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इस बार गोमुख की राह नहीं आसान, हिमस्खलन खड़ी कर सकता है मुश्किलें

गंगोत्री नेशनल पार्क से वापस लौटे पर्वतारोहियों ने बताया कि इस बार ट्रैकिंग में मौसम की अहम भूमिका रहेगी. पर्वतारोही 20 अप्रैल के बाद ही गंगोत्री नेशनल पार्क में आरोहण के लिए जा पाएंगे. उन्होंने यात्रियों और पर्वतारोहियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी जानकारी के बाद ही गोमुख यात्रा के लिए निकलें.

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Published : Apr 5, 2019, 9:15 PM IST

बर्फ के बीच पर्वतारोही.

उत्तरकाशीः वन विभाग और पर्वतारोहियों का दल गोमुख तपोवन रूट समेत गंगोत्री नेशनल पार्क की रेकी कर वापस लौटा है. इस बार हुए रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी होने से ट्रैक रूटों पर काफी बर्फ है. जिसके कारण ये दल चिड़बासा से ही वापस लौट आया. Etv Bharat से बातचीत करते हुए पर्वतारोह दल ने बताया कि रूट पर गंगा नदी बर्फ के बीच छोटे-छोटे तालाबों के रूप में दिख रही है. जिससे आम यात्री और ट्रैकर्स मई महीने के बाद ही गोमुख और तपोवन जा सकेंगे. वहीं, उन्होंने एवलांच का खतरा भी बताया.

जानकारी देते पर्वतारोही.


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गंगोत्री नेशनल पार्क से वापस लौटे पर्वतारोहियों ने बताया कि इस बार ट्रैकिंग में मौसम की अहम भूमिका रहेगी. पर्वतारोही 20 अप्रैल के बाद ही गंगोत्री नेशनल पार्क में आरोहण के लिए जा पाएंगे. उन्होंने यात्रियों और पर्वतारोहियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी जानकारी के बाद ही गोमुख यात्रा के लिए निकलें. पर्वतारोही दीपक राणा ने बताया कि इस बार गोमुख और तपोवन की राह आसान नहीं होगी. सालों बाद गोमुख और गंगोत्री घाटी में काफी बर्फबारी देखने को मिली है. जिससे गंगा नदी और ट्रैक एक समान लग रहे हैं. ऐसे में गंगा की धारा और ट्रैक का पता लगाना मुश्किल हैं. उन्होंने कहा कि मौसम साफ होने पर और मई महीने के बाद ही आम यात्री गोमुख जा पाएंगे. इस दौरान फिर से बर्फबारी होने पर मुश्किलें बढ़ सकती है. साथ ही कहा कि अनुभवी पर्वतारोही इस बार गंगोत्री नेशनल पार्क के रोमांच से रूबरू हो सकेंगे.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड: कल श्रीनगर में रैली करेंगे राहुल गांधी, आलू खरीदने में जुटे BJP कार्यकर्ता

वहीं, पर्वतारोही मनोज रावत ने बताया कि इस बार कनखू बैरियर से गोमुख तक 9 से 10 एवलांच मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. मौसम साफ होने पर ट्रैक से बर्फ पिघलती है, तो ऊपर से आने वाले एवलांच जोखिम भरे साबित हो सकते हैं. रावत ने बताया कि पार्क प्रशासन की ओर से पर्वतारोहियों को 20 अप्रैल से गोमुख जाने की अनुमति दी जाएगी. एक अन्य पर्वतारोही विनोद पंवार ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क में शिवलिंग, सतोपंथ जैसे बड़े पीक हैं. जिन्हें फतह करने हर साल हजारों पर्वतारोही आते हैं. इसलिए इस बार उनके लिए सफर का अनुभव काफी अहम रहेगा. अनुभवी पर्वतारोही ही बर्फीली चोटियों के रोमांच से लड़ पायेगा. आम ट्रैकर्स और यात्रियों को मौसम की जानकारी समेत ट्रैक की असली यथास्थिति के बाद ही गोमुख तपोवन के लिए आना होगा.

उत्तरकाशीः वन विभाग और पर्वतारोहियों का दल गोमुख तपोवन रूट समेत गंगोत्री नेशनल पार्क की रेकी कर वापस लौटा है. इस बार हुए रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी होने से ट्रैक रूटों पर काफी बर्फ है. जिसके कारण ये दल चिड़बासा से ही वापस लौट आया. Etv Bharat से बातचीत करते हुए पर्वतारोह दल ने बताया कि रूट पर गंगा नदी बर्फ के बीच छोटे-छोटे तालाबों के रूप में दिख रही है. जिससे आम यात्री और ट्रैकर्स मई महीने के बाद ही गोमुख और तपोवन जा सकेंगे. वहीं, उन्होंने एवलांच का खतरा भी बताया.

जानकारी देते पर्वतारोही.


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गंगोत्री नेशनल पार्क से वापस लौटे पर्वतारोहियों ने बताया कि इस बार ट्रैकिंग में मौसम की अहम भूमिका रहेगी. पर्वतारोही 20 अप्रैल के बाद ही गंगोत्री नेशनल पार्क में आरोहण के लिए जा पाएंगे. उन्होंने यात्रियों और पर्वतारोहियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी जानकारी के बाद ही गोमुख यात्रा के लिए निकलें. पर्वतारोही दीपक राणा ने बताया कि इस बार गोमुख और तपोवन की राह आसान नहीं होगी. सालों बाद गोमुख और गंगोत्री घाटी में काफी बर्फबारी देखने को मिली है. जिससे गंगा नदी और ट्रैक एक समान लग रहे हैं. ऐसे में गंगा की धारा और ट्रैक का पता लगाना मुश्किल हैं. उन्होंने कहा कि मौसम साफ होने पर और मई महीने के बाद ही आम यात्री गोमुख जा पाएंगे. इस दौरान फिर से बर्फबारी होने पर मुश्किलें बढ़ सकती है. साथ ही कहा कि अनुभवी पर्वतारोही इस बार गंगोत्री नेशनल पार्क के रोमांच से रूबरू हो सकेंगे.

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वहीं, पर्वतारोही मनोज रावत ने बताया कि इस बार कनखू बैरियर से गोमुख तक 9 से 10 एवलांच मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. मौसम साफ होने पर ट्रैक से बर्फ पिघलती है, तो ऊपर से आने वाले एवलांच जोखिम भरे साबित हो सकते हैं. रावत ने बताया कि पार्क प्रशासन की ओर से पर्वतारोहियों को 20 अप्रैल से गोमुख जाने की अनुमति दी जाएगी. एक अन्य पर्वतारोही विनोद पंवार ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क में शिवलिंग, सतोपंथ जैसे बड़े पीक हैं. जिन्हें फतह करने हर साल हजारों पर्वतारोही आते हैं. इसलिए इस बार उनके लिए सफर का अनुभव काफी अहम रहेगा. अनुभवी पर्वतारोही ही बर्फीली चोटियों के रोमांच से लड़ पायेगा. आम ट्रैकर्स और यात्रियों को मौसम की जानकारी समेत ट्रैक की असली यथास्थिति के बाद ही गोमुख तपोवन के लिए आना होगा.

Intro:हेडलाइन- गंगोत्री नेशनल पार्क की राह नहीं आसान।। Slug- Uk_uttarkashi_vipin negi_dificult gang otro national paark_05 april 2019. (exclusive)। नोट- इस खबर के वीडियो दो मेल पर भेजे गए हैं। उत्तरकाशी। गंगोत्री नेशनल पार्क वन विभाग सहित पर्वतारोहियों का दल गोमुख तपोवन रूट और गंगोत्री नेशनल पार्क का दो दिवसीय रेकी कर वापस लौट आया है। ट्रैक में अत्यधिक बर्फ होने के कारण दल चिड़बासा से ही वापस लौट आया। गंगोत्री नेशनल पार्क से वापस लौटे पर्वतारोही दल से etv bharat की और से विपिन नेगी की exclusive और खास बातचीत। पर्वतारोहियों ने बताया कि रूट में गंगा नदी बर्फ के बीच छोटे छोटे तालाबो के रूप में दिख रही है। साथ ही आम यात्री और ट्रैकर्स मई माह के बाद ही गोमुख तपोवन जा पाएंगे। जिसमें मौसम की अहम भूमिका रहेगी। साथ ही पर्वतारोही 20 अप्रैल के बाद ही गंगोत्री नेशनल पार्क में आरोहण के लिए जा पाएंगे। साथ ही आम यात्रियों को पर्वतारोही की सलाह है कि वह पूरी जानकारी के बाद ही गोमुख यात्रा के लिए निकले। क्योंकि मार्ग पर एवलांच इस बार मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।


Body:वीओ-1, गंगोत्री नेशनल पार्क वन विभाग की टीम ने पर्वतारोहियों और एसडीआरएफ की टीम के साथ दो दिन तक गंगोत्री नेशनल पार्क में ट्रैक की रेकी की। टीम के सभी सदस्य शुक्रवार को उत्तरकाशी वापस लौट आये। पर्वतारोही दीपक राणा ने etv bharat को बताया कि इस बार गोमुख और तपोवन की राह आसान नहीं रहेगी। क्योंकि सालों बाद ऐसी बर्फ गोमुख और गंगोत्री घाटी में देखने को मिली है। गंगा नदी और ट्रैक एक समान लग रहे हैं। यह पता नहीं चल पा रहा है कि कहाँ पर गंगा बह रही है और कहाँ पर ट्रैक है। कहा कि अगर मौसम साफ रहता है तो मई माह के बाद ही आम यात्री गोमुख जा पायेगा और अगर फिर बर्फबारी होती है। तो मुश्किलें बढ़ सकती है। कहा कि जिस प्रकार से इस बार बर्फ है। उसको देखते हुए अनुभवी पर्वतारोही इस इस बार गंगोत्री नेशनल पार्क के रोमांच से रूबरू हो पायेगा।


Conclusion:वीओ-2, पर्वतारोही मनोज रावत ने बताया कि इस बार कनखू बेरियर से गोमुख तक 9 से 10 एवलांच मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। अगर मौसम साफ होता है और ट्रैक से बर्फ पिघलती है। तो ऊपर से आने वाले एवलांच खतरा साबित हो सकते हैं। रावत ने बताया कि पार्क प्रशासन की और से पर्वतारोहियों को 20 अप्रैल से गोमुख जाने की अनुमति दी जाएगी। विनोद पंवार ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क में शिवलिंग,सतोपंथ जैसे बड़े पीक हैं। जिन्हें फतह करने हर साल हजारों पर्वतारोही आते हैं। इसलिए इस बार अनुभव बहुत अहम होगा। क्योंकि जो अनुभवी पर्वतारोही होगा। वही इस बार बर्फीली चोटियों के रोमांच से लड़ पायेगा। कहा कि आम ट्रैकर्स और यात्रियों को मौसम की जानकारी सहित ट्रैक की असली यथास्थिति के बाद ही गोमुख तपोवन के लिए आना होगा।
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