उत्तरकाशीः सीमांत मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई आपदा के बाद अभी भी परेशानी कम नहीं हुई है. प्रशासन की टीम लगातार बचाव और राहत के काम में जुटी है. बादल फटने की घटना के बाद क्षेत्र के 13 से 14 गांव पूरी तरह से प्रभावित हैं. इन गांवों में घटना के तीसरे दिन भी संचार और विद्युत व्यवस्था बहाल नहीं हो पाई है. मात्र आराकोट बेस कैंप में ही संचार सुविधा सुचारू है. कई जगहों पर सड़कें भी टूट और बह गई हैं. ऐसे में पूरा क्षेत्र मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ा हुआ है.
बता दें कि बीते रविवार तड़के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जहां पर बारिश ने जमकर कहर बरपाया था. माकुड़ी गांव में कुछ मकान जमींदोज गए. जिसमें कई लोग जिंदा दफन हो गए थे. साथ ही कुछ लोग लापता हो गए थे. वहीं, माकुड़ी नाले के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन और घर बह गए थे.
पब्बर नदी के उफान पर आने से आराकोट में भी भारी तबाही मची. जिसमें कई लोग बह गए थे. वहीं, आराकोट में बेस कैंप बनाया गया है. जहां पर डीएम डॉ. आशीष चौहान मौजूद हैं. आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ समेत कई टीमों द्वारा युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है. उधर, घटना के तीसरे दिन भी क्षेत्र में संचार सुविधा सुचारू नहीं हो पाई है.
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यहां पर डगोली में एक बीएसएनएल का मोबाइल टावर भी लगा है. जो मौसम खराब होने पर काम करना बंद कर देता है. ऐसे में मोबाइल महज शोपीस बनकर रह जाते हैं. स्थानीय लोग इससे पहले भी कई बार शासन-प्रशासन को नेटवर्क की समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभीतक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. आपदा की घटना की जानकारी भी ग्रामीणों ने हिमाचल के नेटवर्क के जरिए दी थी.
संचार सुविधा ध्वस्त होने से क्षेत्र से बाहर रहने वाले लोगों का अपने गांवों से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. साथ ही पेयजल सुविधा पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. लोगों के आय का मुख्य जरिया काश्तकारी और बागवानी है. बारिश से सेब की फसल तबाह हो गई है. ऐसे में आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है. विद्युत व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप है.