खटीमा: भारत व नेपाल के बीच में हुई पूर्व संधि के आधार पर टनकपुर बैराज पार से नेपाल को 1.2 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण नेशनल हाइड्रोलिक पावर कॉरपोरेशन बनबसा द्वारा कराया जा रहा है. इस नहर के निर्माण का ठेका जहां दिल्ली की कंपनी एएनएस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जाना सुनिश्चित हुआ है, वहीं लगभग 58 करोड़ की लागत से नेपाल को नहर का निर्माण शारदा नहर के टनकपुर क्षेत्र से किया जाना है.
टनकपुर के सैकड़ों वाहन स्वामियों की नहर निर्माण में खनन सामग्री ढोने के कार्य को दिए जाने की मांग को नहर निर्माण कंपनी ने दरकिनार कर बाहरी वाहन, जेसीबी व पोकलैंड शारदा नहर में उतार दिया. इसकी सूचना मिलते ही टनकपुर शक्तिमान ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों व वाहन स्वामियों ने मौके पर पहुंच नहर निर्माण के लिए हो रहे आरबीएम ढुलान के कार्य को रोक जोरदार धरना प्रदर्शन किया. साथ ही किसी भी हालत में बाहरी वाहनों को नहर निर्माण में कार्य ना करने दिए जाने की कंपनी को चेतावनी दी.
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करोड़ो की लागत से बन रही नेपाल को जाने वाली नहर के निर्माण का ठेका भले ही बाहर की फर्म को मिला हो, लेकिन नहर निर्माण में आरबीएम ढुलान कर दो पैसा कमाने की आस लगाए पूर्णागिरि शक्तिमान यूनियन से जुड़े लगभग 800 से 1,000 ट्रक स्वामियों को तब मायूसी मिली जब नहर निर्माण का कार्य कर रही निर्माण कंपनी ने बाहरी वाहनों को नहर से आरबीएम व उपखनिज ढुलान को शारदा नहर की डॉउन स्ट्रीम में उतार दिया. हालांकि निर्माण संस्था के लिए वन निगम द्वारा अलग से लगाए गए तोल कांटे को परमिशन ना मिलने के बावजूद खनन व्यवसायियों के लिए शारदा बैराज टनकपुर के किनारे डॉउन स्ट्रीम में बने वन निगम के कांटे से प्रशासन द्वारा नहर निर्माण संस्था को परमिशन दे दी गई.
वहीं खनन क्षेत्र में शक्तिमान ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों व वाहन स्वामियों के हंगामे की सूचना पर वन विकास निगम के डीएलएम खनन हरीश पाल ने मौके पर पहुंच शक्तिमान यूनियन के पदाधिकारियों से वार्ता की. इसके साथ ही यूनियन पदाधिकारियों ने नदी से रेता, बोल्डर आदि उप खनिज निकालने हेतु निर्माण संस्था को जेसीबी व पोकलैंड की परमिशन दिए जाने पर भी सवाल खड़े गए.