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दुनियाभर में भारत का बज रहा डंका, दुग्ध उत्पादन में 15 सालों से पहले पायदान पर - रुद्रपुर न्यूज

दूध की महत्ता को समझाने के लिए 1 जून को मिल्क डे मनाया जाता है ताकि दूध के सेवन से मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचे. भारत पिछले 15 सालों से दूध उत्पादन में विश्व में नम्बर एक पोजीशन पर बना हुआ है.

दुग्ध उत्पादन
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Published : May 31, 2019, 10:47 PM IST

रुद्रपुरः एक जून को पूरे विश्व में मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में वास्तव में दूध का क्या इतना उत्पादन हो रहा है कि जितनी उसकी खपत है. क्योंकि अक्सर दूध और इससे बनने उत्पादों में मिलावटखोरी की शिकायत सामने आती रहती है. यह घटनाएं त्यौहारों के समय काफी बढ़ जाती है. ऐसे में देखिए ईटीवी भारत की World Milk Day पर ये खास रिपोर्ट...

दुग्ध उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है.

बता दें दूध की महत्ता को समझाने के लिए 1 जून को मिल्क डे मनाया जाता है ताकि दूध के सेवन से मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचे. भारत पिछले 15 सालों से दूध उत्पादन में विश्व में नम्बर एक पोजीशन पर बना हुआ है.

जानकारों की मानें तो भारत में दूध का उत्पादन इतना अधिक होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को दूध मिलने के बाद भी बच सकता है. देश में दूध उत्पादन पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां सालाना करीब 160 मिलियन टन लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है जबकि, देश में प्रतिदिन 213 मिलियन लीटर दूध की खपत होती है.

वहीं, उत्तराखंड में लगभग 45 लाख लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन किया जाता है जोकि खपत से अधिक उत्पादित किया जा रहा है. हालांकि, देश में दुधारु पशुओं से निकलने वाले दूध की मात्रा कम है.

पन्तनगर पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन की मानें तो इजराइल का एक पशु प्रतिवर्ष साढ़े 12 हजार लीटर दूध देता है जबकि भारत की दुधारू गाय दो से ढाई हजार लीटर ही दे पाती है. वैज्ञानिकों की टीम इस ओर भी काम कर रही है ताकि कम पशुओं पर अधिक उत्पादन किया जा सके

यह भी पढ़ेंः दून मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए खुशखबरी, जल्द लगेंगी हाईटेक मशीनें

जानकार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बाजारों में मिलने वाले दुग्ध उत्पादों में मिलावटखोरी अपने चरम पर है. दूध ही नहीं बल्कि अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट आम हो चुकी है.

जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई संस्थाएं है जो समय-समय मिलावटखोरी के लिए अभियान चलाती रहती है.

रुद्रपुरः एक जून को पूरे विश्व में मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में वास्तव में दूध का क्या इतना उत्पादन हो रहा है कि जितनी उसकी खपत है. क्योंकि अक्सर दूध और इससे बनने उत्पादों में मिलावटखोरी की शिकायत सामने आती रहती है. यह घटनाएं त्यौहारों के समय काफी बढ़ जाती है. ऐसे में देखिए ईटीवी भारत की World Milk Day पर ये खास रिपोर्ट...

दुग्ध उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है.

बता दें दूध की महत्ता को समझाने के लिए 1 जून को मिल्क डे मनाया जाता है ताकि दूध के सेवन से मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचे. भारत पिछले 15 सालों से दूध उत्पादन में विश्व में नम्बर एक पोजीशन पर बना हुआ है.

जानकारों की मानें तो भारत में दूध का उत्पादन इतना अधिक होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को दूध मिलने के बाद भी बच सकता है. देश में दूध उत्पादन पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां सालाना करीब 160 मिलियन टन लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है जबकि, देश में प्रतिदिन 213 मिलियन लीटर दूध की खपत होती है.

वहीं, उत्तराखंड में लगभग 45 लाख लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन किया जाता है जोकि खपत से अधिक उत्पादित किया जा रहा है. हालांकि, देश में दुधारु पशुओं से निकलने वाले दूध की मात्रा कम है.

