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उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुखर हुए सदस्य, CM से मिलकर इस्तीफे की दी धमकी - Uttarkashi District Panchayat President

उत्तरकाशी जिला पंचायत सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर कई गंभीरर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. 25 में से 15 पंचायत सदस्यों ने सीएम से मिलकर कार्रवाई की मांग की है. कार्रवाई ना होने पर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है.

district panchayat members accused
उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुखर हुए सदस्य
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Published : Sep 18, 2022, 9:01 AM IST

Updated : Sep 18, 2022, 10:22 AM IST

देहरादूनः उत्तरकाशी के करीब 15 जिला पंचायत सदस्यों ने मीडिया के सामने आकर जिला पंचायत उत्तरकाशी में बरती जा रही घोर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं. इस संबंध में बीते रोज पंचायत प्रदेश संगठन अध्यक्ष प्रदीप भट्ट के नेतृत्व में जिला पंचायत सदस्यों ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की और जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी के खिलाफ कार्रवाई ना होने की सूरत में सामूहिक इस्तीफा दिए जाने की चेतावदी दी. जिला पंचायत सदस्य ने सीएम से आग्रह किया है कि उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्टे ऑर्डर को वैकेट करवाया जाए.

प्रदीप भट्ट का कहना है कि राज्य सरकार का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति रही है. लेकिन उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष की एसआईटी जांच सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े कर रही है. क्योंकि जांच कछुआ गति से चल रही है, आलम यह है कि पत्रावलियों की फोटो कॉपी लेने में ही एसआईटी को 7 माह लग गए. उन्होंने उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नियोजन और विकास समिति की बैठकें फर्जी तरीके से और सदस्यों को गुमराह करके दिखाई गई है.

उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुखर हुए सदस्य.

प्रदीप भट्ट ने कहा कि नियोजन विकास समिति की पहली बैठक में 1234 निर्माण योजनाओं की स्वीकृति और अनुमोदित किया जाना गंभीर भ्रष्टाचार है. उन्होंने कहा कि नियोजन एवं विकास समिति के कुछ सदस्यों ने सचिव पंचायती राज को शपथ पत्र प्रस्तुत करके बताया है कि योजन विकास समिति द्वारा अनुमोदित 1234 योजनाओं के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और उनके हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किए गए हैं. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के साथ केवल चंद जिला पंचायत सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जो नियोजन विकास समिति के सदस्य भी हैं.
ये भी पढ़ेंः UKSSSC Paper Leak: कांग्रेस के निशाने पर पूर्व अध्यक्ष, CBI जांच के लिए CM धामी को लिखा पत्र

उत्तराखंड जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोपः प्रदीप भट्ट ने कहा कि जिला पंचायत उत्तरकाशी में जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसकी जांच उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की ओर से की गई थी. उन्होंने अपनी जांच में जिला पंचायत अध्यक्ष को वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया था. उनकी जांच रिपोर्ट और कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला पंचायत अध्यक्ष को सरकार द्वारा 7 जनवरी 2022 को बर्खास्त कर दिया गया था. उसके बाद वह हाईकोर्ट गए जहां से उन्हें स्टे देने से मना कर दिया गया था. उसके बाद जब वह सुप्रीम कोर्ट गए, सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए आदेश दिया, जहां से उन्हें स्टे ऑर्डर मिल गया.

हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर इसलिए जारी किया था कि शासकीय कार्य में समानता रखेंगे और सही प्रकार से कार्य करेंगे. लेकिन उसके बाद भी वह भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहे. प्रदीप भट्ट का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और अपर मुख्य अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से भुगतान किया जा रहा है. पहले पत्रावलियों पर जिला पंचायत अध्यक्ष अपना अनुमोदन देते हैं कि इनका भुगतान कर दिया जाए. उसके बाद चेक पर वो गलत हस्ताक्षर करते हैं और अपर मुख्य अधिकारी सही हस्ताक्षर करते हैं. उसके बाद उस ठेकेदार का भुगतान रोक दिया जाता है. यह अपने आप में बहुत बड़ा वित्तीय अपराध है.

