उत्तरकाशी: केंद्र सरकार ने एक दशक से अधिक समय से अटकी बहुप्रतीक्षित यमुनोत्री रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है. जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने कहा कि खरसाली से यमुनोत्री तक 3.7 किमी रोपवे न केवल हिमालय के मंदिर की दूरी को कम करेगा. बल्कि तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से बुजुर्गों को लगभग 5 किमी की कठिन यात्रा करने से भी बचाएगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि यमुनोत्री रोपवे बन जाने के बाद जो यात्रा पांच घंटे में होती थी, वो सिमटकर महज 10 मिनट में पूरी हो सकेगी.
उन्होंने कहा कि 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला 2011 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रखी थी. उन्होंने कहा कि खरसाली के ग्रामीणों ने परियोजना के लिए लगभग 14,880 वर्ग गज (62 नाली) जमीन दी थी. हालांकि, इस उद्देश्य के लिए वन भूमि के अधिग्रहण में अड़चनों के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका था. पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अब परियोजना के लिए 3.8 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी है.
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बता दें कि यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है. यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए पहले आपको सड़क मार्ग से जानकी जट्टी तक पहुंचाना होगा. इसके बाद यमुनोत्री धाम यानी मंदिर जाने के लिए करीब 5 किमी की पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी. इस पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. मार्ग सकरा होने के कारण यहां जाम भी लग जाता है. बीते साल की पैदल यात्रा में इस तरह कई बार देखने को मिला है. इस सब परेशानियों को देखते हुए साल 2006 में यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने का प्रस्ताव बना था, हालांकि कुछ अड़चनों के चलते ये प्रोजेक्ट पास नहीं हो पा रहा था. हालांकि इसके बनने का रास्ता साफ हो गया है.