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डायबिटीज है तो नो टेंशन, इस पौधे से कंट्रोल होगा शुगर लेवल

डायबिटीज की बीमारी से अगर आप परेशान हैं तो ये खबर आपके लिए है. अब आप महज एक पौधे के रोजाना इस्तेमाल से अपना शुगर लेवल कंट्रोल कर सकते हैं. दरअसल, हल्दी बायोटेक के वैज्ञानिकों ने इस चमत्कारी पौधे की नर्सरी तैयार की है. देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.

डायबिटीज की बीमारी के लिए ये पौधा है रामबाण इलाज
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Published : Mar 9, 2019, 3:00 PM IST

रुद्रपुर: भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में मधुमेह के मरीजों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा होता जा रहा है. विश्व में 70 फीसदी लोग डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं. ऐसे में लगातार अंग्रेजी दवाओं के सेवन से मरीजों के शरीर को भी नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन उत्तराखंड के बायोटेक पंतनगर वैज्ञानिकों ने डायबिटीज का प्राकृतिक उपचार ढूंढ निकाला है.

पंतनगर के वैज्ञानिकों की टीम ने शुगर लेवल नियंत्रण करने वाले एक पौधे की नर्सरी तैयार की है. वैज्ञानिकों की मानें तो इसके रोजाना इस्तेमाल से 200 से 300 लेवल के शुगर को सामान्य बनाया जा सकता है. इसके लिए आपको सिर्फ सुबह और शाम दो पत्तों को खाना होगा.

वैज्ञानिकों ने बताया कि अंडमान निकोबार, ग्रेटर सुंडा और मलाई द्वीप समूह में पाये जाने वाला कोस्ट सी प्रजाति के परिवार के कोस्टस स्पीशीज प्रजाति के पौधे तैयार की जा रही है. जैव प्रौद्योगिकी परिषद के सहायक निदेशक अमित पुरोहित ने बताया कि कोस्ट सी के पौधे की देशभर में 175 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से दो प्रजाति ऐसी हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं

अमित पुरोहित ने बताया कि दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में इसकी व्यवसायिक खेती की जाती है. इस पौधे को औषधि के अलावा सजावट के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. परिषद के सहायक निदेशक ने बताया कि डायबिटीज के अलावा खांसी, जुखाम, पेट के कीड़े, त्वचा संक्रमण, आखों का संक्रमण, दमा, गठिया बीमारियों में भी ये पौधा लाभदायक है.
उत्तराखंड बायोटेक के वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी पंतनगर में इसकी नर्सरी तैयार की जा रही है. वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड की जलवायु इस प्रजाति के पौधे के अनुकूल है. पहाड़ के किसान इस औषधीय पौधे की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

वहीं, बायोटेक के वैज्ञानिक सुमित ने बताया कि डायबिटीज को खत्म करने वाले इस पौधे के पत्ते का स्वाद खट्टा-मीठा होता है. इसलिए इसका इस्तेमाल चटनी बनाने में भी किया जा सकता है. जैसे-जैसे सूबे में इस पौधे की डिमांड बढ़ेगी तो इसे टिश्यू कल्चर से तैयार किया जाएगा. वैज्ञानिकों की टीम अभी इसके पत्तों से प्रोडक्ट बनाने का भी प्रयास कर रही है.
बहरहाल, औषधीय गुणों से भरपूर कोस्ट सी स्पीशीयस प्रजाति का ये पौधा डायबिटीज को कंट्रोल करने में कितना सहायक होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. बावजूद इसके उत्तराखंड के किसानों और मधुमेह के मरीजों के लिए कोस्ट सी स्पीशीज प्रजाति का पौधा राम बाण साबित हो सकता है.

रुद्रपुर: भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में मधुमेह के मरीजों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा होता जा रहा है. विश्व में 70 फीसदी लोग डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं. ऐसे में लगातार अंग्रेजी दवाओं के सेवन से मरीजों के शरीर को भी नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन उत्तराखंड के बायोटेक पंतनगर वैज्ञानिकों ने डायबिटीज का प्राकृतिक उपचार ढूंढ निकाला है.

पंतनगर के वैज्ञानिकों की टीम ने शुगर लेवल नियंत्रण करने वाले एक पौधे की नर्सरी तैयार की है. वैज्ञानिकों की मानें तो इसके रोजाना इस्तेमाल से 200 से 300 लेवल के शुगर को सामान्य बनाया जा सकता है. इसके लिए आपको सिर्फ सुबह और शाम दो पत्तों को खाना होगा.

