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उत्तरकाशी भूकंप: भीषण त्रासदी को हुए 29 साल पूरे, जख्म अभी भी हरे

उत्तरकाशी जिले में भूकंप आए आज 29 साल पूरे हो गए हैं. इस भूकंप में लगभग 700 लोगों की जान गई, हर तरफ टूटी हुई उम्मीदें और बिखरी जिंदगियां ही बची थी.

uttarkashi earthquake
उत्तरकाशी भूकंप
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Published : Oct 20, 2020, 12:45 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में आए भूकंप को आज 29 साल पूरे हो गए हैं. 20 अक्टूबर 1991 को हुई उस भीषण त्रासदी को याद कर आज भी यहां के लोग सिहर उठते हैं. 29 साल पहले आज के दिन उत्तरकाशी जनपद में 6.6 रिएक्टर स्केल का भूकंप आया था. जिसने जनपद में भारी तबाही मचाई थी. इस आपदा से जिले को जान-माल की भारी क्षति हुई. वहीं, पर्यटन कारोबार की भी कमर टूट गई थी.

29 साल पहले 20 अक्टूबर 1991 की वो काली रात, जिसे आज भी उत्तरकाशी के लोग याद कांप जाते हैं. उत्तरकाशी का आपदा से बहुत पुराना नाता रहा है. कभी बाढ़ तो कभी भूस्खलन और कभी भूकंप के झटके, इस भूकंप ने सैकड़ों जिंदगियां लील लिया था. हर तरफ टूटी हुई उम्मीदें और बिखरी जिंदगियां ही बची थी.

यह भी पढ़ें-चारधाम परियोजना मामला : सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

बता दें कि, इस भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर जामक गांव था. इस भूकंप ने पहली बार जनपद में 700 से अधिक जिंदगियां छीन ली थी. वहीं हजारों की संख्या में मवेशी मरे थे. अकेले जामक गांव में 72 लोग काल के गाल में समा गए थे. वहीं, जनपद में कई ऐसे लोग थे, जिन्होंने भूकंप में अपना सब कुछ खो दिया था.

वरिष्ठ पत्रकार सूरत सिंह रावत ने बताया कि भूकंप के कारण जहां कई लोगों की जान गई तो वहीं, सभी रास्ते और पुल भी क्षतिग्रस्त हो गये थे. उन्होंने बताया कि उस समय पहाड़ों में संचार के साधन नहीं थे. अनुमान लगाना कठिन था कि कितना नुकसान हुआ है. भूकंप से जो नुकसान हुआ था. उसका मुख्य कारण पहाड़ों में बदलती भवन शैली थी.

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में आए भूकंप को आज 29 साल पूरे हो गए हैं. 20 अक्टूबर 1991 को हुई उस भीषण त्रासदी को याद कर आज भी यहां के लोग सिहर उठते हैं. 29 साल पहले आज के दिन उत्तरकाशी जनपद में 6.6 रिएक्टर स्केल का भूकंप आया था. जिसने जनपद में भारी तबाही मचाई थी. इस आपदा से जिले को जान-माल की भारी क्षति हुई. वहीं, पर्यटन कारोबार की भी कमर टूट गई थी.

29 साल पहले 20 अक्टूबर 1991 की वो काली रात, जिसे आज भी उत्तरकाशी के लोग याद कांप जाते हैं. उत्तरकाशी का आपदा से बहुत पुराना नाता रहा है. कभी बाढ़ तो कभी भूस्खलन और कभी भूकंप के झटके, इस भूकंप ने सैकड़ों जिंदगियां लील लिया था. हर तरफ टूटी हुई उम्मीदें और बिखरी जिंदगियां ही बची थी.

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बता दें कि, इस भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर जामक गांव था. इस भूकंप ने पहली बार जनपद में 700 से अधिक जिंदगियां छीन ली थी. वहीं हजारों की संख्या में मवेशी मरे थे. अकेले जामक गांव में 72 लोग काल के गाल में समा गए थे. वहीं, जनपद में कई ऐसे लोग थे, जिन्होंने भूकंप में अपना सब कुछ खो दिया था.

वरिष्ठ पत्रकार सूरत सिंह रावत ने बताया कि भूकंप के कारण जहां कई लोगों की जान गई तो वहीं, सभी रास्ते और पुल भी क्षतिग्रस्त हो गये थे. उन्होंने बताया कि उस समय पहाड़ों में संचार के साधन नहीं थे. अनुमान लगाना कठिन था कि कितना नुकसान हुआ है. भूकंप से जो नुकसान हुआ था. उसका मुख्य कारण पहाड़ों में बदलती भवन शैली थी.

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