उत्तरकाशी: ज्ञानजा गांव में सालों बाद हुई ऐतिहासिक पांडव लीला - Historical Pandav Leela

उत्तरकाशी जनपद के ज्ञानजा गांव में ऐतिहासिक पांडव लीला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा गया. पांच सालों बाद होने वाले इस आयोजन में सामूहिक रूप से पांडव नृत्य और यज्ञ का आयोजन किया गया.

Historical Pandav Leela organized  in gyanja-village
ऐतिहासिक पांडव लीला का आयोजन
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Published : Jan 1, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Jan 1, 2020, 11:35 PM IST

उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञानजा गांव में पांच सालों बाद चार दिवसीय पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें पांडव पश्वों ने गांव की चारों दिशाओं में सुरक्षा बन्धन किया. वहीं, इस मौके पर ससुराल गई बेटियां भी अपने ईस्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने मायके पहुंची. उन्होंने मां ज्वाला जी की डोली सहित पांडव देवताओं और मटिक ढोल-देवता का आशीर्वाद लिया.

historical-pandav-leela-organized-in-gyanja-village
ऐतिहासिक पांडव लीला

उत्तरकाशी जनपद के ज्ञानजा गांव में ऐतिहासिक पांडव लीला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा गया. पांच सालों बाद होने वाले इस आयोजन में सामूहिक रूप से पांडव नृत्य और यज्ञ का आयोजन किया गया. इस दौरान गांव की सुख-समृद्धि और किसी भी तरह के अनिष्ठ से बचने के लिए गांव के चारों और सुरक्षा बंधन बांधा गया.

पढ़ें-हरिद्वारः महिलाओं को जागरूक बना रही संकल्प महिला समिति, चला रही कई अभियान

ज्ञानजा के ग्राम प्रधान कमलेश भट्ट ने इस मौके पर कहा इस आयोजन से सभी ग्रामीण उत्साहित हैं. उन्होंने बताया ये ऐसा मौका होता है सभी लोग गांव वापस आते हैं. सभी मिलकर इस आयोजन में हिस्सा लेते हुए गांव के कुशल मंगल की कामना करते हैं.

पढ़ें-बिपिन रावत ने संभाला CDS का पदभार, प्रधानमंत्री ने दी बधाई

मान्यता के अनुसार, पांडव लीला में पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की परंपरा मुख्य है. स्वर्ग जाने से पहले भगवान कृष्ण के आदेश पर पांडव अपने अस्त्र-शस्त्र पहाड़ में छोड़कर मोक्ष के लिए स्वर्गारोहणी की ओर चले गए थे. जिन स्थानों पर यह अस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है और इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य करते हैं.

उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञानजा गांव में पांच सालों बाद चार दिवसीय पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें पांडव पश्वों ने गांव की चारों दिशाओं में सुरक्षा बन्धन किया. वहीं, इस मौके पर ससुराल गई बेटियां भी अपने ईस्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने मायके पहुंची. उन्होंने मां ज्वाला जी की डोली सहित पांडव देवताओं और मटिक ढोल-देवता का आशीर्वाद लिया.

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ऐतिहासिक पांडव लीला

उत्तरकाशी जनपद के ज्ञानजा गांव में ऐतिहासिक पांडव लीला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा गया. पांच सालों बाद होने वाले इस आयोजन में सामूहिक रूप से पांडव नृत्य और यज्ञ का आयोजन किया गया. इस दौरान गांव की सुख-समृद्धि और किसी भी तरह के अनिष्ठ से बचने के लिए गांव के चारों और सुरक्षा बंधन बांधा गया.

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ज्ञानजा के ग्राम प्रधान कमलेश भट्ट ने इस मौके पर कहा इस आयोजन से सभी ग्रामीण उत्साहित हैं. उन्होंने बताया ये ऐसा मौका होता है सभी लोग गांव वापस आते हैं. सभी मिलकर इस आयोजन में हिस्सा लेते हुए गांव के कुशल मंगल की कामना करते हैं.

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मान्यता के अनुसार, पांडव लीला में पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की परंपरा मुख्य है. स्वर्ग जाने से पहले भगवान कृष्ण के आदेश पर पांडव अपने अस्त्र-शस्त्र पहाड़ में छोड़कर मोक्ष के लिए स्वर्गारोहणी की ओर चले गए थे. जिन स्थानों पर यह अस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है और इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य करते हैं.

Intro:उत्तरकाशी। वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञानजा गांव में पांच वर्षों बाद चारदिवसीय पांडव नृत्य का आयोजन किया गया। जिसमें पांडव पश्वो ने पांच वर्षों बाद गांव की चारों दिशाओं में सुरक्षा बन्धन किया। जिससे कि गांव में सुख समृद्धि रहे और गांव में किसी भी प्रकार की बाधाएं न आये। साथ ही पांडव नृत्य के साथ मुख्य थात पर ग्रामीणों ने पांच ब्राह्मणों के द्वारा की गई पूजा के साथ हवन भी किया। जिससे कि गांव में सदाचार को लोग अपनाएं। वहीं इस मौके पर ससुराल गई बेटियां भी अपने ईस्ट देवी देवताओं का आशीर्वाद लेने मायके पहुंची और मां ज्वाला जी की डोली सहित पांडव देवताओं और मटिक ढोल देवता का आशीर्वाद लिया।


Body:वीओ-1, उत्तरकाशी जनपद के मुख्य वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञानजा गांव के ग्रामीणों की और से सामूहिक रूप से पांडव नृत्य और यज्ञ का आयोजन किया गया। साथ ही यह यज्ञ पांच वर्षों बाद चार दिवसीय विधि विधान से पूरा किया गया। पांडव नृत्य में सभी ग्रामीण अपनी सामूहिक भूमिका निभाते हैं। जिससे कि सभी ईस्ट देवी देवता प्रसन्न रहें। साथ ही चारों दिन पांडव पश्वा पवित्र स्नान के बाद ग्रामीणों को आशिर्वाद देते हैं। ग्रामीणों के अनुसार पांडव पश्वा गांव के लिए चारों दिशाओं में सुरक्षा कवच का बंधन करते हैं। जिससे की गांव में किसी भी प्रकार की बाधाएं न आये।


Conclusion:वीओ-2, ग्राम प्रधान ज्ञानजा ममलेश भट्ट का कहना है कि इस यज्ञ के आयोजन से सभी ग्रामीण उत्साहित हैं। क्योंकि वर्षों बाद ग्रामीणों की ससुराल गई बेटियो ने अपने ईस्ट देवी देवताओं के दर्शन किये और पांडव पश्वो से आशीर्वाद लिया।
Last Updated : Jan 1, 2020, 11:35 PM IST
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