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उत्तरकाशीः 1991 की काली रात को याद कर सिहर उठते हैं ग्रामीण, देखें Exclusive तस्वीर - उत्तरकाशी आपदा

19 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में भूकंप आया था. इसका केंद्र उत्तरकाशी के जामक गांव में था. जहां पर जान माल का भारी नुकसान हुआ था. रेक्टर स्केल पर यह भूकंप 6.1 मापा गया था. इस भूकंप में सैकड़ों लोग काल के गास में समा गए थे. Etv Bharat को इस भूकंप की Exclusive तस्वीरें मिली हैं. साथ ही जामक गांव के लोगों ने इस भयावह मंजर की दास्ता सुनाई है.

1991 earthquake in uttarkashi
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Published : Oct 19, 2019, 10:09 PM IST

उत्तरकाशीः आज से ठीक 28 साल पहले यानि 19 अक्टूबर 1991 की वो काली रात सैकड़ों लोगों के लिए काल बन कर आई थी. जब रात के 3 बजे लोग गहरी नींद में सोए हुए थे. अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे. इस भयानक कंपन ने उत्तरकाशी के लोगों का सब कुछ छीन लिया था. जिसे याद कर ग्रामीण सिहर जाते हैं. आपको दिखाते हैं, Etv Bharat को मिली 1991 के भूकंप की Exclusive तस्वीरें और जामक गांव के ग्रामीणों की जुबानी भूकंप की कहानी..

साल 1991 में 19 अक्टूबर की रात को डोली थी उत्तरकाशी.

...पोते और पोती हुई थी तो लगा कि पूरी दुनिया मिल गई, लेकिन किसे पता था कि जब तक वो दुनिया देखेंगे, तब तक पूरी दुनिया ही उजड़ गई होगी. यह कहना है जामक गांव के जलमा देवी का. जिन्होंने 1991 के भूकंप में अपने पोते और पोती को खो दिया था. इसी तरह ना जाने कितने लोगों की जान इस भूकंप ने लील ली थी.

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इन्हीं में एक व्यक्ति बलदेव सिंह भी शामिल थे. जो खुद को काफी खुशनसीब समझ रहे हैं. इस भूकंप की चपेट में आने से वो मलबे में दब गए थे, लेकिन दूसरे दिन राहत कार्यों के लिए पहुंची आईटीबीपी ने उन्हें मलबे से बाहर निकाला था. जिससे उन्हें एक नई जिंदगी मिली थी. इस घटना ने पूरी घाटी की तस्वीर बदल दी थी.

उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर की रात को भूकंप आया था. अगले दिन 20 अक्टूबर को सुबह होने पर चारों ओर टूटे-बिखरे घर और मलबे में दबी लाशें ही नजर आ रही थीं. बलदेव सिंह के मुताबिक, जामक गांव से 72 लोग अपनी जान गवां चुके थे. सारे मकान जमींदोज हो गए थे. जिसमें 90 से 95 बेजुबान भी काल के गाल में समा गए थे.

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गौर हो कि, साल 1991 में 19 अक्टूबर को रात 3 बजे आए भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी के जामक गांव में था. जहां पर जान माल का भारी नुकसान हुआ था. रेक्टर स्केल पर यह भूकंप 6.1 मापा गया था. उत्तरकाशी में आए भूकंप ने कई गांव तबाह कर दिए थे. जामक गांव के साथ ही गणेशपुर, गिनडा समेत मनेरी और अन्य गांव में जान माल का काफी नुकसान हुआ था. कई लोग उस काली रात को याद कर सिहर जाते हैं. इस जख्म को कभी नहीं भूल सकते हैं.

उत्तरकाशीः आज से ठीक 28 साल पहले यानि 19 अक्टूबर 1991 की वो काली रात सैकड़ों लोगों के लिए काल बन कर आई थी. जब रात के 3 बजे लोग गहरी नींद में सोए हुए थे. अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे. इस भयानक कंपन ने उत्तरकाशी के लोगों का सब कुछ छीन लिया था. जिसे याद कर ग्रामीण सिहर जाते हैं. आपको दिखाते हैं, Etv Bharat को मिली 1991 के भूकंप की Exclusive तस्वीरें और जामक गांव के ग्रामीणों की जुबानी भूकंप की कहानी..

साल 1991 में 19 अक्टूबर की रात को डोली थी उत्तरकाशी.

