रुद्रपुर: देश में कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस संक्रमण से देशभर में भारी संख्या में लोग पीड़ित हैं. इसको रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार हर संभव तरीके अपना रही हैं लेकिन इस महामारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. वहीं, भारतीय सेना के जवान भी इस लड़ाई में उतर आए हैं. सेना की एक डॉक्टर अपने दुधमुंहे बच्चे को छोड़, कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुटी हुई हैं.
दरअसल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए भारत सरकार ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है. इसका आज ग्यारहवां दिन है. लेकिन अभी भी कुछ लोग लॉकडाउन के नियमों का उलंघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं. उधर आर्मी की एक महिला डॉक्टर रेखा अपने सात महीने के बच्चे को घर पर छोड़ कर मरीजों की सेवा में जी-जान से लगी हुई हैं. वर्तमान में उस महिला डॉक्टर की सेवा कोरोना पीड़ित लोगों के इलाज के लिए ली जा रही है, जो कि इस लड़ाई में पूरी तरह से कूद चुकी हैं. महिला दिन-रात लोगों का उपचार कर रही है.
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बताया जा रहा है कि डॉ. रेखा वर्तमान में रुद्रपुर और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर अपनी तैनाती दे रही हैं. वो बच्चे को घर पर छोड़ सुबह 8 बजे अपने सेवाभाव से काम में जुट जाती हैं. डॉ. रेखा बताती हैं कि उनके काम पर जाने के बाद बच्चे की देखभाल उसके पति करते हैं. डॉ. रेखा ने लोगों से अपील करते हुए कहा, कि जब वह देश के लिए अपने सात महीने के बच्चे को घर पर छोड़ कर लोगोे की सेवा कर सकती हैं, तो क्या लोगों को भी देश की खातिर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, जिससे कोरोना संक्रमण से जल्द निजात मिल सके.
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ऐसी ही कहानी उत्तराखंड पुलिस की वर्दी में तैनात महिला सिपाही बेबी कार्की की है. बेबी छह माह के बच्चे की मां भी हैं. वो भी अपने बच्चे को छोड़ कर अपनी ड्यूटी दे रही हैं. उन्होंने बताया कि इस समय वो अपने बच्चे को वक्त नहीं दे पा रही हैं. बच्चे को उसकी नानी के पास छोड़ रखा है. महिला सिपाही बेबी कार्की ने भी लोगों से अपील की है कि कोरोना वायरस से जंग लड़ रही केंद्र सरकार, राज्य सरकार, देश के डॉक्टर और पुलिस प्रशासन की सहायता में अपना सहयोग दें और लॉकडाउन का पालन करें, जिससे अन्य लोगों का जीवन बच सके और देश को इस महामारी से निजात मिल सके.