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सिलक्यारा से तीन खेपों में भेजी जा रही अमेरिकन ऑगर मशीन

auger machine Return from Uttarkashi सिलक्यारा से ऑगर मशीन वापस भेजी जा रही है. ऑगर मशीन को तीन खेप में सिलक्यारा से वापस भेजा जाएगा. रविवार को ही इसे तीन ट्रकों में लोड कर दिया गया था, जिसके बाद आज इसकी वापसी शुरू हो गई है. जिन्हें अब वापस भेजा जा रहा है.

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सिलक्यारा से तीन खेपों में भेजी जा रही अमेरिकन ऑगर मशीन
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 4, 2023, 5:52 PM IST

उत्तरकाशी: सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन को सड़क मार्ग से वापस भेजा जा रहा है. इस मशीन से मलबे में लोहे के अवरोधकों के चलते ड्रिलिंग भले पूरी नहीं कर पाई हो, लेकिन पाइप पुशिंग का काम इसी मशीन से संभव हो पाया था. जिससे एक एस्केप पैसेज तैयार हुआ. इसके बाद ही टनल में अंदर फंसे श्रमिकों के सफल रेस्क्यू को अंजाम दिया गया.

बीते 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन से सुरंग का निर्माण कर रहे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए थे. जिन्हें बचाने के लिए देशभर से कई मशीनें मंगवाई गई. इनमें ऑगर मशीन सबसे अहम थी. यह मशीन दिल्ली से खासतौर पर भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचाई गई थी. एक विमान के अंदर मशीन के पार्ट्स फंसने से उसे निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.

पढे़ें- सिलक्यारा, ऑगर, रैट माइनिंग...वो नाम जिनको उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन ने दी पहचान, क्या आपने पहले सुने थे?

इस मशीन पर सभी को भरोसा था कि यह मलबे में ड्रिलिंग कर एस्केप पैसेज तैयार कर लेगी, लेकिन पहली बार यह मशीन मलबे में किसी कठोर अवरोध के चलते 22 मीटर ड्रिल कर अटक गई. इसके बाद यह 51 मीटर ड्रिलिंग कर बुरी तरह लोहे की सरियों व पाइप में फंसी। गई. हालांकि, ऑगर निकालने के बाद मशीन से पाइप पुशिंग का काम आखिर तक किया गया. ट्रैंचलेस कंपनी के शंभू मिश्रा ने बताया सिलक्यारा से मशीन को तीन खेप में ही वापस भेजा रहा है. रविवार को ही इसे तीन ट्रालों में लोड कर दिया गया था. जिन्हें अब वापस भेजा जा रहा है.

उत्तरकाशी: सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन को सड़क मार्ग से वापस भेजा जा रहा है. इस मशीन से मलबे में लोहे के अवरोधकों के चलते ड्रिलिंग भले पूरी नहीं कर पाई हो, लेकिन पाइप पुशिंग का काम इसी मशीन से संभव हो पाया था. जिससे एक एस्केप पैसेज तैयार हुआ. इसके बाद ही टनल में अंदर फंसे श्रमिकों के सफल रेस्क्यू को अंजाम दिया गया.

बीते 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन से सुरंग का निर्माण कर रहे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए थे. जिन्हें बचाने के लिए देशभर से कई मशीनें मंगवाई गई. इनमें ऑगर मशीन सबसे अहम थी. यह मशीन दिल्ली से खासतौर पर भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से तीन खेप में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचाई गई थी. एक विमान के अंदर मशीन के पार्ट्स फंसने से उसे निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.

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इस मशीन पर सभी को भरोसा था कि यह मलबे में ड्रिलिंग कर एस्केप पैसेज तैयार कर लेगी, लेकिन पहली बार यह मशीन मलबे में किसी कठोर अवरोध के चलते 22 मीटर ड्रिल कर अटक गई. इसके बाद यह 51 मीटर ड्रिलिंग कर बुरी तरह लोहे की सरियों व पाइप में फंसी। गई. हालांकि, ऑगर निकालने के बाद मशीन से पाइप पुशिंग का काम आखिर तक किया गया. ट्रैंचलेस कंपनी के शंभू मिश्रा ने बताया सिलक्यारा से मशीन को तीन खेप में ही वापस भेजा रहा है. रविवार को ही इसे तीन ट्रालों में लोड कर दिया गया था. जिन्हें अब वापस भेजा जा रहा है.

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