उत्तरकाशी: इस साल पर्वतीय क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी होने के बावजूद भी काश्तकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. सेब की अच्छी पैदावार के बाद भी ठेकेदार क्षेत्र में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे बाजार न मिल पाने से काश्तकारों को सेब खेतों में ही खराब होने की चिंता सता रही है. जबकि शासन-प्रशासन एप्पल फेस्टिवल मनाकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश में जुटा हुआ है.
गौर हो कि हर्षिल और उपला टकनौर के सेब बागवान काश्तकार मायूस नजर आ रहे हैं. सेब की पैदावार अच्छी होने के बाद भी ठेकेदार क्षेत्रों में सेब खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते किसानों के खेतों में ही सेब बर्बाद हो रहे हैं.
बता दें कि हर्षिल घाटी के सुक्की, झाला, जसपुर, पुराली, मुखबा, हर्षिल, बगोरी और धराली गांव में सबसे ज्यादा सेब की पैदावार होती है. साथ ही इस घाटी के सेब अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं. बावजूद इसके इस साल ठेकेदार सेब की खरीदने यहां नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते काश्तकार काफी मायूस हैं.
काश्तकारों ने बताया कि इस साल हुई बर्फबारी से सेब की अच्छी पैदावार हुई है. बावजूद इसके उनकी सेब की फसल खेतों में ही सड़ रही है. लेकिन शासन-प्रशासन मामले को लेकर किसी भी तरह के कदम नहीं उठा रहा है.
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वहीं हर्षिल घाटी के स्थानीय सेब बागवानों ने आगामी 23 और 24 अक्टूबर को होने वाले एप्पल फेस्टिवल पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि एक तरफ प्रशासन करोड़ो खर्च कर एप्पल फेस्टिवल का आयोजन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन सेब के ठेकेदारों को मंडियों से बागवानों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में जब सेब मंडियों तक ही नहीं पहुंचेगा तो शासन-प्रशासन की ओर से कराए जा रहे एप्पल फेस्टिवल का फायदा ही क्या है.वहीं सेब बागवानों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य तय कर बागवानों को राहत दिए जाने की मांग की है.