...पोते और पोती हुई थी तो लगा कि पूरी दुनिया मिल गई, लेकिन किसे पता था कि जब तक वो दुनिया देखेंगे, तब तक पूरी दुनिया ही उजड़ गई होगी. यह कहना है जामक गांव के जलमा देवी का. जिन्होंने 1991 के भूकंप में अपने पोते और पोती को खो दिया था. इसी तरह ना जाने कितने लोगों की जान इस भूकंप ने लील ली थी.

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इन्हीं में एक व्यक्ति बलदेव सिंह भी शामिल थे. जो खुद को काफी खुशनसीब समझ रहे हैं. इस भूकंप की चपेट में आने से वो मलबे में दब गए थे, लेकिन दूसरे दिन राहत कार्यों के लिए पहुंची आईटीबीपी ने उन्हें मलबे से बाहर निकाला था. जिससे उन्हें एक नई जिंदगी मिली थी. इस घटना ने पूरी घाटी की तस्वीर बदल दी थी.

उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर की रात को भूकंप आया था. अगले दिन 20 अक्टूबर को सुबह होने पर चारों ओर टूटे-बिखरे घर और मलबे में दबी लाशें ही नजर आ रही थीं. बलदेव सिंह के मुताबिक, जामक गांव से 72 लोग अपनी जान गवां चुके थे. सारे मकान जमींदोज हो गए थे. जिसमें 90 से 95 बेजुबान भी काल के गाल में समा गए थे.

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गौर हो कि, साल 1991 में 19 अक्टूबर को रात 3 बजे आए भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी के जामक गांव में था. जहां पर जान माल का भारी नुकसान हुआ था. रेक्टर स्केल पर यह भूकंप 6.1 मापा गया था. उत्तरकाशी में आए भूकंप ने कई गांव तबाह कर दिए थे. जामक गांव के साथ ही गणेशपुर, गिनडा समेत मनेरी और अन्य गांव में जान माल का काफी नुकसान हुआ था. कई लोग उस काली रात को याद कर सिहर जाते हैं. इस जख्म को कभी नहीं भूल सकते हैं.

Intro:उत्तरकाशी। 19 अक्टूबर 1991 की काली रात,रात के 3 बजे लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। अचानक धरती हिली और जब तक लोग कुछ समझ पाते,तब तक सेकड़ो लोग काल के गाल में समा गए थे। 20 अक्टूबर को दिन खुला, तो चारों और टूटे- बिखरे घर और उनके मलबे में दबी थी लाशें और खत्म हो चुकी उम्मीदें। आज से 29 वर्ष पूर्व एक ऐसी काली रात,जिसे जामक गांव के ग्रामीण और उत्तरकाशी के लोग याद करते हैं। तो सिहर उठते हैं। 1991 के भूकम्प की etv bharta को मिली exclusive तस्वीरें और जामक गांव के ग्रामीणों को जुबानी भूकम्प की कहानी। Body:वीओ-1, पोते और पोती हुई थी। तो लगा कि पूरी दुनिया मिल गई। लेकिन किसे पता था कि जब तक वह दुनिया देखेंगे,तब तक पूरी दुनिया ही उजड़ गई होगी। यह कहना है जामक गांव को जलमा देवी का। जिन्होंने 1991 के भूकम्प में अपने पोते और पोती को गवां दिया था। वहीं गांव के बलदेव सिंह का कहना है कि 72 लोग जामक गांव में अपनी जान गवां चुके थे। एक भी घर खड़ा नहीं था। तो 90 से 95 मवेशी भी भूकम्प में मर गए थे। स्वयं बलदेव सिंह भी मलबे में दबे थे। दूसरे दिन राहत कार्यों के लिए पहुंची आईटीबीपी ने उन्हें मलबे से बाहर निकाला था। Conclusion:वीओ-2, 1991 को 19 अक्टूबर को 3 बजे रात आये भूकम्प का केंद्र उत्तरकाशी के जामक गांव में था। जहां पर जान माल का भारी नुकसान हुआ था। यह भूकम्प 6.1 रिएक्टर स्केल पर मापा गया था। उत्तरकाशी में आये भूकम्प ने कई गांव तबाह कर दिए थे। जामक गांव के साथ ही गणेशपुर, गिनडा सहित मनेरी और अन्य गांव में जान माल का बहुत नुकसान हुआ था। कई लोग,जो आज भी उस दिन को याद कर अपने परिजनों की याद में आंशू बहा रहे हैं।। बाईट- जलमा देवी,जामक गांव।। बाईट- बलदेव सिंह,ग्रामीण जामक।
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