खटीमा: भले ही रोजगार की तलाश में कई साल पहले उत्तराखंड को छोड़ मुंबई में बसना पड़ गया हो, लेकिन अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा ने मुंबई में बेहतरीन जीवन जी रहे कैलाश उदय चंद को अपनी मातृ भूमि बनबसा आने को आखिरकार मजबूर कर दिया. कैलाश उदय चंद ने प्रोजेक्ट बियोंड एजुकेशन संस्था को बना बनबसा क्षेत्र में गरीब व जरूरतमंद बच्चों के शैक्षिक उत्थान पर काम करना शुरू कर दिया है.
मुंबई से उत्तराखंड पहुंचे संस्था के संरक्षक कैलाश उदय चंद ने बनबसा व आसपास क्षेत्रों के स्कूलों के उन बच्चों का चयन करना शुरू कर दिया, जो लॉकडाउन व अपने परिवार की निम्न आर्थिक स्थिति के चलते अपनी शिक्षा को जारी नहीं कर पा रहे थे. संस्था द्वारा शारदा इंटरमीडिएट कॉलेज बनबसा के 14 जरूरतमंद बच्चे जिसमें मेघावी, अनाथ, जिनके मां बाप काम नहीं कर सकते ऐसे चुने हुए बच्चों की 6 महीने की कुल 28,500 की राशि स्कूल प्रिंसिपल को दी गई. इस अवसर पर दसवीं कक्षा के टॉप करने वाले बच्चे भारत मेहरा को 1,000 रुपये का नकद पुरस्कार भी संस्था द्वारा दिया गया. संस्था के कार्यक्रम के माध्यम से भरत मेहरा, रिशा बोहरा, अंशु शाह आदि मेघावी छात्रों ने अपनी कामयाबी का राज बच्चों के बीच रखा.
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बनबसा डिग्री कॉलेज के शिक्षक दिनेश गुप्ता ने इस दौरान अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान के कठिन परिश्रम और कैसे उन्हें अपने लक्ष्य में कामयाबी मिली, इन अनुभवों से बच्चों को प्रेरित किया. कैलाश उदय चंद ने बच्चों को अभी से अपनी परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी करने के लिए कहा व अपने गोल बड़े कैसे रखें इस बारे में जोर दिया. उन्होंने उम्मीद जताई कि शारदा इंटर कॉलेज से जल्दी ही स्टेट मेरिट में बच्चे अपना स्थान सुनिश्चित करेंगे. इसके साथ ही संस्था ने प्रयाग बाल विकास अनाथालय के निवेदन पर चकरपुर के एक प्राइवेट स्कूल में बारहवीं में पढ़ रहे विद्यार्थी लोकेश गडकोटी की फीस की तीन हजार की राशि सीधे स्कूल में जमा कराई. उनकी शिक्षा को जारी रखने में अहम भूमिका अदा की.