उत्तरकाशी: हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा सेब उत्पादन के लिए विशेष पहचान रखने वाले आराकोट-बंगाण क्षेत्र में ग्रामीणों को मिले आपदा के जख्म ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं भर पाया है. इस आपदा में क्षेत्र की लाइफलाइन आराकोट-चिंवा मोटर मार्ग पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन आज तक इसका पुनर्निर्माण और मरम्मत नहीं हो पाया है.
सक्रिय भूस्खलन बनी आफत: वहीं, एक सप्ताह से सड़क पर मोल्डी के समीप सक्रिय भूस्खलन कभी भी बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है. ग्रामीणों का कहना है कि बर्फबारी के बाद से लगातार सड़क बंद है. विभाग की जेसीबी थोड़ी देर के लिए सड़क को खोलती है, लेकिन फिर से भूस्खलन के कारण मार्ग बंद हो जाता है. ऐसा ही आराकोट-चिंवा मोटर मार्ग पर बीती शनिवार शाम एक भूस्खलन का वीडियो सामने आया है. जिसमें बड़े-बड़े पेड़ और बोल्डर पत्तों की तरह धराशायी हो रहे हैं.
17 गांवों का संपर्क टूटा: वहीं, बर्फबारी के बाद से लगातार बंद होती सड़क के कारण क्षेत्र के करीब 17 गांव किराणू, दूचाणू, चिंवा, जागटा, मौण्डा, बलावट, झोटाड़ी, गोकुल, डगोली, माकुड़ी, टिकोची, बरनाली, ऐराला के ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: जागेश्वर: सीएम धामी ने किया डोर-टू-डोर कैंपेन, नाराज दावेदारों ने की नारेबाजी
2019 में आई थी आपदा: गौरतलब है कि 18 अगस्त 2019 को आराकोट बंगाण में बादल फटने की घटना हुई थी. इस आपदा में करीब 20 लोग काल-कवलित हो गए. जबकि कुछ लोग लापता भी हो गए थे. कई सरकारी संपति, घर, दुकानें और वाहन बह गए थे. सबसे ज्यादा तबाही माकुड़ी, टिकोची, सनैल, आराकोट में हुई थी. काश्तकारों के सेब के फसल तबाह होने के साथ खेत बह गए थे. सड़क और पुल क्षतिग्रस्त हो गए.
रेस्कयू में दो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त: इस दौरान संचार सुविधा की काफी कमी महसूस हुई थी. ग्रामीणों ने आपदा की जानकारी हिमाचल के नेटवर्क के जरिए दी थी. रेस्क्यू के दौरान 2 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त घाटी में राहत और बचाव कार्य में जुटे. वहीं, दो हेलीकॉप्टर भी हादसे का शिकार हो गए. पहले हेलीकॉप्टर हादसे में पायलट समेत तीन लोगों की जान गई. जबकि, दूसरे हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग करनी पड़ी. हालांकि, इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचा.
सेब उत्पादन में विशेष पहचान: उत्तरकाशी जिले में 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें सबसे ज्यादा आराकोट बंगाण में होता है. यह घाटी फल पट्टी के रूप में विकसित है. यहां रॉयल डिलीसियस, रेड चीफ, स्पर, रेड गोल्डन, गोल्डन, हाईडेंसिटी के रूट स्टॉक आदि वैरायटी के सेब की पैदावार होती है. इसके अलावा नाशपाती, आड़ू, पूलम, खुबानी की खेती भी होती है, लेकिन आज तक इस क्षेत्र में न शासन व प्रशासन ने कभी ग्रामीणों की सुध नहीं ली है, जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है.