खटीमा: यूपी और उत्तराखंड के वन अधिकारियों ने बाघ संरक्षण के लिए समन्वय बैठक का आयोजन किया. इस दौरान उत्तराखंड की सुरई वन रेंज और यूपी की महोव वन रेंज में वनकर्मियों द्वारा बॉर्डर के जंगलों में संयुक्त गश्त की गई. वही दोनों राज्यों के वन अधिकारियों द्वारा हर 15 दिन में संयुक्त गश्त करने का निर्णय भी लिया गया है.
जिले के खटीमा स्थित यूपी बॉर्डर से लगी सुरई वन रेंज के गेस्ट हाउस में शनिवार को वन अधिकारियों ने समन्वय बैठक की. इस मौके पर पश्चिमी व्रत के वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते, तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. एच राजा मोहन और पीलीभीत के डीएफओ मौजूद रहे.
इस दौरान बाघ संरक्षण और वनों के अवैध कटान पर लगाम लगाने पर चर्चा हुई. वहीं इस दौरान दोनों राज्यों के वन कर्मियों द्वारा उत्तराखंड और यूपी की सीमा के जंगलों में संयुक्त गश्त भी की गई. बैठक में 15 दिन में बॉर्डर की दोनों तरफ की वन रेंजो के वन कर्मियों द्वारा संयुक्त गश्त करने का निर्णय लिया गया.
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वहीं वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि यूपी पीलीभीत टाइगर रिजर्व में लगभग 40- 50 बाघ हैं, उतने ही टाइगर सुरई वन रेंज में हैं. यूपी और उत्तराखंड की सीमा के दोनों तरफ लगभग 100 की संख्या में बाघ निवास करते हैं. जिस कारण शिकारियों का इधर आवागमन काफी होता है. ऐसे में बाघ को शिकारियों से बचाने के लिए कई विषयों पर निर्णय लिए गए हैं.