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थाई मांगुर मछली के बीज किए जाएंगे नष्ट, बेचने और पालने वालों से वसूला जाएगा जुर्माना

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Published : May 29, 2019, 7:08 PM IST

तालाबों में थाई मांगुर पालने पर लगा प्रतिबंध. मत्स्य पालकों ने नहीं माना आदेश तो वसूला जाएगा जुर्माना.

फाइल फोटो.

खटीमा: इकोसिस्टम के लिए खतरा बनी थाई मांगुर मछली पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है. सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद मत्स्य विभाग ने थाई मांगुर मछली के पालन पर गाइडलाइन जारी कर दी है. जिलाधिकारी ने मत्स्य विभाग के नेतृत्व में टीम गठित कर फैसला लिया है थाई मांगुर मछली पालकों के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा. साथ ही जुर्माना भी वसूला जाएगा.

थाई मांगुर मछली के बीज किए जाएंगे नष्ट.

पहले थाई मांगुर पालकों को नोटिस दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर मत्स्य पालक थाई मांगुर मछली पालते हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई होगी. इसके तहत डीएम द्वारा गठित टीम तालाब जाकर सभी मांगुर मछलियों को नष्ट करेगी. इस दौरान जो भी खर्चा विभाग को आएगा वो मत्स्य पालक से वसूला जायेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मत्स्य प्रजाति की थाई मांगुर मछली के विनिष्टीकरण के आदेश मत्स्य विभाग को दिए हैं. इस आदेश के बाद तालाबों में थाई मांगुर मछली पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

पढ़ें- 30 मई को घोषित होंगे उत्तराखंड बोर्ड के परिणाम, यहां देखें रिजल्ट

मत्स्य विभाग के इंस्पेक्टर अमित कुशवाहा ने बताया कि उत्तराखंड में दो प्रकार की मांगुर मछली पाली जाती हैं. पहली थाई मांगुर मछली, दूसरी देसी मांगुर मछली. थाई मांगुर मछली को भोजन के रूप में वेस्टेज प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं, जिससे यह मछली खाने वाले बीमारी हो सकते हैं. साथ ही थाई मांगुर मछली अन्य मछलियों में भी बीमारी फैलाने का काम करती है.

नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार थाई मांगुर मछली जल तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) के लिए भी खतरा है. इसलिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने थाई मांगूर मछली की प्रजाति के पालन और प्रजनन को प्रतिबंधित करते हुए विनिष्टिकरण के आदेश दिए हैं. डीएम को मत्स्य विभाग की एक टास्क फोर्स गठित करने को भी कहा गया है, तालाबों में थाई मांगुर के पालन और प्रजनन को नष्ट किया जाए.

खटीमा: इकोसिस्टम के लिए खतरा बनी थाई मांगुर मछली पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है. सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद मत्स्य विभाग ने थाई मांगुर मछली के पालन पर गाइडलाइन जारी कर दी है. जिलाधिकारी ने मत्स्य विभाग के नेतृत्व में टीम गठित कर फैसला लिया है थाई मांगुर मछली पालकों के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा. साथ ही जुर्माना भी वसूला जाएगा.

थाई मांगुर मछली के बीज किए जाएंगे नष्ट.

पहले थाई मांगुर पालकों को नोटिस दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर मत्स्य पालक थाई मांगुर मछली पालते हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई होगी. इसके तहत डीएम द्वारा गठित टीम तालाब जाकर सभी मांगुर मछलियों को नष्ट करेगी. इस दौरान जो भी खर्चा विभाग को आएगा वो मत्स्य पालक से वसूला जायेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मत्स्य प्रजाति की थाई मांगुर मछली के विनिष्टीकरण के आदेश मत्स्य विभाग को दिए हैं. इस आदेश के बाद तालाबों में थाई मांगुर मछली पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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मत्स्य विभाग के इंस्पेक्टर अमित कुशवाहा ने बताया कि उत्तराखंड में दो प्रकार की मांगुर मछली पाली जाती हैं. पहली थाई मांगुर मछली, दूसरी देसी मांगुर मछली. थाई मांगुर मछली को भोजन के रूप में वेस्टेज प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं, जिससे यह मछली खाने वाले बीमारी हो सकते हैं. साथ ही थाई मांगुर मछली अन्य मछलियों में भी बीमारी फैलाने का काम करती है.

नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार थाई मांगुर मछली जल तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) के लिए भी खतरा है. इसलिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने थाई मांगूर मछली की प्रजाति के पालन और प्रजनन को प्रतिबंधित करते हुए विनिष्टिकरण के आदेश दिए हैं. डीएम को मत्स्य विभाग की एक टास्क फोर्स गठित करने को भी कहा गया है, तालाबों में थाई मांगुर के पालन और प्रजनन को नष्ट किया जाए.

Intro:एंकर- इकोसिस्टम के लिए खतरा बनी थाई मांगुर मछली पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया प्रतिबंध। सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद मत्स्य विभाग ने थाई मांगुर मछली के पालन पर जारी की गाइडलाइन। जिले में जिलाधिकारी ने मत्स्य विभाग के नेतृत्व में टीम की गठित। मत्स्य पालकों को थाई मांगुर मछली नही पालने के लिये जारी होगा नोटिस। नोटिस के बाद भी थाई मांगुर मछली पालने पर मत्स्य पालकों पर होगी कार्रवाई। थाई मांगुर मछली पालने वाले मत्स्य पालक के तालाब में जाकर जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित की गई टीम मांगुर मछली को करेगी नष्ट। इस कार्रवाई का खर्चा भी मत्स्य पालक से वसूला जायेगा।

बाइट-खबर मेल पर है।


Body:वीओ- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मत्स्य प्रजाति की थाई मांगुर मछली के विनिस्टीकरण करने के आदेश मस्तक विभाग को दिए है। इस आदेश के बाद तालाबों में थाई मांगुर मछली पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मत्स्य विभाग के इंस्पेक्टर अमित कुशवाहा कुशवाहा ने मीडिया को बताया कि उत्तराखंड में दो प्रकार की मांगुर मछली पाली जाती हैं पहली थाई मांगुर मछली दूसरी देसी मांगुर मछली। थाई मांगुर मछली को भोजन के रूप में वेस्टेज प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं। जिससे यह मछली खाने वालों पर बीमारियां फैलने की संभावना ज्यादा होती है। साथ ही थाई मांगुर मछली अन्य मछलियों में भी बीमारी फैलाने में सहायक होती है। नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार थाई मांगुर मछली जल तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा है। इसलिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने थाई मांगूर मछली की प्रजाति के पालन और प्रजनन को प्रतिबंधित करते हुए विनिAस्टीकरण की कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। साथ ही डीएम को मत्स्य विभाग की एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया है। ताकि जिले के तालाबों में अगर थाई मांगुर का पालन या प्रजनन किया जा रहा है तो उसे नष्ट किया जाए। वहीं थाई मांगुर को पालने वाले मत्स्य पालक को टास्क फोर्स को मांगुर मछली के नष्ट करने का जुर्माना भी देना होगा।

बाइट-अमित कुशवाहा इंस्पेक्टर मत्स्य विभाग खटीमा


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