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हल्द्वानी हिंसा के आरोपी अब्दुल मोईद की डिफॉल्ट जमानत पर सुनवाई, सरकार को आपत्ति पेश करने के आदेश - Banbhoolpura Violence Haldwani

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Abdul Moeed Default Bail, Haldwani Banbhoolpura Violence नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक के बेटे अब्दुल मोईद और ड्राइवर मोहम्मद जहीर की डिफॉल्ट अपील में दायर जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की. जिस पर कोर्ट ने सरकार से आपत्ति पेश करने को कहा है.

Abdul Moeed Default Bail
अब्दुल मोईद की जमानत पर सुनवाई (फोटो- ETV Bharat GFX)

नैनीताल: हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक का बेटा अब्दुल मोईद और ड्राइवर मोहम्मद जहीर की डिफॉल्ट अपील में दायर जमानत प्रार्थना पत्र पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस पर आपत्ति पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को अन्य जमानत याचिकाओं के साथ होगी.

मोईद के अधिवक्ता ने दी ये दलील: सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उनके खिलाफ तीन-तीन मुकदमे दर्ज हैं. जिस पर मोईद के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि मोईद को 420 के केस में जमानत मिल चुकी है. जबकि, अन्य दो मुकदमों में अभी जमानत नहीं मिली है. पुलिस ने बिना मामले की जांच किए उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता धारा 120 बी, 417, 420, 467, 468, 471 के तहत अभियोग पंजीकृत किया है.

मोईद के अधिवक्ता का कहना है कि महीनों बीत गए, लेकिन पुलिस अभी तक उनका जुर्म साबित करने में नाकाम रही है. जबकि, जुर्म होने के 90 दिन के भीतर पुलिस को जुर्म की जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करना जरूरी है, लेकिन इस पूरे मामले में अभी तक पुलिस ने जांच रिपोर्ट पेश नहीं की. लिहाजा, उनको (अब्दुल मोईद) को जमानत पर रिहा किया जाए. जबकि, कोर्ट इसमें शामिल कई लोगों को जमानत दे चुकी है.

क्या था मामला? गौर हो कि इसी साल 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक का बगीचे में सरकारी भूमि पर अवैध नमाज स्थल और मदरसा हटाने के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा के दौरान आगजनी के साथ पथराव हुआ था. जिसके चलते पुलिस के जवानों के साथ काफी संख्या में अधिकारी और पत्रकार घायल हुए थे. इसके अलावा आगजनी और पथराव में सरकारी-निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था. सबसे ज्यादा नुकसान हल्द्वानी नगर निगम को पहुंचा था.

वहीं, हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने हल्द्वानी नगर निगम के साथ पुलिस की कई गाड़ियों को आग से फूंक दिया था. जिसके बाद मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने काफी संख्या में उपद्रवियों को गिरफ्तार किया. इस मामले में पुलिस ने अपनी जांच के बाद 71 अन्य आरोपी उपद्रवियों पर यूएपीए एक्ट (UAPA Act) लगा दिया था. वहीं, बीती 28 अगस्त को हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के 50 आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी.

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मोईद के अधिवक्ता ने दी ये दलील: सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उनके खिलाफ तीन-तीन मुकदमे दर्ज हैं. जिस पर मोईद के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि मोईद को 420 के केस में जमानत मिल चुकी है. जबकि, अन्य दो मुकदमों में अभी जमानत नहीं मिली है. पुलिस ने बिना मामले की जांच किए उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता धारा 120 बी, 417, 420, 467, 468, 471 के तहत अभियोग पंजीकृत किया है.

मोईद के अधिवक्ता का कहना है कि महीनों बीत गए, लेकिन पुलिस अभी तक उनका जुर्म साबित करने में नाकाम रही है. जबकि, जुर्म होने के 90 दिन के भीतर पुलिस को जुर्म की जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करना जरूरी है, लेकिन इस पूरे मामले में अभी तक पुलिस ने जांच रिपोर्ट पेश नहीं की. लिहाजा, उनको (अब्दुल मोईद) को जमानत पर रिहा किया जाए. जबकि, कोर्ट इसमें शामिल कई लोगों को जमानत दे चुकी है.

क्या था मामला? गौर हो कि इसी साल 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक का बगीचे में सरकारी भूमि पर अवैध नमाज स्थल और मदरसा हटाने के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा के दौरान आगजनी के साथ पथराव हुआ था. जिसके चलते पुलिस के जवानों के साथ काफी संख्या में अधिकारी और पत्रकार घायल हुए थे. इसके अलावा आगजनी और पथराव में सरकारी-निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था. सबसे ज्यादा नुकसान हल्द्वानी नगर निगम को पहुंचा था.

वहीं, हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने हल्द्वानी नगर निगम के साथ पुलिस की कई गाड़ियों को आग से फूंक दिया था. जिसके बाद मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने काफी संख्या में उपद्रवियों को गिरफ्तार किया. इस मामले में पुलिस ने अपनी जांच के बाद 71 अन्य आरोपी उपद्रवियों पर यूएपीए एक्ट (UAPA Act) लगा दिया था. वहीं, बीती 28 अगस्त को हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के 50 आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी.

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