काशीपुर: तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो को उत्तराखंड सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा देते हुए राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया है. राज्य महिला आयोग के उपाध्यक्ष बनने के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्हें महिलाओं के हक के लिए काम करने की बात कही. बीते 10 अक्टूबर को तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं. काशीपुर में रामनगर रोड स्थित अपने आवास पर ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए काम करते हुए जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाना उनकी प्राथमिकता में शामिल होगा.
उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं की मदद करते हुए राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकना तथा पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं के साथ लड़कियों को शिक्षा और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना भी उनकी प्राथमिकता में शामिल रहेगा.
काशीपुर की रहने वाली हैं सायरा बानो
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो ने ही पहली बार तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला पर बैन लगाने की मांग करते हुए फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो रिटायर्ड आर्मी अफसर की बेटी हैं और एमबीए पास हैं. सायरा का निकाह 2002 में इलाहाबाद के एक प्रॉपर्टी डीलर से हुई थी. सायरा का आरोप था कि शादी के बाद उन्हें हर दिन पीटा जाता था. पति हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था. पति ने उन्हें टेलीग्राम के जरिए तलाकनामा भेजा. वह एक मुफ्ती के पास गईं तो उसने कहा कि टेलीग्राम से भेजा गया तलाक जायज है. इसके बाद सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के रिवाज को चुनौती दी.
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मोदी सरकार ने 2019 में बनाया तीन तलाक के खिलाफ कानून
साल 2019 में मोदी सरकार ने संसद से ऐसा विधेयक पारित कराया कि तीन तलाक अपराध की श्रेणी में आ गया. सायरा बानो की याचिका पर ही अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. इसके बाद मोदी सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह से जुड़े अधिकारों का संरक्षण) विधेयक संसद से पारित कराया, जो अब कानून बन चुका है. इस कानून के तहत तलाक-ए-बिद्दत यानी एक ही बार में तीन बार तलाक कहना आपराधिक श्रेणी में आ गया है. वॉट्सऐप, एसएमएस के जरिए तीन तलाक देने से जुड़े मामले भी इस कानून के तहत ही सुने जाएंगे. नए कानून में तीन तलाक की पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा-भत्ता मांगने का हक मिला है.