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बद्री नस्ल की गायों का किया जाएगा संरक्षण, जानिए क्या है इनमें खास? - uttarkashi

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने पहाड़ों में पाई जाने वाली बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया है.

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ.
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Published : Jun 1, 2019, 3:22 PM IST

उत्तरकाशी: दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने पहाड़ों में पाई जाने वाली बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया है. दुग्ध संघ ने उत्तरकाशी के नोगांव और भटवाड़ी ब्लॉक में बद्री गाय की नस्ल पर सर्वे किया. सर्वे कर रहे अधिकारियों का कहना था कि बद्री नस्ल की गाय के दूध से जो भी उत्पादन होता है, वह अत्याधिक पौष्टिक होता है. लेकिन अब जनपद के बहुत कम गांव में बद्री नस्ल की गाय मिलती है. ऊंचाई वाले गांव में भी इनकी प्रजाति सीमित रह गई है.

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ.

दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मातलि के प्रबंधक नीरज सिंह ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय की संख्या लगातार घटती जा रही है. पहले ये जनपद के निचले इलाकों में भी मिलती थी. लेकिन अब ऊंचाई वाले इलाकों में भी मुश्किल से मिलती है. बढ़ते आधुनिकीकरण के साथ बद्री नस्ल की गायों की संख्या भी कम हो जा रही है.

पढ़ें: खुशखबरी: सूबे में जल्द शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, भरे जाएंगे 40 हजार रिक्त पद

नीरज ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय अधिकतर ऊंचाई वाले बुग्यालों में ही घास चरती हैं. बुग्यालों में होने वाली स्वच्छ घास खाने के कारण इन गायों का दूध पौष्टिक तत्वों से भरा होता है. बाजार में बद्री गाय के दूध से बना घी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. इसके घी की कीमत बाजार में करीब 1000 से 1200 रुपये प्रति लीटर होती है.

वहीं, नीरज सिंह ने कहा कि बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए जनपद के ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा. जिससे की ग्रामीण दूध से घी बनाकर अपने लिए आय का एक नया जरिए बना सके.

उत्तरकाशी: दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने पहाड़ों में पाई जाने वाली बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया है. दुग्ध संघ ने उत्तरकाशी के नोगांव और भटवाड़ी ब्लॉक में बद्री गाय की नस्ल पर सर्वे किया. सर्वे कर रहे अधिकारियों का कहना था कि बद्री नस्ल की गाय के दूध से जो भी उत्पादन होता है, वह अत्याधिक पौष्टिक होता है. लेकिन अब जनपद के बहुत कम गांव में बद्री नस्ल की गाय मिलती है. ऊंचाई वाले गांव में भी इनकी प्रजाति सीमित रह गई है.

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ.

दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मातलि के प्रबंधक नीरज सिंह ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय की संख्या लगातार घटती जा रही है. पहले ये जनपद के निचले इलाकों में भी मिलती थी. लेकिन अब ऊंचाई वाले इलाकों में भी मुश्किल से मिलती है. बढ़ते आधुनिकीकरण के साथ बद्री नस्ल की गायों की संख्या भी कम हो जा रही है.

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नीरज ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय अधिकतर ऊंचाई वाले बुग्यालों में ही घास चरती हैं. बुग्यालों में होने वाली स्वच्छ घास खाने के कारण इन गायों का दूध पौष्टिक तत्वों से भरा होता है. बाजार में बद्री गाय के दूध से बना घी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. इसके घी की कीमत बाजार में करीब 1000 से 1200 रुपये प्रति लीटर होती है.

वहीं, नीरज सिंह ने कहा कि बद्री नस्ल की गाय के संरक्षण के लिए जनपद के ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा. जिससे की ग्रामीण दूध से घी बनाकर अपने लिए आय का एक नया जरिए बना सके.

Intro:हेडलाइन- बद्री नस्ल की गाय होगी सरंक्षित। (मिल्क डे)। नोट- बद्री नस्ल गाय का फोटो मेल से भेजा है। उत्तरकाशी। दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की और से पहाड़ की देशी बद्री नस्ल की गाय के सरक्षंण के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया है। दुग्ध संघ की और से बद्री गाय की नस्ल के लिए जनपद के नोगांव और भटवाड़ी ब्लॉक में सर्वे किया गया है। दुग्ध संघ के अधिकारियों का कहना है कि अब जनपद के बहुत कम गांव में बद्री नस्ल की गाय मिलती है। बताया कि जनपद के ऊंचाई वाले गांव में तक ही इनकी प्रजाति सीमित रह गई है। बताया जाता है कि बद्री नस्ल की गाय के दूध से जो भी उत्पादन होता है,वह अत्यधिक पौष्टिक होता है। साथ ही बद्री गाय की नस्ल के दूध से बना घी की बाजार में अलग ही अहमियत है। क्योंकि उसमें सभी प्रकार के पौष्टिक आहार होते हैं।


Body:वीओ-1, दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मातलि के प्रबंधक नीरज सिंह ने बताया कि बद्री नस्ल की गाय की ऊंचाई कम होती है। साथ ही यह जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में ही मिलती है। पहले यह जनपद के निचले इलाकों में भी मिलती थी। लेकिन बढ़ते आधुनीकरण के साथ बद्री नस्ल की गायों की संख्या भी कम हो जाती है। बताया जाता है कि यह बद्री नस्ल की गाय,अधिकतर ऊंचाई वाले बुग्यालों में ही घास चरती हैं। जिससे कि बुग्यालों में होने वाली स्वच्छ घास खाने के कारण इन गायों का दूध पौष्टिक आहारों से पूर्ण होता है। बाजार में बद्री गाय के दूध से बना घी सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसके घी की कीमत बाजार में करीब रु. 1000 से 1200 प्रति लीटर होता है।


Conclusion:वीओ-2, नीरज सिंह ने बताया कि बद्री गाय के सरक्षण के लिए जनपद के नोगांव सहित भटवाड़ी ब्लॉक के गांव में सर्वे किया गया है। बताया कि बद्री नस्ल की गाय का जो घी का उत्पादन किया जाएगा। उसका उत्पादन पहाड़ी प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा। जिस प्रकार से पहाड़ो में पहले दही जमाकर मक्खन बनाकर उसके बाद घी बनाया जाएगा। सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को बद्री नस्ल की गाय के सरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा। जिससे कि ग्रामीणों को भी दूध से बने घी से आय का एक नया स्रोत मिल सके। बाईट- नीरज सिंह,प्रबंधक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मातली।
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