काशीपुर: कृषि विज्ञान केंद्र में 'बासमती धान- उत्पादन एवं निर्यात संभावनाएं' नामक विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी में क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय विधायक त्रिलोक सिंह चीमा (Kashipur MLA Trilok Singh Cheema) ने शिरकत की. गोष्ठी में मौजूद वैज्ञानिकों के द्वारा बासमती धान के बारे में गहराई से बताया गया. दरअसल एपीडा एवं बीईडीएफ भारत सरकार के द्वारा बाजपुर रोड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में 'बासमती धान- उत्पादन एवं निर्यात संभावनाएं' नामक विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया.
गोष्ठी में वैज्ञानिकों के द्वारा बासमती चावल की खेती के बारे में विस्तार से वहां मौजूद किसानों को बताया गया. इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ जितेंद्र क्वात्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित की गई इस गोष्ठी में दो बिंदुओं को फोकस करने की कोशिश की गई है. इसमें पहले बिंदु के तहत भारत सरकार के द्वारा पूरे देश भर में दस हजार समृद्धिशील कृषि उत्पादक संगठन बनाए जाने के क्रम में काशीपुर में भी समृद्धिशील कृषि उत्पादक संगठन बनाया गया है.
संगठन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि इसमें 300 लोगों को जोड़ा जाना है. सभी 300 लोगों को संगठन में जुड़ने के पश्चात इसके माध्यम से क्षेत्र में समाप्त हो रही बासमती धान की खेती को दोबारा से शुरू किया जाना है. उन्होंने बताया कि गोष्ठी में मेरठ से एपीडा से आए वैज्ञानिकों एवं बुलाई गई अनेक कंपनियों के द्वारा बासमती धान के उत्पादन को बढ़ाने के बारे में चर्चा की गई.
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वहीं, काशीपुर में आज राजकीय पॉलीटेक्निक प्रांगण में रोजगार मेले का आयोजन किया गया. मेले का शुभारंभ आज उधम सिंह नगर जिले के जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने फीता काटकर किया. इस रोजगार मेले में 37 औद्योगिक प्रतिष्ठान शामिल हुए. जबकि 1100 के करीब लोगों ने मेले में प्रतिभाग किया. इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने कहा कि काशीपुर के राजकीय पॉलिटेक्निक में मंडल स्तर पर आयोजित रोजगार मेले में 30 से अधिक संस्थान के 1100 छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं.
इसके साथ ही इस रोजगार मेले में 38 कंपनियां इस रोजगार मेले में छात्र छात्राओं को उनकी प्रतिभा के अनुसार चयन करने के लिए आई हैं. अब तक पॉलिटेक्निक के 45% छात्र छात्राओं का चयन हो चुका है. इस बार मेले में 60% से अधिक छात्र-छात्राओं का चयन विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के लिए होने की संभावना है.