जिला पंचायत सदस्यों का कहना है कि दीपक बिजल्वाण द्वारा पहले पत्रावली ऊपर स्वीकृति प्रदान करना और फिर स्वयं चेक पर गलत हस्ताक्षर कर भुगतान रोकना यह साबित करता है कि इन्होंने दुर्भावनावश ठेकेदार और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों को गंभीर मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंचाई है. ऐसे में यदि उनके ऊपर कार्रवाई नहीं की जाती है तो हमें सामूहिक इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

देहरादूनः उत्तरकाशी के करीब 15 जिला पंचायत सदस्यों ने मीडिया के सामने आकर जिला पंचायत उत्तरकाशी में बरती जा रही घोर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं. इस संबंध में बीते रोज पंचायत प्रदेश संगठन अध्यक्ष प्रदीप भट्ट के नेतृत्व में जिला पंचायत सदस्यों ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की और जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी के खिलाफ कार्रवाई ना होने की सूरत में सामूहिक इस्तीफा दिए जाने की चेतावदी दी. जिला पंचायत सदस्य ने सीएम से आग्रह किया है कि उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्टे ऑर्डर को वैकेट करवाया जाए.

प्रदीप भट्ट का कहना है कि राज्य सरकार का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति रही है. लेकिन उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष की एसआईटी जांच सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े कर रही है. क्योंकि जांच कछुआ गति से चल रही है, आलम यह है कि पत्रावलियों की फोटो कॉपी लेने में ही एसआईटी को 7 माह लग गए. उन्होंने उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नियोजन और विकास समिति की बैठकें फर्जी तरीके से और सदस्यों को गुमराह करके दिखाई गई है.

उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुखर हुए सदस्य.

प्रदीप भट्ट ने कहा कि नियोजन विकास समिति की पहली बैठक में 1234 निर्माण योजनाओं की स्वीकृति और अनुमोदित किया जाना गंभीर भ्रष्टाचार है. उन्होंने कहा कि नियोजन एवं विकास समिति के कुछ सदस्यों ने सचिव पंचायती राज को शपथ पत्र प्रस्तुत करके बताया है कि योजन विकास समिति द्वारा अनुमोदित 1234 योजनाओं के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और उनके हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किए गए हैं. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के साथ केवल चंद जिला पंचायत सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जो नियोजन विकास समिति के सदस्य भी हैं.
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उत्तराखंड जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोपः प्रदीप भट्ट ने कहा कि जिला पंचायत उत्तरकाशी में जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसकी जांच उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की ओर से की गई थी. उन्होंने अपनी जांच में जिला पंचायत अध्यक्ष को वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया था. उनकी जांच रिपोर्ट और कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला पंचायत अध्यक्ष को सरकार द्वारा 7 जनवरी 2022 को बर्खास्त कर दिया गया था. उसके बाद वह हाईकोर्ट गए जहां से उन्हें स्टे देने से मना कर दिया गया था. उसके बाद जब वह सुप्रीम कोर्ट गए, सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए आदेश दिया, जहां से उन्हें स्टे ऑर्डर मिल गया.

हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर इसलिए जारी किया था कि शासकीय कार्य में समानता रखेंगे और सही प्रकार से कार्य करेंगे. लेकिन उसके बाद भी वह भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहे. प्रदीप भट्ट का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और अपर मुख्य अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से भुगतान किया जा रहा है. पहले पत्रावलियों पर जिला पंचायत अध्यक्ष अपना अनुमोदन देते हैं कि इनका भुगतान कर दिया जाए. उसके बाद चेक पर वो गलत हस्ताक्षर करते हैं और अपर मुख्य अधिकारी सही हस्ताक्षर करते हैं. उसके बाद उस ठेकेदार का भुगतान रोक दिया जाता है. यह अपने आप में बहुत बड़ा वित्तीय अपराध है.

जिला पंचायत सदस्यों का कहना है कि दीपक बिजल्वाण द्वारा पहले पत्रावली ऊपर स्वीकृति प्रदान करना और फिर स्वयं चेक पर गलत हस्ताक्षर कर भुगतान रोकना यह साबित करता है कि इन्होंने दुर्भावनावश ठेकेदार और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों को गंभीर मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंचाई है. ऐसे में यदि उनके ऊपर कार्रवाई नहीं की जाती है तो हमें सामूहिक इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

Last Updated : Sep 18, 2022, 10:22 AM IST
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