उत्तरकाशी: दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने पहाड़ों में पाई जाने वाली बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया है. दुग्ध संघ ने उत्तरकाशी के नोगांव और भटवाड़ी ब्लॉक में बद्री गाय की नस्ल पर सर्वे किया. सर्वे कर रहे अधिकारियों का कहना था कि बद्री नस्ल की गाय के दूध से जो भी उत्पादन होता है, वह अत्याधिक पौष्टिक होता है. लेकिन अब जनपद के बहुत कम गांव में बद्री नस्ल की गाय मिलती है. ऊंचाई वाले गांव में भी इनकी प्रजाति सीमित रह गई है.
दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मातलि के प्रबंधक नीरज सिंह ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय की संख्या लगातार घटती जा रही है. पहले ये जनपद के निचले इलाकों में भी मिलती थी. लेकिन अब ऊंचाई वाले इलाकों में भी मुश्किल से मिलती है. बढ़ते आधुनिकीकरण के साथ बद्री नस्ल की गायों की संख्या भी कम हो जा रही है.
पढ़ें: खुशखबरी: सूबे में जल्द शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, भरे जाएंगे 40 हजार रिक्त पद
नीरज ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय अधिकतर ऊंचाई वाले बुग्यालों में ही घास चरती हैं. बुग्यालों में होने वाली स्वच्छ घास खाने के कारण इन गायों का दूध पौष्टिक तत्वों से भरा होता है. बाजार में बद्री गाय के दूध से बना घी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. इसके घी की कीमत बाजार में करीब 1000 से 1200 रुपये प्रति लीटर होती है.
वहीं, नीरज सिंह ने कहा कि बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए जनपद के ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा. जिससे की ग्रामीण दूध से घी बनाकर अपने लिए आय का एक नया जरिए बना सके.