वैज्ञानिकों ने बताया कि अंडमान निकोबार, ग्रेटर सुंडा और मलाई द्वीप समूह में पाये जाने वाला कोस्ट सी प्रजाति के परिवार के कोस्टस स्पीशीज प्रजाति के पौधे तैयार की जा रही है. जैव प्रौद्योगिकी परिषद के सहायक निदेशक अमित पुरोहित ने बताया कि कोस्ट सी के पौधे की देशभर में 175 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से दो प्रजाति ऐसी हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं

अमित पुरोहित ने बताया कि दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में इसकी व्यवसायिक खेती की जाती है. इस पौधे को औषधि के अलावा सजावट के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. परिषद के सहायक निदेशक ने बताया कि डायबिटीज के अलावा खांसी, जुखाम, पेट के कीड़े, त्वचा संक्रमण, आखों का संक्रमण, दमा, गठिया बीमारियों में भी ये पौधा लाभदायक है.
उत्तराखंड बायोटेक के वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी पंतनगर में इसकी नर्सरी तैयार की जा रही है. वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड की जलवायु इस प्रजाति के पौधे के अनुकूल है. पहाड़ के किसान इस औषधीय पौधे की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

वहीं, बायोटेक के वैज्ञानिक सुमित ने बताया कि डायबिटीज को खत्म करने वाले इस पौधे के पत्ते का स्वाद खट्टा-मीठा होता है. इसलिए इसका इस्तेमाल चटनी बनाने में भी किया जा सकता है. जैसे-जैसे सूबे में इस पौधे की डिमांड बढ़ेगी तो इसे टिश्यू कल्चर से तैयार किया जाएगा. वैज्ञानिकों की टीम अभी इसके पत्तों से प्रोडक्ट बनाने का भी प्रयास कर रही है.
बहरहाल, औषधीय गुणों से भरपूर कोस्ट सी स्पीशीयस प्रजाति का ये पौधा डायबिटीज को कंट्रोल करने में कितना सहायक होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. बावजूद इसके उत्तराखंड के किसानों और मधुमेह के मरीजों के लिए कोस्ट सी स्पीशीज प्रजाति का पौधा राम बाण साबित हो सकता है.

Intro:एंकर - अगर आप सुगर की बीमारी से ग्रषित है तो ये खबर आप के लिए है। हल्दीबायोटेक के वैज्ञानिकों ने ऐसे पौधे की नर्सरी तैयारी कर है जिसके रोज़ाना इस्तेमाल से 200 से 300 लेबल के सुगर को सामान्य बनाया जा सकता है। जिसके लिए आपको सिर्फ सुबह और शाम दो पत्ते चबा कर खाने है। देखिए हमारी खास रिपोर्ट।


Body:वीओ - भारत ही नही विश्व आज सुगर के मरीजो से भरा पड़ा है विश्व मे 70 फीसदी लोगो को सुगर की बीमारी है ऐसे में लगातार अंग्रेजी दवाओं के प्रयोग से शरीर को भी नुकसान पहुच रहा है। उत्तराखंड बायोटेक पन्तनगर के वैज्ञानिक और उनकी टीम द्वारा ऐसे पौधे की नर्सरी तैयार की जारही है जिसके प्रयोग से सुगर को खत्म किया जा सकता है। अंडमान निकोबार, ग्रेटर सुंडा और मलाई द्वीप समूह में पाए जाने वाला कोस्टसी प्रजाति के परिवार के कोस्टस स्पीशीयस प्रजाति के पौधे की खेप तैयार की जा रही है। कोस्टसी के पौधे देश भर में 175 प्रजातियां के रूप में आद्र उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रो में पाया जाता है। जिसमे से दो प्रजाति ऐसी है जो औषधिय गुणों से भरपूर है। दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में इसकी खेती व्यसायिक औषधीय के रूप में की जाती है। इसके साथ साथ इसका उपयोग सजावट के लिए भी किया जाता है। सुगर के साथ साथ इसका उपयोग खासी, जुखाम, पेट के कीड़े,त्वचा संक्रमण, आखों का संक्रमण,दमा, गठिया सहित तमाम बीमारियों में इसका प्रयोग किया जाता है। उत्तराखंड बायोटेक के वैज्ञानिको द्वारा हल्दी पन्तनगर में इसकी नर्सरी तैयार की जा रही है। वैज्ञानिकों की माने तो उत्तराखण्ड की जलवायु इस प्रजाति के अनुकूल है। पहाड़ के किसानों द्वारा इसकी खेती कर अपनी आय बड़ा सकते है। बायोटेक के सहायक निदेशक कि माने तो पहाड़ के किसानों द्वारा इसकी खेती करने से उनकी आय तो बढ़ेगी ही साथ ही बन्दर ओर वन्यजीवों से भी निजाद मिलेगा।

बाइट - अमित पुरोहित, सहायक निदेशक।

वीओ - बायोटेक के वैज्ञानिक सुमित की माने तो इसके पत्तो के रोज़ाना स्तेमाल से सुगर को खत्म किया जा सकता है। इसके पत्ते का स्वाद खट्टा मीठा होने के कारण चटनी बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे जैसे इसकी डिमांड बढ़ेगी वैसे वैसे इसकी पौध को टिशू कल्चर से तैयार किया जाएगा। टीम अभी इसके पत्तों से प्रोडक्ट बनाने के प्रयास कर रही है।

बाइट - सुमित पुरोहित, वैज्ञानिक बायोटेक हल्दी।


Conclusion:वीओ - औषधी गुणों से भरपूर कोस्टस स्पीशीयस प्रजाति का पौधा सुगर को कंट्रोल करने में कितना सहायक होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएग, बावजूद इसके उत्तराखंड के किसानों और सुगर के मरीजो के लिए कोस्टस स्पीशीयस प्रजाति का पौधा राम बाण साबित हो सकता है।

राकेश रावत ईटीवी भारत रुद्रपुर।
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