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पुरोला: रसद इकट्ठा करने में जुटे 5 दर्जन से अधिक गांव, बर्फबारी में कट जाता है संपर्क - पुरोला में बर्फबारी से परेशान लोग

पुरोला और उसके आसपास के 5 दर्जन से ज्यादा के गांव बर्फबारी के कारण परेशानियों का सामना करते हैं. इसके साथ ही ये गांव के लोग राशन और पशुओं के लिए सामान एकत्र करने लगे हैं.

5 दर्जन गांव के लोगों ने एकत्र किया राशन और चारा.
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Published : Nov 12, 2019, 7:38 PM IST

Updated : Nov 12, 2019, 10:42 PM IST

पुरोला: उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के लगभग पांच दर्जन गांवों में लोग अपने लिए राशन और पशुओं के लिए चारा जमा करने में जुटे हुए हैं. चार माह सीमावर्ती क्षेत्र के लोग भारी बर्फबारी के चलते अपने घरों में कैद हो जाएंगे. ऐसे में ग्रामीण अपने दैनिक जरुरतों का जरूरी सामान घरों में इकट्ठा कर रहे हैं. अप्रैल माह तक यहां का सम्पर्क बाकी सीमाओं से कट जाएगा. सीमावर्ती गांवों में चार से पांच फुट बर्फबारी होने के बाद जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है.

बर्फबारी में कट जाता है संपर्क.

मोरी प्रखंड के ओसला, गंगाड, ढाटमीर, पंवाणी, फिताडी, लिवाड़ी, राला, रेक्चा, गोकुल, झोटाडी, किराणु, मौण्डा, बलावट सहित लगभग पांच दर्जन गांवों में इन दिनों लोग 4 माह का रसद और पशुओं के लिए चारा इकठ्ठा करने में जुटे हैं. अब इन गांवों में दिसम्बर माह से अप्रैल माह तक भारी बर्फबारी होती है, जिससे यहां का जनजीवन चार माह तक ठहर जाता है.

ये भी पढ़ें: कार्तिक पूर्णिमा आज, गंगा स्नान से भगवान विष्णु की होती है विशेष कृपा

बर्फबारी से जहां इन लोगों के खेत-खलियानों में खूब पैदावार होती है. वहीं, पशुओं के लिये बर्फबारी में खिलाने को इकठ्ठा किये सूखे चारे से आगजनी का खतरा बना रहता है. क्योंकि यहां के घर लकड़ी के बने रहते हैं. ऐसे में कई बार घरों के गर्म रखने के चक्कर में लगाई गई आग के कारण कई दुर्घटनाएं भी हुई हैं.

पुरोला: उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के लगभग पांच दर्जन गांवों में लोग अपने लिए राशन और पशुओं के लिए चारा जमा करने में जुटे हुए हैं. चार माह सीमावर्ती क्षेत्र के लोग भारी बर्फबारी के चलते अपने घरों में कैद हो जाएंगे. ऐसे में ग्रामीण अपने दैनिक जरुरतों का जरूरी सामान घरों में इकट्ठा कर रहे हैं. अप्रैल माह तक यहां का सम्पर्क बाकी सीमाओं से कट जाएगा. सीमावर्ती गांवों में चार से पांच फुट बर्फबारी होने के बाद जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है.

बर्फबारी में कट जाता है संपर्क.

मोरी प्रखंड के ओसला, गंगाड, ढाटमीर, पंवाणी, फिताडी, लिवाड़ी, राला, रेक्चा, गोकुल, झोटाडी, किराणु, मौण्डा, बलावट सहित लगभग पांच दर्जन गांवों में इन दिनों लोग 4 माह का रसद और पशुओं के लिए चारा इकठ्ठा करने में जुटे हैं. अब इन गांवों में दिसम्बर माह से अप्रैल माह तक भारी बर्फबारी होती है, जिससे यहां का जनजीवन चार माह तक ठहर जाता है.

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बर्फबारी से जहां इन लोगों के खेत-खलियानों में खूब पैदावार होती है. वहीं, पशुओं के लिये बर्फबारी में खिलाने को इकठ्ठा किये सूखे चारे से आगजनी का खतरा बना रहता है. क्योंकि यहां के घर लकड़ी के बने रहते हैं. ऐसे में कई बार घरों के गर्म रखने के चक्कर में लगाई गई आग के कारण कई दुर्घटनाएं भी हुई हैं.

Intro:स्थान-पुरोला
एंकर-जनपद के मोरी विकासखण्ड के लगभग पांच दर्जन गांवों में आजकल लोग अपने लिए रसद तो, पशुओं के लिऐ चारा जमा करने में जुटे हैं। अब चार माह सीमावर्ती छेत्र के लोग भारी बर्फबारी के चलते अपने घरों में कैद हो जाएंगे । गांवो में लोगों नें जीवन यापन के जरूरी सामान घरो में इकठा करना शुरू कर दिया है ,अब अप्रैल माह तक यहां का सम्पर्क बाकी देश दुनियां से कट जाएगा । सीमावर्ती गांवो में चार से पांच फुट बर्फवारी पड़ती है जिससे सारा जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है । पेश है एक रिपोर्ट।






Body:वीओ१-मोरी प्रखंड के ओसला,गंगाड, ढाटमीर,पंवाणी,फिताडी,लिवाड़ी, राला, रेक्चा, गोकुल,झोटाडी, किराणु, मौण्डा, बलावट, सहित लगभग पांच दर्जन गाँवों में इन दिनों अपने लिये लोग चार माह का रसद व पशुओं के लिए चारा पत्ती व ठंड से बचने व खाना बनाने को जलाव लकड़ी इकठ्ठा करने में जुटे हैं अब इन गांवो में दिसम्बर माह से अप्रैल माह तक भारी बर्फबारी होती है जिससे यहाँ का जनजीवन चार माह ठहर जाता है और ये बर्फ़बारी यहां के लिए मोतियों से कम नहीं यहां के वासिंदे बताते हैं कि बर्फ जितनी पड़ेगे फसल उतनी ही बंफर पैदा होगी। इस बर्फवारी के चलते प्रसाशन भी इन गांवों में चार माह का खदान पहले ही बंटवा देते हैं।
बाईट-ग्रमीण
बाईट-ग्रमीण
बाईट-ग्रमीण
वीओ२-बर्फवारी में चार माह मनुष्य क्या पशु भी घरों में कैद हो जाते है। एक गाँव का दूसरे गाँव तक का संपर्क भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है, सड़क मार्ग से ये गांव बाकी देश दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं । प्रशासन भी इन गांवों में चार माह का एडवांश खाद्यान पहले ही बटवा देते हैं।
बाईट-रामकृपाल ( सहायक खाद्य पूर्ती अधिकारी)


Conclusion:वीओ-बर्फवारी से जहाँ इन लोगों के खेत खलियानों में खूब पैदावार होती है, वहीं पशुओं के लिये बर्फवारी में खिलाने को इकठ्ठा किये सुखी चारा पत्ती से कभी भी आगजनी का खतरा बना रहता है। यहाँ के घर लकड़ी के बने रहते हैं और घरों के बाहर ठंड से बचने व पषुओं के लिये घाष सुख कर लगाई जाती है। कई बार गांव के गांव जलकर राख हो गए । अब लोगों की लाचारी है और प्रशासन मौन।
Last Updated : Nov 12, 2019, 10:42 PM IST
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