उत्तरकाशी: करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित डोडीताल इस साल बर्फबारी के बाद पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन बनकर उभरा है. हालांकि हर साल डोडीताल में पर्यटकों की अच्छी आमद रहती है, लेकिन कोरोनाकाल का साया डोडीताल के पर्यटन पर भी पड़ा. गंगा घाटी में शीतकाल पर्यटन के दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा पर्यटक इस साल डोडीताल पहुंच रहे हैं, जो यहां पर करीब दो फीट बर्फ के बीच ट्रैक के रोमांच का लुफ्त उठा रहे हैं.
डोडीताल जनपद के केलशु घाटी में करीब 3000 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर है, जहां पर पर्यटकों की अच्छी आमद पहुंचने के बाद स्थानीय युवाओं की ट्रेकिंग एजेंसियों को कोरोनाकाल से उभरने का सुनहरा अवसर मिला है.
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बीते दिनों अगोड़ा गांव की एक्सप्लोर इनफिनिटी ट्रेकिंग एजेंसी के माध्यम से पुणे और देहरादून के पर्यटक डोडीताल पहुंचे थे. जिनका दो फीट बर्फ के बीच नेपाली गीत पर नृत्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
कैसे पहुंचे डोडीताल
डोडीताल के लिए जनपद मुख्यालय उत्तरकाशी से अगोड़ा गांव तक 20 किमी टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. उसके बाद 20 किमी के पैदल ट्रैक को पार कर डोडीताल पहुंचा जा सकता है. इस ट्रैक का आधा हिस्सा इन दिनों बर्फ से ढका हुआ है. साथ ही पर्यटक अगोड़ा गांव में होम स्टे रुकने के साथ ही पहाड़ की जीवनशैली से रूबरू हो रहे हैं.
डोडीताल 3,310 मीटर की ऊंचाई पर उच्च पहाड़ों के बीच घिरा हुआ एक पन्ना झील है. यह ताल अपनी शांत और सुन्दर वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत उच्च ऊंचाई झीलों में से एक है. डोडीताल का नाम दुर्लभ हिमालय ब्राउन ट्राउन प्रजाति की मछलियों के नाम से रखा गया है. बताया जाता है कि रियासत काल में कुछ विदेशी पर्यटकों ने झील में ब्राउन ट्राउन मछलियां पनपाई थी. यह झील बहुत कम जल निकायों में से एक हैं, जहां हिमालयी ब्राउन ट्राउट पाए जाते हैं.