उत्तरकाशी: गंगा भागीरथी के उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने गोमुख के पास कोई झील नहीं बनी है. वहां से लौटी आपदा प्रबंधन की टीम ने रेकी करने के बाद ये रिपोर्ट दी है. वहां जमा भारी मलबे से झील बनने की आशंका को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम ने गोमुख पहुंचकर हालात का जायजा लिया.
गोमुख का निरीक्षण करके लौटी टीम
गोमुख का निरीक्षण करके लौटी टीम के बताया कि गोमुख में कोई झील नहीं बनी है. वर्ष 2017 में नीला ताल टूटने से आया मलबा जमा होने से नदी का बहाव पथ बदल गया है. वर्ष 2017 में गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में नीला ताल टूटने के कारण पानी के साथ भारी मलबा आया और ग्लेशियर के मुहाने गोमुख में फैल गया था.
दिल्ली निवासी अजय गौतम ने दायर की थी जनहित याचिका
दिल्ली निवासी अजय गौतम ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. गौतम ने गोमुख में झील बनने और इससे खतरे की आशंका जताते हुए जनहित याचिका दायर की थी. इस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने इसी 17 नवंबर को उत्तराखंड सरकार को क्षेत्र की रेकी कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे.
गोमुख की रेकी करने गई थी 17 सदस्यीय टीम
आपदा सचिव के निर्देश पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन की टीम को गठित की गई थी. टीम को रेकी के लिए गोमुख भेजा गया था. 17 सदस्यीय टीम 25 नवंबर को उत्तरकाशी से रवाना हुई थी. टीम 26 नवंबर को उच्च हिमालय में भारी बर्फबारी के कारण गंगोत्री में फंस गई थी.
27 नवंबर को गंगोत्री से टीम भोजवासा पहुंची. 28 नवंबर को टीम ने गोमुख पहुंचकर वहां का जायजा लिया. 29 नवंबर की रात टीम वापस लौट आई. टीम ने बताया कि गंगोत्री से आगे डेढ़ से ढाई फीट तक बर्फ से ढके ट्रैक को पार कर गोमुख पहुंचने में काफी मेहनत करनी पड़ी.
गोमुख में नहीं बनी है कोई झील- रेकी टीम
टीम ने गोमुख में जो आकलन किया उसकी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी. टीम के अनुसार गोमुख में अभी भी तीन से चार फीट तक बर्फ जमा है. लेकिन वहां पर कोई झील नहीं बनी है. गोमुख का जायजा लेने गई टीम में भूवैज्ञानिक सुशील खंडूड़ी, रेंजर प्रताप पंवार, आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर चैन सिंह रावत एवं मस्तान भंडारी समेत 17 लोग शामिल थे.