उत्तरकाशीः इस बार ऊंचाई वाले इलाकों में हुई बर्फबारी से चारधाम यात्रा और गंगोत्री नेशनल पार्क समेत भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा की डगर मुश्किल हो सकती है. रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी से एवलांच आने का खतरा बढ़ गया है. तापमान बढ़ते ही इन दिनों गंगोत्री हाई-वे समेत अंतरराष्ट्रीय सीमा और गंगोत्री नेशनल पार्क की नेलांग रोड पर बड़े नालों में एवलांच आने शुरू हो गए हैं. वहीं, एवलांच की समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. विभाग की एक टीम आगामी दो से तीन दिन के भीतर गंगोत्री नेशनल पार्क के सड़क और पैदल रूटों की रेकी करेगी.
दरअसल, बीते शुक्रवार को मुखबा-जांगला के बीच एक एवलांच आया था. जिससे कुछ देर के लिए भागीरथी नदी का प्रवाह रुक गया था. हालांकि इस एवलांच से जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. वहीं, गंगोत्री हाई-वे पर सुक्की टॉप से लेकर गंगोत्री तक चार जगहों पर एवलांच आने का खतरा बना रहता है. जिसमें एक चांगथांग एवलांच (हिमस्खलन) पहले ही आ चुका है. जिसे काटकर बीआरओ की टीम ने गंगोत्री हाई-वे पर आवाजाही सुचारू की थी. इसके साथ ही झाला, धराली, पकोड़ानाला और मुखबा जांगला पैदल मार्ग पर भी एवलांच आने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं.
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गंगोत्री नेशनल पार्क के नेलांग घाटी और अंतरराष्ट्रीय सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर हिंदोलिया नाला, पागलनाला, तिरुपानी, कारचा में भी एवलांच मुसीबत बन सकते हैं. वहीं, गंगोत्री घाटी में भांगलुबासा और चीड़बसा मुख्य हिमस्खलन के केंद्र हैं. जो चारधाम यात्रा समेत गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत साहसिक पर्यटन और सामान्य पर्यटकों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.
वहीं, मामले पर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगोत्री हाई-वे और अंतरराष्ट्रीय सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर हिमस्खलन होने की संभावनाएं ज्यादा हैं. वहां पर बीआरओ को मार्ग खोलने के लिए मशीनरी तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं. उधर, गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप पंवार ने Etv Bharat को फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि दो दिन बाद उनकी टीम हिमस्खलन वाले संभावित स्थानों की रेकी करेगी. जिसके बाद आगे की योजना तैयार की जाएगी.