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पुरोलाः ठडुंग गांव की चट्टानों पर मौजूद हैं हूंण कालीन लिपि, उचित रख-रखाव के कारण हो रही विलुप्त

पुरोला विकासखंड के हुडोली के नजदीक ठडुंग गांव में दो ऊंची चट्टानों पर 1500 साल पुरानी हूंण कालीन लिपि उकेरी गई थी जो आज भी मौजूद है. इतने सालों से खुले आसमान के नीचे ये लिपि आज भी सुरक्षित और पढ़ने योग्य है. लेकिन धीरे-धीरे बीतते समय और उचित रख-रखाव के अभाव में ये लिपि धुंधली पड़ती जा रही है.

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Published : Feb 2, 2020, 10:53 PM IST

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ठडुंग गांव की चट्टानों पर मौजूद हैं हूंण कालीन लिपि,

पुरोला: उत्तराखंड में पुरातनकालीन सभ्यताओं के कई प्रमाण मिले हैं. उत्तरकाशी जनपद के पुरोला के हुडोली, ठडुंग गांव की चट्टानों पर हूंण कालीन लिपि उकेरी गई है. जो कि लगभग 1500 साल पुरानी मानी जाती है. इस ऐतिहासिक धरोहर को लेकर पुरातत्व विभाग उदासीन नजर आ रहा है. जिसके कारण इस लिपि पर संकट के बादल छा गए हैं. इन चट्टानों पर पानी के रिसाव से यह लिपि धुंधली पड़ती जा रही है.

पुरोला विकासखंड के हुडोली के नजदीक ठडुंग गांव में दो ऊंची चट्टानों पर 1500 साल पुरानी हूंण कालीन लिपि उकेरी गई थी जो आज भी मौजूद है. इतने सालों से खुले आसमान के नीचे ये लिपि आज भी सुरक्षित और पढ़ने योग्य है. लेकिन धीरे-धीरे बीतते समय और उचित रख-रखाव के अभाव में ये लिपि धुंधली पड़ती जा रही है.

ठडुंग गांव की चट्टानों पर मौजूद हैं हूंण कालीन लिपि,

पढ़ें- -सेवायोजन विभाग करेगा रोजगार मेलों का आयोजन, युवाओं को मिलेगा अवसर

इतिहासकारों का मानना है कि हुडोली का नाम भी हूंण जाति के लोगों के यहां रुकने की वजह से ही पड़ा होगा. आज भी इन गांवों के आसपास खुदाई के दौरान कई प्राचीन कालीन अवशेष मिलते हैं. जिससे यह सिद्ध होता है कि यहां पूर्व में कोई सभ्यता रही होगी. ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार विभाग को इस बारे में अवगत करवा दिया गया है, लेकिन विभाग के आला अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

पढ़ें- कॉलेज प्रबंधन को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिए छात्रों ने आयोजन किया बुद्धि शुद्धि यज्ञ

घाटी में पुरातात्विक गतिविधियों से संबंधित कई अभिलेख और निशान क्षेत्र में मौजूद हैं. बावजूद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस ओर बिल्कुल मौन पड़ा है. जिससे पूर्व कालीन संस्कृति के बारे में लोग अभी लोग अनभिज्ञ हैं. सरकार को चाहिए कि इस घाटी में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सक्रिय कर पुरातन संस्कृति के बारे में और शोध कर खुदाई की जाए, जिससे पूर्व कालीन संस्कृति की सटीक और सही जानकारी मिल सके.

पुरोला: उत्तराखंड में पुरातनकालीन सभ्यताओं के कई प्रमाण मिले हैं. उत्तरकाशी जनपद के पुरोला के हुडोली, ठडुंग गांव की चट्टानों पर हूंण कालीन लिपि उकेरी गई है. जो कि लगभग 1500 साल पुरानी मानी जाती है. इस ऐतिहासिक धरोहर को लेकर पुरातत्व विभाग उदासीन नजर आ रहा है. जिसके कारण इस लिपि पर संकट के बादल छा गए हैं. इन चट्टानों पर पानी के रिसाव से यह लिपि धुंधली पड़ती जा रही है.