पन्तनगर पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन की मानें तो इजराइल का एक पशु प्रतिवर्ष साढ़े 12 हजार लीटर दूध देता है जबकि भारत की दुधारू गाय दो से ढाई हजार लीटर ही दे पाती है. वैज्ञानिकों की टीम इस ओर भी काम कर रही है ताकि कम पशुओं पर अधिक उत्पादन किया जा सके

यह भी पढ़ेंः दून मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए खुशखबरी, जल्द लगेंगी हाईटेक मशीनें

जानकार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बाजारों में मिलने वाले दुग्ध उत्पादों में मिलावटखोरी अपने चरम पर है. दूध ही नहीं बल्कि अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट आम हो चुकी है.

जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई संस्थाएं है जो समय-समय मिलावटखोरी के लिए अभियान चलाती रहती है.

Intro:एंकर - एक जून को विश्व मिल्क डे मना रहा है। ऐसे में क्या भारत मे दूध का इतना उत्पन्त किया जा रहा है जितनी कि बाज़ारो में खपत होती है। इटीवी भारत की टीम ने मिल्क डे पर विशेष पड़ताल की ओर जानने की कोशिश की क्या बाज़ारो में दूध से बनने वाले खाद्यपदार्थ क्या दूध से बनाये जाते है। देखिए हमारी खास रिपोर्ट।


Body:वीओ - एक जून यानी कि मिल्क डे, विश्व दूध की महत्त्वता को समझाने के लिए 1 जून को मिल्क डे के रूप में मानता है। ताकि दूध के सेवन से मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी विश्व के सभी लोगो तक पहुचे। भारत पीछले 15 सालो से दूध के उत्पादन में विश्व मे नम्बर एक पोजीसन पर बना हुआ है। जानकारों की माने तो भारत मे दूध का उत्पादन इतना अधिक होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को दूध मिलने के बाद भी बच सकता है। देश मे दूध उत्पादन पर नज़र दौड़ाई जाए तो लगभग 160 मिलियन टन लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है जबकि प्रतिव्यक्ति इसे देखा जाए तो प्रत्येक दिन 213 मिलियन लीटर दूध की खपत पूरे भारत होती है। उत्तराखंड में लगभग 45 लाख लीटर प्रति दिन दूध का उत्पादन किया जाता है जबकि खपत है उससे अधिक उत्पादन किया जा रहा है। लेकिन बात दुधारू पशुओं से की जाए तो भारत नम्बर वन पर नही है। इसका मतलब अन्य देशों के मुकाबले भारत मे दुधारू पशुओं की संख्या कई गुना अधिक है। लेकिन पशुओं से निकलने वाला दूध की मात्रा कम है। पन्तनगर पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन की माने तो इजराइल का एक पशु प्रतिवर्ष साढ़े 12 हजार लीटर दूध देता है जबकि भारत की दुधारू गाय दो से ढाई हजार लीटर ही दे पाती है। वैज्ञानिको की टीम इस ओर भी काम कर रही है ताकि कम पशुओं पर अधिक उत्पादन किया जा सके।

बाइट - वाई पीएस डबास, डीन।

वीओ - वैज्ञानिक ये भी मानते है कि बाज़ारो में मिलने वाले खाद्यपदार्थो में मिलावट खोरी चरम सीमा में है। दूध ही नही बल्कि अन्य खाद्यपदार्थो में भी मिलावट आम हो चूकी है। जिसका सीधा असर लोगो मे पढ़ रहा है। वैज्ञानिकों की माने तो त्यौहारिक सीजन में दूध से बनने वाले तमाम खाद्यपदार्थो में जम कर मिलावट खोरी की जाती है। उन्होंने बताया कि समाज मे कई तरह के लोग रहते है कुछ अराजक तत्व भी है जो पैसा कमाने की चाहत में मिलावट खोरी कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते है ओर लोगो को बीमार कर रहे है। उन्होंने कहा कि देश मे ऐसी कई संस्थाएं है जो समय समय पर कार्यवाही करती रहती है लेकिन मिलावट खोरी के लिए आगे भी ओर तरह की कार्यवाही करने की जरूरत है।

बाइट - वाई पीएस डबास, डीन।


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