उत्तरकाशी: उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां सेब की पैदावार के लिए अनुकूल है. कुछ सालों में सेब की पैदावार में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित स्योरी फल पट्टी में सेब की पेड़ों पर असमय फूल खिलने और दाने दिखाई देने से काश्तकार चिंतित हैं. काश्तकारों का कहना है कि पहली बार इस तरह की समस्या देखने को मिल रही है. जिसका असर उत्पादन को प्रभावित कर सकता है.
समय से पहले हुई सेब के पेड़ों में फ्लावरिंग: विगत वर्ष स्योरी फल पट्टी में बीमारी और ओलावृष्टि की मार से फसल खराब हो गई थी. सेब की फसल से काश्तकार दवाई, खाद्य और मजदूरों की दिहाड़ी भी नहीं निकाल पाए थे. इस वर्ष अच्छी फसल की उम्मीद थी किंतु बगीचों में सेब के पेड़ों पर असमय फूल खिलने और कहीं-कहीं दाने दिखाई देने से काश्तकारों की चिंता बढ़ गई है. फरवरी और मार्च माह में सेब के पेड़ों पर फ्लावरिंग का समय होता है.
पढ़ें-नैनीताल का रामगढ़ बना हॉर्टी टूरिज्म सेक्टर, 8 एकड़ भूमि पर लहलहा रही सेब की फसल
काश्तकारों की बढ़ी चिंता: किंतु स्योरी फल पट्टी में नवंबर माह में ही पेड़ों पर फूल खिल आये हैं. जबकि नवंबर माह में काश्तकार सेब के बगीचों में पेड़ों की काट-छांट, पेस्ट कंट्रोल, थोले बना कर गोबर की खाद मिलाने का कार्य किया जाता है. सेब काश्तकार गजेंद्र नौटियाल, आनंद बिजल्वाण का कहना है कि स्योरी फल पट्टी में पहली बार असमय फूल खिलने की घटना देखने को मिल रही है. जिससे काश्तकारों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है.
पढ़ें-भूस्खलन की जद में आए सेब के बगीचे, काश्तकारों के चेहरे पर दिखी चिंता की लकीर
जानिए क्या कह रहे जिम्मेदार: उद्यान विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि असमय पेड़ों पर फूल आने को स्यूडो फ्लावरिंग कहते हैं, अनुकूल तापमान और जलवायु न मिलने पर इस प्रकार की चीजें देखने को मिलती हैं. इससे उत्पादन पर असर नही पड़ता है. बल्कि आने वाले फलों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. काश्तकारों को ऐसी अवस्था में पेड़ों में अतिरिक्त पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए.