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पुरोला: भगवती मेला पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ संपन्न

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Published : Sep 3, 2020, 1:08 PM IST

पुरोला प्रखंड के सुनाली गांव में भगवती मेला पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हो गया है. इस दौरान देव डोली के साथ ग्रामीणों का झुमैलो नृत्य अद्भुत नजारा पेश कर रहा था.

bhagwati mela
भगवती मेला संपन्न

पुरोला: पुरोला प्रखंड के सुनाली गांव में भगवती मेला पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ. इस दौरान ग्रामीणों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा के साथ स्थानीय तांदी और झुमैलो नृत्य की झलक भी देखने को मिली. बच्चे, बूढ़े, नौजवान और महिलाओं की जुगलबंदी तांदी नृत्य पर देखते ही बन रही थी. वहीं देव डोली के साथ ग्रामीणों का झुमौलो नृत्य अद्भुत नजारा पेश कर रहा था.

पढ़ें- मौसम: आज भी होगी बारिश, इन छह जिलों में येलो अलर्ट जारी

उत्तरकाशी जिले में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपनी नेमतें बिखेरी हैं. खासकर यहां कि रवाईं घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां जिधर भी नजर दौड़ाइए, प्रकृति खिलखिलाते हुए नजर आती है. इससे भी खूबसूरत यहां के रीति-रिवाज और यहां लगने वाले मेले होते हैं, जिनमें सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा आज भी देखने को मिलती है.

घाटी के रीति-रिवाज, रहन-सहन और मेले बाकी जगहों से अलग होते हैं. यहां के मेले-त्योहार समाज के अभिन्न अंग हैं, जो यहां की संस्कृति रीति-रिवाजों को प्रदर्शित करते हैं. यहां घाटी अपनी अनूठी परंपराओं की अमिट छाप छोड़ जाती है और यहां आने वाला हर इंसान बस यहीं का हो जाता है.

पुरोला: पुरोला प्रखंड के सुनाली गांव में भगवती मेला पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ. इस दौरान ग्रामीणों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा के साथ स्थानीय तांदी और झुमैलो नृत्य की झलक भी देखने को मिली. बच्चे, बूढ़े, नौजवान और महिलाओं की जुगलबंदी तांदी नृत्य पर देखते ही बन रही थी. वहीं देव डोली के साथ ग्रामीणों का झुमौलो नृत्य अद्भुत नजारा पेश कर रहा था.

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उत्तरकाशी जिले में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपनी नेमतें बिखेरी हैं. खासकर यहां कि रवाईं घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां जिधर भी नजर दौड़ाइए, प्रकृति खिलखिलाते हुए नजर आती है. इससे भी खूबसूरत यहां के रीति-रिवाज और यहां लगने वाले मेले होते हैं, जिनमें सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा आज भी देखने को मिलती है.

घाटी के रीति-रिवाज, रहन-सहन और मेले बाकी जगहों से अलग होते हैं. यहां के मेले-त्योहार समाज के अभिन्न अंग हैं, जो यहां की संस्कृति रीति-रिवाजों को प्रदर्शित करते हैं. यहां घाटी अपनी अनूठी परंपराओं की अमिट छाप छोड़ जाती है और यहां आने वाला हर इंसान बस यहीं का हो जाता है.

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