काशीपुरः उत्तराखंड गठन के बाद इन 21 सालों में उत्तराखंड सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए 132.63 करोड़ रुपए का अनुदान किया जा चुका है. वर्ष 2000 से 2021 तक 55,472 परिवारों को इसका लाभ मिला है.
उत्तराखंड गठन से जनवरी 2021 तक अनुसूचित जाति के गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए 55,472 लाभार्थियों को 132 करोड़ 63 लाख 57 हजार रूपये की धनराशि का अनुदान दिया गया है. काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नदीमुद्दीन ने अनुसूचित जाति के परिवारों की बेटियों के विवाह हेतु अनुदान संबंधी वर्षवार तथा जिलावार सूचना मांगी थी. इसके उत्तर में समाज कल्याण विभाग के लोक सूचना अधिकारी जेपी बेरी ने संबंधित शासनादेशों की प्रतियां और निदेशालय समाज कल्याण हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी प्रदीप कुमार पांडे ने 2000-01 से जनवरी 2021 तक के लाभार्थियों की संख्या तथा धनराशि के विवरण की जानकारी दी है.
मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड गठन के पूर्व से ही 25-10-1997 के शासनादेश से अनुसूचित जाति/जनजाति के निर्धन एवं असहाय लोगों की बेटियों के विवाह हेतु 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान था. जिसे शासनादेश संख्या 1030 दिनांक 12 दिसंबर 2011 से बढ़ाकर 15 हजार रुपये वार्षिक या बीपीएल परिवारों की 2 बेटियों हेतु 20 हजार रूपये कर दिया गया. शासनादेश संख्या 1919 दिनांक 25 जून 2013 से इसे बढ़ाकर 50 हजार रूपये कर दिया गया और ऐसे व्यक्तियों को बीमारी से इलाज के लिए 10 हजार रूपये तक की धनराशि प्रदान किए जाने की भी व्यवस्था की गई है.
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55 हजार से ज्यादा लाभार्थीः समाज कल्याण निदेशालय द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक अनुसूचित जाति के परिवारों की बेटियों के विवाह हेतु तथा बीमारी के इलाज हेतु अनुदान योजना के अंतर्गत वर्ष 2000-01 से 2020-21 (जनवरी तक) कुल 55,472 लाभार्थियों को 132 करोड़ 63 लाख 57 हजार की धनराशि अनुदान पर खर्च की गई है. इसमें सर्वाधिक 10,815 लाभार्थी हरिद्वार जिले के हैं. जिन पर 3602.8 लाख रूपये की धनराशि खर्च की गई है. जबकि दूसरे स्थान पर 7411 लाभार्थी बागेश्वर जिले के हैं जिन पर 954.74 लाख की धनराशि खर्च हुई है. तीसरे स्थान पर 5001 लाभार्थी उधमसिंह नगर जिले के हैं, जिन पर 1399.39 लाख की धनराशि खर्च हुई है.
पौड़ी के 4350 लाभार्थियों पर 836.83 लाख, टिहरी के 2838 लाभार्थियों पर 725.26 लाख, चमोली के 3379 लाभार्थियों पर 625.63 लाख, रुद्रप्रयाग के 2534 लाभार्थियों पर 456.29 लाख, उत्तरकाशी के 2323 लाभार्थियों पर 587.54 लाख, देहरादून के 2910 लाभार्थियों पर 1048.15 लाख, नैनीताल के 3522 लाभार्थियों पर 883.84 लाख, अल्मोड़ा के 3365 लाभार्थियों पर 883.84 लाख, पिथौरागढ़ के 3486 लाभार्थियों पर 684.59 लाख तथा चंपावत के 3358 लाभार्थियों पर 483.93 लाख रूपये खर्च किए गए हैं.
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वर्षवार विवरणः वित्तीय वर्ष 2000-2001 में 246 लाभार्थियों पर 17.30 लाख, 2001-02 में 1106 लाभार्थियों पर 51.30 लाख, 2002-03 में 1288 लाभार्थियों पर 64.82 लाख, 2003-04 में 1652 लाभार्थियों पर 81 लाख, 2004-05 में 1755 लाभार्थियों पर 111 लाख, 2005-06 में 2129 लाभार्थियों पर 126.99 लाख, 2006-07 में 2339 लाभार्थियों पर 152 लाख, 2007-08 में 2644 लाभार्थियों पर 177.15 लाख, 2008-09 में 2014 लाभार्थियों पर 160.79 लाख, 2009-10 में 4645 लाभार्थियों पर 327.12 लाख, 2010-11 में 5038 लाभार्थियों पर 361.76 लाख, 2011-12 में 4497 लाभार्थियों पर 346.33 लाख की धनराशि व्यय की गई है.
इसके अलावा 2012-13 में 2652 लाभार्थियों पर 449.89 लाख, 2013-14 में 4953 लाभार्थियों पर 2252.48 लाख, 2014-15 में 5099 पर 2149.72 लाख, 2015-16 में 4047 लाभार्थियों पर 1749.92 लाख, 2016-17 में 1000 पर 5 करोड़, 2017-18 में 3 हजार पर 15 करोड़, 2018-19 में 3350 पर 1675 लाख, 2019-20 में 1800 पर 9 करोड़ तथा 2020-21 (जनवरी 2021 तक) 218 लाभार्थियों पर 1 करोड़ 9 लाख रूपये की धनराशि अनुदान के रूप में व्यय की गई है.