रुद्रपुरः एक जून को पूरे विश्व में मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में वास्तव में दूध का क्या इतना उत्पादन हो रहा है कि जितनी उसकी खपत है. क्योंकि अक्सर दूध और इससे बनने उत्पादों में मिलावटखोरी की शिकायत सामने आती रहती है. यह घटनाएं त्यौहारों के समय काफी बढ़ जाती है. ऐसे में देखिए ईटीवी भारत की World Milk Day पर ये खास रिपोर्ट...
बता दें दूध की महत्ता को समझाने के लिए 1 जून को मिल्क डे मनाया जाता है ताकि दूध के सेवन से मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचे. भारत पिछले 15 सालों से दूध उत्पादन में विश्व में नम्बर एक पोजीशन पर बना हुआ है.
जानकारों की मानें तो भारत में दूध का उत्पादन इतना अधिक होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को दूध मिलने के बाद भी बच सकता है. देश में दूध उत्पादन पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां सालाना करीब 160 मिलियन टन लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है जबकि, देश में प्रतिदिन 213 मिलियन लीटर दूध की खपत होती है.
वहीं, उत्तराखंड में लगभग 45 लाख लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन किया जाता है जोकि खपत से अधिक उत्पादित किया जा रहा है. हालांकि, देश में दुधारु पशुओं से निकलने वाले दूध की मात्रा कम है.
पन्तनगर पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन की मानें तो इजराइल का एक पशु प्रतिवर्ष साढ़े 12 हजार लीटर दूध देता है जबकि भारत की दुधारू गाय दो से ढाई हजार लीटर ही दे पाती है. वैज्ञानिकों की टीम इस ओर भी काम कर रही है ताकि कम पशुओं पर अधिक उत्पादन किया जा सके
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जानकार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बाजारों में मिलने वाले दुग्ध उत्पादों में मिलावटखोरी अपने चरम पर है. दूध ही नहीं बल्कि अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट आम हो चुकी है.
जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई संस्थाएं है जो समय-समय मिलावटखोरी के लिए अभियान चलाती रहती है.