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अस्पताल में 6 माह से धूल फांक रही जांच मशीनें, मरीजों को हो रही परेशानी - रुद्रपुर डेंगू की स्थिति

सरकारी अस्पताल में विभाग द्वारा 6 महिने पहले 30 लाख रुपये में प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन खरीदी गई थी. यह मशीन अभी तक उपयोग मे नहीं आ पाई है. मशीन को संचालित करने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति तक नहीं की गई है.

उपयोग मे नहीं आ पाई 6 महिने पहले खरीदी गई प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन .
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Published : Oct 11, 2019, 7:12 PM IST

रुद्रपुर: प्रदेश में डेंगू और वायरल फीवर ने तांडव मचाया रखा है. उधम सिंह नगर जिले में भी अब तक 408 डेंगू के मरीज सामने आए है. वहीं, रुद्रपुर स्थित सरकारी अस्पताल में प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन पिछले 6 माह से धूल फांक रही. जिसके चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है.

अस्पताल में मशीन ऑपरेट करने के लिए नहीं कोई तकनीशियन.

बता दें कि जिले में अब तक यह सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं थी. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग द्वारा 6 महीने पहले 30 लाख रुपये की लागत से प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन खरीदी गई थी. लेकिन आलम ये है कि इस मशीन को संचालित करने वाले टेक्निशियन की नियुक्ति तक नहीं की गई और न ही अस्पताल में कोई पैथोलॉजिस्ट है. ऐसे में यह लाखों की मशीन अस्पताल में धूल फांक रही है.

यह भी पढ़ें-कॉर्बेट का नैसर्गिक सौन्दर्य खींच लाया था PM और बेयर ग्रिल्स को यहां, इस बार ये होगा खास

गौरतलब है कि डेंगू ओर वायरल फीवर दोनों ही स्थिति में मरीजों की प्लेटलेट्स गिरनी शुरू हो जाती है. ऐसे में जिले भर में सैकड़ों मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की राय डॉक्टरों द्वारा दी जाती है. लेकिन इन सब के लिए अब मरीज निजी अस्पतालों में मोटा पैसा खर्च करने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें-तीर्थनगरी में एक बार फिर दिखी गजराज की धमक, एम्स गेट पर दिखा विशालकाय हाथी

वहीं, जिला अस्पताल के सीएमएस टीडी रखोलिया का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया गया है, हालांकि, अब तक किसी भी तरह की जानकारी उन्हें नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि आदेश होते ही अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाएगी.

रुद्रपुर: प्रदेश में डेंगू और वायरल फीवर ने तांडव मचाया रखा है. उधम सिंह नगर जिले में भी अब तक 408 डेंगू के मरीज सामने आए है. वहीं, रुद्रपुर स्थित सरकारी अस्पताल में प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन पिछले 6 माह से धूल फांक रही. जिसके चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है.

अस्पताल में मशीन ऑपरेट करने के लिए नहीं कोई तकनीशियन.

बता दें कि जिले में अब तक यह सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं थी. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग द्वारा 6 महीने पहले 30 लाख रुपये की लागत से प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन खरीदी गई थी. लेकिन आलम ये है कि इस मशीन को संचालित करने वाले टेक्निशियन की नियुक्ति तक नहीं की गई और न ही अस्पताल में कोई पैथोलॉजिस्ट है. ऐसे में यह लाखों की मशीन अस्पताल में धूल फांक रही है.

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गौरतलब है कि डेंगू ओर वायरल फीवर दोनों ही स्थिति में मरीजों की प्लेटलेट्स गिरनी शुरू हो जाती है. ऐसे में जिले भर में सैकड़ों मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की राय डॉक्टरों द्वारा दी जाती है. लेकिन इन सब के लिए अब मरीज निजी अस्पतालों में मोटा पैसा खर्च करने को मजबूर हैं.

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वहीं, जिला अस्पताल के सीएमएस टीडी रखोलिया का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया गया है, हालांकि, अब तक किसी भी तरह की जानकारी उन्हें नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि आदेश होते ही अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाएगी.

Intro:summry - प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओ का लोग कैसे फायदा उठाये जब प्लेटलेटस सेपरेटर मशीन पिछले 6 माह से धूल फांक रही हो, उधम सिंह नगर जिला मुख्यायल रुद्रपुर के ब्लेड बैंक में कई माह लाखो की मशीन धूल फांक रही है। विभाग द्वारा अब तक मशीन को संचालित करने के लिए ना ही किसी कर्मचारी की नियुक्ति की है और ना ही ट्रेनिग।

एंकर - डेंगू के मरीज ओर वायरल फीवर के मरीजों को चढ़ने वाले प्लेटलेटस की प्लेटलेटस सेपरेटर मशीन उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय में पिछले 6 माह से धूल फांक रही है। ब्लेड बैंक में रखी मशीन को संचालित करने के लिए अब तक किसी भी कर्मचारी को नियुक्त नही किया है। आलम ये है कि अब मरीज निजी अस्पतालों में मोटा पैसा खर्च कर रहे है।


Body:वीओ - प्रदेश में डेंगू ओर वायरल फीवर ने तांडव मचाया हुआ है। उधम सिंह नगर जिले में भी अब तक 408 मरीजो को डेंगू के मरीज सामने आए है। डेंगू ओर वायरल फीवर दोनो ही स्थिति में मरीजो की प्लेटलेटस गिरनी सुरु हो जाती है। ऐसे में जिले भर में सैकड़ों मरीजो को प्लेटलेटस चढ़ाने की राय डाक्टरो द्वारा दी जाती है। जिले में अब तक यह सुविधा सरकारी अस्पताल में नही थी लिहाज विभाग द्वारा ब्लेड बैंक में पिछले 6 माह पूर्व प्लेटलेटस सेपरेटर मशीन को खरीदा गया। लेकिन मशीन को संचालित करने वाले कर्मचारियो की नियुक्ति नही की गई। अब आलम ये है कि ब्लेड बैंक में लगभग 30 लाख की मशीन धूल फांक रही है ओर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में मोटा पैसा खर्च कर रहे है। 6 माह से मशीन खरीद कर रख दी गयी इसके बावजूद ना ही कर्मचारियो को अब तक मशीन चलाने की ट्रेनिग दी गयी है और ना ही पैथोलोजिस्ट तैनात किया गया है। ऐसे में डेंगू ओर वायरल फीवर के मरीजो को निजी अस्पतालों के रुख करना पड़ रहा है। जिसका फायदा निजी अस्पताल वाले खूब उठा रहे है।
वही जब ब्लेड बैक व जिला अस्पताल के सीएमएस से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 6 माह से मशीन ब्लेड बैंक में आ रही है। विभागीय अधिकारियों को कर्मचारियो की ट्रेनिग के लिए पत्राचार किया गया था। लेकिन अब तक किसी भी तरह की जानकारी मुख्यालय से नही मिली है। जिसके बाद पैथोलोजिस्ट की नियुक्ति ओर उसके बाद लाइसेंस के लिए अप्लाई किया जाएगा। जिसके बाद ही प्लेटलेटस सेपरेटर मशीन को चलाया जाएगा। उन्होंने बताया विभाग के आदेश के बाद कर्मचारियो को 6 माह की ट्रेनिग ओर फिर लाइसेंस के लिए देहरादून ओर दिल्ली में अप्लाई करना होगा। मशीन को संचालित करने में कुछ वक्त ओर लगेगा।

बाइट - टीडी रखोलिया, सीएमएस, जिला अस्पताल।


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