उत्तरकाशीः प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए 12:15 मिनट पर विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं. जिसके बाद मां गंगा की डोली आर्मी बैंड और ढोल-दमाऊ के साथ अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए रवाना हुई. आगामी 6 महीने तक श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन मुखबा गांव में करेंगे. इस दौरान पूरी घाटी मां गंगा के जयकारों से गुंजायमान हुई.
बता दें कि मां गंगा का स्वागत मुखबा गांव के लोग बेटी की तरह करते हैं. मुखबा गांव के सेमवाल पुरोहित मां गंगा की मुखबा में भी शीतकाल में गंगोत्री धाम की तरह ही विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. गंगोत्री मंदिर धाम समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि मां गंगा के कपाट आज दोपहर 12:15 मिनट पर कार्तिक शुक्ल पक्ष के अन्नूकूट पर्व पर विधि-विधान के साथ 6 महीने शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर मां गंगा की डोली भोगमूर्ति के साथ अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के साथ रवाना हुई.
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हालांकि, इस बार कोरोनाकाल के चलते मां गंगा के गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को मिली. लेकिन उसके बाद भी देश के विभिन्न प्रदेशों से सीमित संख्या में जिन यात्रियों ने इस पावन बेला पर गंगा मां के दर्शन किए, वो काफी अभिभूत नजर आए. वहीं, मां गंगा की डोली पैदल जांगला मार्ग से शाम को मुखबा गांव से 3 किमी पहले मार्कण्डेय मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी. जहां पर स्थानीय लोग और यात्री रात भर मां गंगा के साथ अन्य देवी-देवताओं का कीर्तन भजन करते हैं.
वहीं, 16 नवंबर को भैयादूज के अवसर पर मां गंगा की डोली दोपहर मुखबा गांव के लिए रवाना होगी. जहां पर ग्रामीण मां गंगा का भव्य स्वागत करेंगे. उसके बाद शीतकाल में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में सेमवाल जाति के पुरोहित मां गंगा की 6 महीने तक विधिवत पूजा करते हैं.
16 नवंबर को बंद होंगे यमुनोत्री धाम के कपाट
उधर, यमुनोत्री धाम के कपाट 16 नवंबर को बंद होंगे. जिसके बाद मां यमुना के दर्शन श्रद्धालु शीतकाल में खरसाली (खुशीमठ) में कर सकेंगे. हालांकि, कोरोना संक्रमण का असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ा. अनलॉक प्रक्रिया के तहत छूट मिलने के बाद श्रद्धालुओं ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन किए.