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उत्तरकाशी आपदा: घाटी में भौगोलिक संरचना से राहत बचाव-कार्य में आ रही परेशानियां, सहूलियतें साबित हो रही 'मौत' - टिकोची में इमेरजेंसी लैंडिंग

बंगाण के कोटिगाड़ पट्टी में हेलीकॉप्टर की दूसरी दुर्घटना ने घाटी में हवाई रेस्क्यू पर सवाल खड़ा कर दिए हैं. दरअसल, ऊपर तारों का खतरा तो नीचे खाई में पड़े पत्थर भी इन हेलीकॉप्टरों के लिए खतरा बने हुए हैं.

तारों के खतरे के चलते हेलीकॉप्टर की कराई गई इमेरजेंसी लैंडिंग.
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Published : Aug 23, 2019, 11:44 PM IST

उत्तरकाशी: आराकोट में जहां पहले जलप्रलय से तबाही हुई तो अब आसमान से भी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. सुविधा और समय को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं को शुरू किया गया, लेकिन वह जानलेवा साबित हो रही है. जिसका कारण हवा में लटकते ट्रॉली तार हैं. वहीं नीचे आपदा में सैलाब के साथ बहकर आए पत्थर भी घाटी में मौत के पर्याय साबित हो रहे हैं. क्षेत्र में घाटीनुमा भौगोलिक सरंचना भी हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रही है.

यह भी पढ़ें: बारिश के बाद गंगा से निकलकर गांव के तालाब में पहुंचा मगरमच्छ, मचा हड़कंप

उत्तरकाशी जनपद के सीमांत मोरी ब्लॉक में भौगोलिक सरचना हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रहा है. मोरी तहसील मुख्यालय से हिमाचल प्रदेश तक घाटी नुमा संरचना है. जिसके कारण राहत बचाव कार्य में लगे हेलीकॉप्टर को मुड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यही कारण है कि शुक्रवार को पायलट को अचानक टिकोची में ही इमेरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. जिससे एक बार फिर से हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

यह भी पढ़ें: हाथियों ने रौंदी किसानों की फसल, वन विभाग से की मुआवजे की मांग

जानकारी के अनुसार पायलट को दूर से ट्रॉली के तार दिखाई दिये. जिसके कारण उसने इमरजेंसी लैंडिंग के लिए समतल भूमि देखी लेकिन लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर पत्थरों में ही उलझ कर रह गया.हालांकि पायलट की सूझबूझ से बड़ी घटना टल गई. रेस्क्यू कर रहे एक विभागीय कर्मचारी के ने बताया कि लैंडिंग के बाद भी उन्हें हेलीकॉप्टर फटने का डर सता रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जिसके बाद पायलट और अन्य लोगों को सुरक्षित बाबहर निकाला गया.

उत्तरकाशी: आराकोट में जहां पहले जलप्रलय से तबाही हुई तो अब आसमान से भी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. सुविधा और समय को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं को शुरू किया गया, लेकिन वह जानलेवा साबित हो रही है. जिसका कारण हवा में लटकते ट्रॉली तार हैं. वहीं नीचे आपदा में सैलाब के साथ बहकर आए पत्थर भी घाटी में मौत के पर्याय साबित हो रहे हैं. क्षेत्र में घाटीनुमा भौगोलिक सरंचना भी हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रही है.

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उत्तरकाशी जनपद के सीमांत मोरी ब्लॉक में भौगोलिक सरचना हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रहा है. मोरी तहसील मुख्यालय से हिमाचल प्रदेश तक घाटी नुमा संरचना है. जिसके कारण राहत बचाव कार्य में लगे हेलीकॉप्टर को मुड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यही कारण है कि शुक्रवार को पायलट को अचानक टिकोची में ही इमेरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. जिससे एक बार फिर से हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

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जानकारी के अनुसार पायलट को दूर से ट्रॉली के तार दिखाई दिये. जिसके कारण उसने इमरजेंसी लैंडिंग के लिए समतल भूमि देखी लेकिन लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर पत्थरों में ही उलझ कर रह गया.हालांकि पायलट की सूझबूझ से बड़ी घटना टल गई. रेस्क्यू कर रहे एक विभागीय कर्मचारी के ने बताया कि लैंडिंग के बाद भी उन्हें हेलीकॉप्टर फटने का डर सता रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जिसके बाद पायलट और अन्य लोगों को सुरक्षित बाबहर निकाला गया.

Intro:बंगाण के कोटिगाड़ पट्टी में हेलीकॉप्टर की दूसरी दुर्घटना ने घाटी में हवाई रेस्क्यू पर सवाल खड़ा कर दिया है। क्योंकि ऊपर तारों का खतरा। तो नीचे खाई में पड़े पत्थर भी खतरा बने हुए हैं। उत्तरकाशी। आराकोट में जहां पहले जमीन पर जलप्रलय हुई। तो अब आसमा में भी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। सुविधा और समय को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं को शुरू किया गया। लेकिन वह जानलेवा साबित हो रही है। इसके अब तक के मुख्य कारण हवा में लटकते ट्रॉली तार हैं। तो वहीं नीचे आपदा में आए पत्थर भी घाटी में मौत बनकर खड़े हैं। क्षेत्र में घाटीनुमा भौगोलिक सरंचना भी हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रही है। Body:वीओ-1, उत्तरकाशी जनपद के सीमांत मोरी ब्लॉक में भौगोलिक सरचना हवाई रेस्क्यू में मुसीबत बन रहा है। मोरी तहसील मुख्यालय से हिमाचल प्रदेश तक घाटी नुमा सरचना इसलिए मुसीबत बन रही है। क्योंकि जहाँ ऊपर तारों का खतरा बना हुआ है। तो घाटी संकरी होने के कारण हेलीकॉप्टर को मुड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि आज पायलट को अचानक टिकोची में ही इमेरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। जहां पर नीचे कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। Conclusion:वीओ-2, जानकारी के अनुसार ऊपर से समतल भूमि तो दिखी। लेकिन आपदा में आये पत्थरों के कारण हेलीकॉप्टर लैंडिंग के दौरान पत्थरों में ही उलझ कर रह गया और पत्थरों से टकरा गया। हालांकि पायलेट की सूझबूझ से उस समय घटना टल गई। लेकिन रेस्क्यू कर रहे एक विभागीय कर्मचारी के अनुसार उसके बाद भी हेलीकॉप्टर फटने का डर सता रहा था। वो तो भगवान का शुक्र रहा कि हेलीकॉप्टर फ़टा नहीं और पायलट और को पायलट को सुरक्षित निकाला गया।
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