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उत्तरकाशी: खेतों में ही सड़ रहे किसानों के सेब, प्रशासन करा रहा एप्पल फेस्टिवल

हर्षिल और उपला टकनौर के सेब बागवान काश्तकारों ने शासन-प्रशासन द्वारा कराए जा रहे एप्पल फेस्टिवल पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि प्रशासन करोड़ो खर्च कर एप्पल फेस्टिवल का आयोजन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन सेब के ठेकेदारों को मंडियों से बागवानों तक नहीं पहुंचा पा रहा है.

खेतों में ही सड़ गए किसानों के सेब.
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Published : Oct 14, 2019, 3:08 PM IST

उत्तरकाशी: इस साल पर्वतीय क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी होने के बावजूद भी काश्तकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. सेब की अच्छी पैदावार के बाद भी ठेकेदार क्षेत्र में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे बाजार न मिल पाने से काश्तकारों को सेब खेतों में ही खराब होने की चिंता सता रही है. जबकि शासन-प्रशासन एप्पल फेस्टिवल मनाकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश में जुटा हुआ है.

खेतों में ही सड़ गए किसानों के सेब.

गौर हो कि हर्षिल और उपला टकनौर के सेब बागवान काश्तकार मायूस नजर आ रहे हैं. सेब की पैदावार अच्छी होने के बाद भी ठेकेदार क्षेत्रों में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते किसानों के खेतों में ही सेब बर्बाद हो रहे हैं.

बता दें कि हर्षिल घाटी के सुक्की, झाला, जसपुर, पुराली, मुखबा, हर्षिल, बगोरी और धराली गांव में सबसे ज्यादा सेब की पैदावार होती है. साथ ही इस घाटी के सेब अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं. बावजूद इसके इस साल ठेकेदार सेब की खरीदने यहां नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते काश्तकार काफी मायूस हैं.

काश्तकारों ने बताया कि इस साल हुई बर्फबारी से सेब की अच्छी पैदावार हुई है. बावजूद इसके उनकी सेब की फसल खेतों में ही सड़ रही है. लेकिन शासन-प्रशासन मामले को लेकर किसी भी तरह के कदम नहीं उठा रहा है.

ये भी पढ़े: रुड़कीः खुलेआम फायरिंग केस में कुलदीप चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज, लाइसेंस हो सकता है निरस्त

वहीं हर्षिल घाटी के स्थानीय सेब बागवानों ने आगामी 23 और 24 अक्टूबर को होने वाले एप्पल फेस्टिवल पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि एक तरफ प्रशासन करोड़ो खर्च कर एप्पल फेस्टिवल का आयोजन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन सेब के ठेकेदारों को मंडियों से बागवानों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में जब सेब मंडियों तक ही नहीं पहुंचेगा तो शासन-प्रशासन की ओर से कराए जा रहे एप्पल फेस्टिवल का फायदा ही क्या है.वहीं सेब बागवानों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य तय कर बागवानों को राहत दिए जाने की मांग की है.

उत्तरकाशी: इस साल पर्वतीय क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी होने के बावजूद भी काश्तकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. सेब की अच्छी पैदावार के बाद भी ठेकेदार क्षेत्र में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे बाजार न मिल पाने से काश्तकारों को सेब खेतों में ही खराब होने की चिंता सता रही है. जबकि शासन-प्रशासन एप्पल फेस्टिवल मनाकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश में जुटा हुआ है.

खेतों में ही सड़ गए किसानों के सेब.

गौर हो कि हर्षिल और उपला टकनौर के सेब बागवान काश्तकार मायूस नजर आ रहे हैं. सेब की पैदावार अच्छी होने के बाद भी ठेकेदार क्षेत्रों में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते किसानों के खेतों में ही सेब बर्बाद हो रहे हैं.

बता दें कि हर्षिल घाटी के सुक्की, झाला, जसपुर, पुराली, मुखबा, हर्षिल, बगोरी और धराली गांव में सबसे ज्यादा सेब की पैदावार होती है. साथ ही इस घाटी के सेब अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं. बावजूद इसके इस साल ठेकेदार सेब की खरीदने यहां नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते काश्तकार काफी मायूस हैं.

काश्तकारों ने बताया कि इस साल हुई बर्फबारी से सेब की अच्छी पैदावार हुई है. बावजूद इसके उनकी सेब की फसल खेतों में ही सड़ रही है. लेकिन शासन-प्रशासन मामले को लेकर किसी भी तरह के कदम नहीं उठा रहा है.

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वहीं हर्षिल घाटी के स्थानीय सेब बागवानों ने आगामी 23 और 24 अक्टूबर को होने वाले एप्पल फेस्टिवल पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि एक तरफ प्रशासन करोड़ो खर्च कर एप्पल फेस्टिवल का आयोजन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन सेब के ठेकेदारों को मंडियों से बागवानों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में जब सेब मंडियों तक ही नहीं पहुंचेगा तो शासन-प्रशासन की ओर से कराए जा रहे एप्पल फेस्टिवल का फायदा ही क्या है.वहीं सेब बागवानों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य तय कर बागवानों को राहत दिए जाने की मांग की है.

Intro:उत्तरकाशी। इस वर्ष अच्छी बर्फबारी हुई। तो बागवानों की उम्मीद के अनुसार सेब की भी अच्छी पैदावार हुई। लेकिन उसके बाद भी हर्षिल और उपला टकनौर के सेब बागवान मायूस नजर आ रहे हैं। सेब बागवानों का कहना है कि इस बार सेब की पैदावार अच्छी हुई। तो सेब के ठेकेदार इस वर्ष सेब लेने नहीं पहुंच रहे हैं। जिस कारण सेब खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं। बागवानों का कहना है कि जब सेब मंडियों तक ही नहीं पहुंचेगा। तो शासन प्रशासन की और से कराए जाने वाले एप्पल फेस्टिवल का फायदा ही क्या है। Body:वीओ-1, हर्षिल घाटी के सुक्की,झाला,जसपुर सहित पुराली,मुखबा,हर्षिल,बगोरी,धराली आदि गांव में जनपद के सबसे ज्यादा सेब की पैदावार होती है। वहीं इस घाटी के सेब अपनी मात्रा और गुणवत्ता के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। लेकिन इस वर्ष सेब के ठेकेदार मंडियों से क्षेत्र में सेब की खरीद के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। जिस कारण सेब बागवान मायूस नजर आ रहे हैं। सेब बागवानों का कहना है कि इस वर्ष हुई अच्छी बर्फबारी से सेब की अच्छी पैदावार हुई है। उसके बावजूद भी सेब घरों में और खेतों में ही सड़ने को मजबूर है। लेकिन उसके बावजूद भी शासन प्रशासन किसी प्रकार के उचित कदम नहीं उठा रहा है। Conclusion:वीओ-2, हर्षिल घाटी के स्थानीय सेब बागवानों ने हर्षिल में आगामी 23 और 24 अक्टूबर को होने वाले एप्पल फेस्टिवल पर सवाल खड़ा किया है। कहा कि सेब के ठेकेदारों को प्रशासन मंडियों से बागवानों तक नहीं पहुंचा पा रहा है। तो वहीं करोड़ो खर्च कर एप्पल फेस्टिवल किया जा रहा है। वहीं सेब बागवानों ने सरकार से मांग की है कि सेब का समर्थन मूल्य तय कर बागवानों को राहत दी जाए। बाइट- कृपाराम सेमवाल,सेब बागवान। बाइट- सतेंद्र सेमवाल,सेब बागवान। बाइट - सेब बागवान।
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