उत्तरकाशीः वन विभाग और पर्वतारोहियों का दल गोमुख तपोवन रूट समेत गंगोत्री नेशनल पार्क की रेकी कर वापस लौटा है. इस बार हुए रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी होने से ट्रैक रूटों पर काफी बर्फ है. जिसके कारण ये दल चिड़बासा से ही वापस लौट आया. Etv Bharat से बातचीत करते हुए पर्वतारोह दल ने बताया कि रूट पर गंगा नदी बर्फ के बीच छोटे-छोटे तालाबों के रूप में दिख रही है. जिससे आम यात्री और ट्रैकर्स मई महीने के बाद ही गोमुख और तपोवन जा सकेंगे. वहीं, उन्होंने एवलांच का खतरा भी बताया.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गंगोत्री नेशनल पार्क से वापस लौटे पर्वतारोहियों ने बताया कि इस बार ट्रैकिंग में मौसम की अहम भूमिका रहेगी. पर्वतारोही 20 अप्रैल के बाद ही गंगोत्री नेशनल पार्क में आरोहण के लिए जा पाएंगे. उन्होंने यात्रियों और पर्वतारोहियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी जानकारी के बाद ही गोमुख यात्रा के लिए निकलें. पर्वतारोही दीपक राणा ने बताया कि इस बार गोमुख और तपोवन की राह आसान नहीं होगी. सालों बाद गोमुख और गंगोत्री घाटी में काफी बर्फबारी देखने को मिली है. जिससे गंगा नदी और ट्रैक एक समान लग रहे हैं. ऐसे में गंगा की धारा और ट्रैक का पता लगाना मुश्किल हैं. उन्होंने कहा कि मौसम साफ होने पर और मई महीने के बाद ही आम यात्री गोमुख जा पाएंगे. इस दौरान फिर से बर्फबारी होने पर मुश्किलें बढ़ सकती है. साथ ही कहा कि अनुभवी पर्वतारोही इस बार गंगोत्री नेशनल पार्क के रोमांच से रूबरू हो सकेंगे.
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वहीं, पर्वतारोही मनोज रावत ने बताया कि इस बार कनखू बैरियर से गोमुख तक 9 से 10 एवलांच मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. मौसम साफ होने पर ट्रैक से बर्फ पिघलती है, तो ऊपर से आने वाले एवलांच जोखिम भरे साबित हो सकते हैं. रावत ने बताया कि पार्क प्रशासन की ओर से पर्वतारोहियों को 20 अप्रैल से गोमुख जाने की अनुमति दी जाएगी. एक अन्य पर्वतारोही विनोद पंवार ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क में शिवलिंग, सतोपंथ जैसे बड़े पीक हैं. जिन्हें फतह करने हर साल हजारों पर्वतारोही आते हैं. इसलिए इस बार उनके लिए सफर का अनुभव काफी अहम रहेगा. अनुभवी पर्वतारोही ही बर्फीली चोटियों के रोमांच से लड़ पायेगा. आम ट्रैकर्स और यात्रियों को मौसम की जानकारी समेत ट्रैक की असली यथास्थिति के बाद ही गोमुख तपोवन के लिए आना होगा.