पुरोला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई तरह के उपाय अपनाए जा रहे हैं. वहीं प्रशासन ने बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए है. लेकिन इन क्वारंटाइन सेंटरों में प्रशासन द्वारा दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं. यहां राजनीतिक नेताओं की सिफारिशें चल रही हैं. पुरोला में जो लोग देश या अन्य राज्यों के रेड-जोन वाले जिलों से आ रहे हैं उन्हें प्रशासन राजनीतिक नेताओं के फोन आने पर महज़ कागजी कार्रवाई कर कुछ ही घंटों में होम क्वारंटाइन के बहाने घर भेज दिया जा रहा है.
कोविड-19 को लेकर स्थानीय प्रशासन ने गढ़वाल मंडल विकास निगम के बंगले को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया है. लेकिन इन क्वारंटाइन सेंटरों में प्रशासन द्वारा दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं. मामले का पता तब चला जब दिल्ली छतरपुर निवासी पारुल छाबड़ा अपने भाई अभिषेक अग्रवाल के साथ पुरोला पहुंची और कुछ ही घंटों में क्वारंटाइन सेंटर से अपने घर चली गई.
वहीं मोरी विकासखंड के लीवाड़ी गांव निवासी राजेन्द्र सिंह अपने दो अन्य साथियों सहित अपनी भेड़-बकरियों के साथ टोंस वन प्रभाग पुरोला के जाख रेंज में दो महीने पूर्व से जंगलों में अपनी बकरियां के साथ रह रहे हैं. खाद्य सामग्री खत्म होने पर उन भेड़ पलकों में से राजेन्द्र सिंह रसद लेने पुरोला पहुंचे और अपने गांव के भाई के यहां लॉकडाउन में रहे तो उन्हें भाई सहित 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया गया.
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कोरोना वायरस को प्रशासन के कुछ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त आला-अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जिससे इसके बचाव में काम कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों का हौसला कम हो रहा है.