उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञानजा गांव में पांच सालों बाद चार दिवसीय पांडव नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें पांडव पश्वों ने गांव की चारों दिशाओं में सुरक्षा बन्धन किया. वहीं, इस मौके पर ससुराल गई बेटियां भी अपने ईस्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने मायके पहुंची. उन्होंने मां ज्वाला जी की डोली सहित पांडव देवताओं और मटिक ढोल-देवता का आशीर्वाद लिया.
उत्तरकाशी जनपद के ज्ञानजा गांव में ऐतिहासिक पांडव लीला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा गया. पांच सालों बाद होने वाले इस आयोजन में सामूहिक रूप से पांडव नृत्य और यज्ञ का आयोजन किया गया. इस दौरान गांव की सुख-समृद्धि और किसी भी तरह के अनिष्ठ से बचने के लिए गांव के चारों और सुरक्षा बंधन बांधा गया.
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ज्ञानजा के ग्राम प्रधान कमलेश भट्ट ने इस मौके पर कहा इस आयोजन से सभी ग्रामीण उत्साहित हैं. उन्होंने बताया ये ऐसा मौका होता है सभी लोग गांव वापस आते हैं. सभी मिलकर इस आयोजन में हिस्सा लेते हुए गांव के कुशल मंगल की कामना करते हैं.
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मान्यता के अनुसार, पांडव लीला में पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की परंपरा मुख्य है. स्वर्ग जाने से पहले भगवान कृष्ण के आदेश पर पांडव अपने अस्त्र-शस्त्र पहाड़ में छोड़कर मोक्ष के लिए स्वर्गारोहणी की ओर चले गए थे. जिन स्थानों पर यह अस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है और इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य करते हैं.