उत्तरकाशीः आपदा को करीब 9 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक अस्सी गंगा घाटी के जख्म नहीं भर पाए हैं. अस्सी गंगा घाटी के करीब 10 गांव और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल डोडीताल को जोड़ने वाला गंगोरी-डोडीताल मोटर मार्ग (Gangori Dodital road) अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ग्रामीणों ने कई बार शासन और प्रशासन को इस संबंध में अवगत करवाया, लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. अब ग्रामीणों ने जल्द बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.
अस्सी गंगा घाटी (केलशू घाटी) के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का कहना है कि साल 2012-13 की आपदा के दौरान भारी तबाही मची थी. जिसमें मुख्य सड़क भी क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन उसके बाद से अभी तक सड़क की स्थिति नहीं सुधर पाई है. आज सड़क की स्थिति गांव की पगडंडी से भी बदहाल हो चुकी है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की बदहाली के लिए संबंधित ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने की बात कही जाती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
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प्रसिद्ध डोडीताल को जोड़ता है यह मार्गः वहीं, क्षेत्र पंचायत सदस्य अगोड़ा अनुज पंवार का कहना है कि यह सड़क मार्ग डोडीताल को जोड़ता है. डोडीताल धार्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण से विश्व विख्यात है, लेकिन सड़क की बदहाली के कारण क्षेत्र के पर्यटन पर भी बुरा असर (winter tourist destination dodital) पड़ रहा है. वहीं, बदहाल सड़क हादसों को भी न्योता (Bad condition of gangori dodital road) दे रही है.
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनीः क्षेत्र पंचायत सदस्य अनुज पंवार ने कहा कि अब अस्सी गंगा घाटी के करीब 10 गांवों के लोगों ने जिला प्रशासन और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) विभाग को चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क की स्थिति नहीं सुधरती है तो बड़ा आंदोलन होगा.
विंटर डेस्टिनेशन डोडीतालः करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित डोडीताल को शीतकाल में पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन (winter destination dodital) माना जाता है. हर साल डोडीताल में पर्यटकों की अच्छी आमद रहती है, लेकिन सड़क की बदहाल स्थिति से पर्यटकों और ग्रामीणों को सफर करते वक्त हिचकोले खाने पड़ते हैं. डोडीताल के लिए जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से अगोड़ा गांव तक करीब 20 किमी टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. उसके बाद 20 किमी के पैदल ट्रैक को पार कर डोडीताल पहुंचा जा सकता है.
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बता दें कि डोडीताल अपने शांत और सुंदर वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत ऊंची झीलों में से एक है. डोडीताल में दुर्लभ हिमालय ब्राउन ट्राउट प्रजाति की मछलियों भी पाली गई थीं. बताया जाता है कि रियासत काल में कुछ विदेशी पर्यटकों ने झील में ब्राउन ट्राउट मछलियां पनपाई थी. यह झील बहुत कम जल निकायों में से एक हैं, जहां हिमालयी ब्राउन ट्राउट पाए जाते हैं.
अन्नपूर्णा माता का मंदिरः डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं. यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था. गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश था.
कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को गणेश ने रोका था. अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल में करीब 1 किमी लंबी झील के किनारे पर स्थित है. डोडीताल में अन्नपूर्णा मां के कपाट भी चारधाम की तरह शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं. फिर नियत समय पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं.
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सर्दियों में यहां काफी बर्फ जमी रहती है. इतना ही नहीं ठंड से झील का पानी भी जम जाता है. हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से ट्रैकर्स और श्रद्धालु पैदल ट्रैक कर डोडीताल पहुंचते हैं. यहां की प्रकृति के खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं.