उत्तरकाशीः आज से ठीक 28 साल पहले यानि 19 अक्टूबर 1991 की वो काली रात सैकड़ों लोगों के लिए काल बन कर आई थी. जब रात के 3 बजे लोग गहरी नींद में सोए हुए थे. अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे. इस भयानक कंपन ने उत्तरकाशी के लोगों का सब कुछ छीन लिया था. जिसे याद कर ग्रामीण सिहर जाते हैं. आपको दिखाते हैं, Etv Bharat को मिली 1991 के भूकंप की Exclusive तस्वीरें और जामक गांव के ग्रामीणों की जुबानी भूकंप की कहानी..
...पोते और पोती हुई थी तो लगा कि पूरी दुनिया मिल गई, लेकिन किसे पता था कि जब तक वो दुनिया देखेंगे, तब तक पूरी दुनिया ही उजड़ गई होगी. यह कहना है जामक गांव के जलमा देवी का. जिन्होंने 1991 के भूकंप में अपने पोते और पोती को खो दिया था. इसी तरह ना जाने कितने लोगों की जान इस भूकंप ने लील ली थी.
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इन्हीं में एक व्यक्ति बलदेव सिंह भी शामिल थे. जो खुद को काफी खुशनसीब समझ रहे हैं. इस भूकंप की चपेट में आने से वो मलबे में दब गए थे, लेकिन दूसरे दिन राहत कार्यों के लिए पहुंची आईटीबीपी ने उन्हें मलबे से बाहर निकाला था. जिससे उन्हें एक नई जिंदगी मिली थी. इस घटना ने पूरी घाटी की तस्वीर बदल दी थी.
उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर की रात को भूकंप आया था. अगले दिन 20 अक्टूबर को सुबह होने पर चारों ओर टूटे-बिखरे घर और मलबे में दबी लाशें ही नजर आ रही थीं. बलदेव सिंह के मुताबिक, जामक गांव से 72 लोग अपनी जान गवां चुके थे. सारे मकान जमींदोज हो गए थे. जिसमें 90 से 95 बेजुबान भी काल के गाल में समा गए थे.
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गौर हो कि, साल 1991 में 19 अक्टूबर को रात 3 बजे आए भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी के जामक गांव में था. जहां पर जान माल का भारी नुकसान हुआ था. रेक्टर स्केल पर यह भूकंप 6.1 मापा गया था. उत्तरकाशी में आए भूकंप ने कई गांव तबाह कर दिए थे. जामक गांव के साथ ही गणेशपुर, गिनडा समेत मनेरी और अन्य गांव में जान माल का काफी नुकसान हुआ था. कई लोग उस काली रात को याद कर सिहर जाते हैं. इस जख्म को कभी नहीं भूल सकते हैं.