पुरोला विकासखंड के हुडोली के नजदीक ठडुंग गांव में दो ऊंची चट्टानों पर 1500 साल पुरानी हूंण कालीन लिपि उकेरी गई थी जो आज भी मौजूद है. इतने सालों से खुले आसमान के नीचे ये लिपि आज भी सुरक्षित और पढ़ने योग्य है. लेकिन धीरे-धीरे बीतते समय और उचित रख-रखाव के अभाव में ये लिपि धुंधली पड़ती जा रही है.

ठडुंग गांव की चट्टानों पर मौजूद हैं हूंण कालीन लिपि,

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इतिहासकारों का मानना है कि हुडोली का नाम भी हूंण जाति के लोगों के यहां रुकने की वजह से ही पड़ा होगा. आज भी इन गांवों के आसपास खुदाई के दौरान कई प्राचीन कालीन अवशेष मिलते हैं. जिससे यह सिद्ध होता है कि यहां पूर्व में कोई सभ्यता रही होगी. ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार विभाग को इस बारे में अवगत करवा दिया गया है, लेकिन विभाग के आला अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

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घाटी में पुरातात्विक गतिविधियों से संबंधित कई अभिलेख और निशान क्षेत्र में मौजूद हैं. बावजूद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस ओर बिल्कुल मौन पड़ा है. जिससे पूर्व कालीन संस्कृति के बारे में लोग अभी लोग अनभिज्ञ हैं. सरकार को चाहिए कि इस घाटी में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सक्रिय कर पुरातन संस्कृति के बारे में और शोध कर खुदाई की जाए, जिससे पूर्व कालीन संस्कृति की सटीक और सही जानकारी मिल सके.

Intro:स्थान -पुरोला/ स्पेशल रिपोर्ट /अनिल असवाल
एंकर-उत्तराखण्ड में पुरातनकालीन सभ्यताओं के कई प्रमाण मिले हैं ।इसी कड़ी में उत्तरकाशी जनपद के पुरोला के हुडोली,ठडुंग गांव में हूँण कालीन लिपि चट्टानों पर लिखी गई है जो लगभग 1500वर्ष पूर्व की मानी जाती है लेकिन पुरातत्व विभाग की उदासीनता व उचित रख रखाव के न होने से इस लिपि पर संकटों के बादल छा गए हैं । चट्टानों पर पानी के रिसाव से यह लिपि धुंधली पड़ती जा रही है। जिसके संरक्षण की आज सख्त आवश्यकता है ताकि आने वाले भविष्य में लोग क्षेत्र की पुरातात्विक महत्व को समझ सके।


Body:वीओ- पुरोला विकासखंड के हुडोली के नजदीक ठडुंग गांव में दो ऊंची चट्टानों पर 1500 वर्ष पूर्व हूँण कालीन लिपि उकेरी गई थी जो आज भी मौजूद है । इतने सालों से खुले आसमान के नीचे ये लिपि आज भी सुरक्षित और पढ़ने योग्य है । लेकिन इन चट्टानों पर पानी का रिसाव होने से ये लिपि धुंधली पडती जा रही है और पुरातत्व विभाग मौन है । इतिहासकारों का मानना है कि हुडोली का नाम भी हूँण लोगों के यहां रुकने की वजह से ही पड़ा होगा ।आज भी इन गांवों के आसपास खुदाई के दौरान कई प्राचीन कालीन अवशेष मिलते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि यहां पूर्व में कोई सभ्यता रही होगी लेकिन पुरातत्व विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं देता है ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार विभाग को इस बारे में अवगत करवा दिया गया लेकिन विभाग के आला अधिकारी देख कर चले जाते है ।और इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहे है । जिससे की संस्कृति को संरक्षित रखा जा सके ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस बारे में कुछ जानकारी जुटा सके ।
बाईट- जगत सिंह (ग्रामीण)
बाईट-मनमोहन चौहान (इतिहासकार)


Conclusion:वीओ-घाटी में पुरातात्विक गतिविधियों से संबंधित कई अभिलेख और निशान क्षेत्र में मौजूद हैं बावजूद इसके पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस ओर बिल्कुल मौन पड़ा है जिससे पूर्व कालीन संस्कृति के बारे में लोग अभी भी अनभिज्ञ है सरकार को चाहिए कि ईस घाटी में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सक्रिय कर पुरातन संस्कृति के बारे में और शोध कर खुदाई की जाए जिससे पूर्व कालीन संस्कृति की सटीक और सही जानकारी मिल सके ।
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