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ग्राम प्रधान संगठन ने सचिव पेयजल पर लगाया आरोप, जल जीवन मिशन से जुड़ा है मामला

सम्मल का आरोप था कि जनहित के कार्यों की अनदेखी कर अनर्गल व अनैतिक पत्राचार कर कार्रवाही को लंबा खींचा जा रहा है. इस बारे में हाई कोर्ट को अवगत कराया जाएगा.

Sitarganj
ग्राम प्रधान संगठन
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Published : Oct 29, 2020, 8:11 PM IST

सितारगंज: ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष और बिडौर गांव के प्रधान भास्कर सम्मल ने पेयजल विभाग पर गंभीर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि पेयजल विभाग ने हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में जो पत्र उन्हें भेजा है उसमें गुमराह किया गया है.

दरअसल, ग्राम प्रधान सम्मल और ग्राम प्रधान कुन्यारी हुकुम सिंह ने जल जीवन मिशन को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये में पेयजल संयोजन देने की योजना का काम ठेकेदार से न कराकर ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया जा रहा है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को याचिका अंतिम रूप से निस्तारित कर दी थी कि याची 19 अक्टूबर तक नया प्रत्यावेदन सचिव पेयजल उत्तराखंड शासन को प्रेषित करें. जब यह प्रत्यावेदन प्राप्त हो उसके चार सप्ताह के भीतर सचिव पेयजल मामले का निस्तारण करें.

पढ़ें- प्रतापनगर में पाये गये 50 करोड़ साल पुराने स्ट्रोमेटोलाइट फॉसिल्स

इधर, सचिव पेयजल ने अपने 28 अक्टूबर के पत्र में सम्मल से कहा कि 12 दिन बीत जाने के बाद भी उन्होंने प्रत्यावेदन नहीं दिया है. इस पर सम्मल ने सचिव पेयजल को भेजे पत्र में कहा कि वह इस मामले में गलत तथ्यों के साथ भ्रामक पत्र भेज रहे हैं. उनके अवर अभियंता सितारगंज उनका पत्र प्राप्त नहीं करना चाह रहे. वह सचिव पेयजल को 19 अक्टूबर को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेज चुके है, जो 21 अक्टूबर को प्राप्त हो चुका है.

सम्मल का आरोप था कि जनहित के कार्यों की अनदेखी कर अनर्गल व अनैतिक पत्राचार कर कार्रवाई को लंबा खींचा जा रहा है. इस बारे में हाई कोर्ट को अवगत कराया जाएगा.

सितारगंज: ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष और बिडौर गांव के प्रधान भास्कर सम्मल ने पेयजल विभाग पर गंभीर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि पेयजल विभाग ने हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में जो पत्र उन्हें भेजा है उसमें गुमराह किया गया है.

दरअसल, ग्राम प्रधान सम्मल और ग्राम प्रधान कुन्यारी हुकुम सिंह ने जल जीवन मिशन को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये में पेयजल संयोजन देने की योजना का काम ठेकेदार से न कराकर ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया जा रहा है. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को याचिका अंतिम रूप से निस्तारित कर दी थी कि याची 19 अक्टूबर तक नया प्रत्यावेदन सचिव पेयजल उत्तराखंड शासन को प्रेषित करें. जब यह प्रत्यावेदन प्राप्त हो उसके चार सप्ताह के भीतर सचिव पेयजल मामले का निस्तारण करें.

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इधर, सचिव पेयजल ने अपने 28 अक्टूबर के पत्र में सम्मल से कहा कि 12 दिन बीत जाने के बाद भी उन्होंने प्रत्यावेदन नहीं दिया है. इस पर सम्मल ने सचिव पेयजल को भेजे पत्र में कहा कि वह इस मामले में गलत तथ्यों के साथ भ्रामक पत्र भेज रहे हैं. उनके अवर अभियंता सितारगंज उनका पत्र प्राप्त नहीं करना चाह रहे. वह सचिव पेयजल को 19 अक्टूबर को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेज चुके है, जो 21 अक्टूबर को प्राप्त हो चुका है.

सम्मल का आरोप था कि जनहित के कार्यों की अनदेखी कर अनर्गल व अनैतिक पत्राचार कर कार्रवाई को लंबा खींचा जा रहा है. इस बारे में हाई कोर्ट को अवगत कराया जाएगा.

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