रुद्रपुर: सोयाबीन के किसानों के लिए पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा दो नई प्रजाति ईजाद की हैं, जिसमें से पन्त 25 उत्तर हिमालयी क्षेत्रों के लिए जबकि, पन्त 26 उत्तर मैदानी इलाकों के लिए विकसित की गई है. दोनों ही फसलों में 10 से 15 फीसदी अधिक उत्पादन हो सकता है. दोनों ही प्रजातियों को केंद्रीय समिति ने जारी कर दिया है.
भारत सरकार के सपनों को पंख लगाने और किसानों की आय को बढ़ाने को लेकर पन्त कृषि विश्वविद्यालय ने एक कदम और आगे बढ़ाया है. कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग सोयाबीन की प्रजातियों को विकसित किया है. जिसमें से एक प्रजाति पहाड़ों के किसानों व दूसरी प्रजाति मैदानी इलाकों के लिए तैयार की है.
इसकी खासियत यह है कि यह अन्य सोयाबीन की प्रजातियों से लम्बे पौधे होते हैं, जिस कारण इन पौधों में रोगों लगने की संभावना भी कम हो जाती है. किसानों को इसकी फसल से प्रत्येक हेक्टेयर में सोयाबीन की अन्य प्रजातियों से 10 से 15 फीसदी यानी कि 30 से 35 कुंटल सोयाबीन की फसल का उत्पादन मिल सकता है.
वैज्ञानिकों की टीम अब तक सोयाबीन की 26 प्रजातियों को विकसित कर चुके हैं. सोयाबीन में शोध कर रहे डॉ कामेंद्र सिंह ने बताया कि पन्त सोयाबीन 25 ओर 26 दो अलग-अलग प्रजाति को वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.
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इसकी खासियत यह है कि प्रत्येक हेक्टेयर में यह अन्य सोयाबीन की फसलों से 10 से 15 फीसदी अधिक उत्पादन किया जा सकता है इसके साथ ही इसके पौधों में रोग क्षमता अधिक है जिस कारण सोयाबीन में लगने वाली बीमारियों का इस पर कम असर देखने को मिलता है. दोनों ही प्रजातियों को केंद्रीय समिति ने पास भी कर दिया है.अब किसान इस प्रजाति की सोयाबीन उगा कर अपनी आय को बढ़ा सकता है.