खटीमाः 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देश के 42 वीर सीआरपीएफ जवानों ने देश रक्षा में अपनी शहादत दी थी. देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों में उत्तराखंड के खटीमा का लाल वीर शहीद वीरेंद्र सिंह राणा भी था. पुलवामा शहादत के एक साल बाद क्या है शहीद के परिवार का हाल? शहादत के समय सरकार द्वारा शहीद के परिवार से किए गए वादों में सरकार कितना खरा उतरी? क्या है शहीद वीरेंद्र सिंह के परिवार का हाल, देखें इस खास रिपोर्ट में.
14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को आज भी देश भूल नहीं पाया है. इस आतंकी हमले में भारत ने जहां देश के 42 वीर सीआरपीएफ जवानों को खोया था. वहीं इन शहीद जवानों में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा तहसील स्थित मोहम्मदपुर भुड़िया गांव निवासी शहीद वीरेंद्र सिंह राणा भी थे, जो इस आतंकी हमले में शहीद हुए थे.
इस आतंकी हमले ने शहीद वीरेंद्र सिंह के परिवार से बहुत कुछ एक झटके में छीन लिया. शहीद की पांच साल की बेटी रूही व ढाई साल के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया था. इस एक साल में वीरेंद्र की शहादत के बाद परिवार ने खुद को संभालने की कोशिश की है. वीरेंद्र की पत्नी रेणु राणा को उत्तराखंड सरकार की तरफ से तहसील खटीमा में चतुर्थ श्रेणी पद पर नौकरी मिली है. जहां पर नौकरी कर शहीद की पत्नी अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहीं हैं.
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शहीद वीरेंद्र की याद में एक साल बाद भी शहीद की पत्नी रेणू कभी सिसक उठती हैं तो कभी पति की शहादत पर गर्व करती हैं. इस सबके बावजूद इस वीर वीरांगना का दिल तब छलनी हो जाता है जब उसके मासूम बच्चे अपने पिता के कब घर आने का सवाल पूछते रहते हैं. रेणू सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाती हैं.
वहीं, बूढ़े हो चुके शहीद वीरेंद्र सिंह के पिता अपनी बहू की नौकरी के बाद अपने बड़े बेटे के साथ गांव में ही रह रहे हैं. शहीद के पिता नानक सागर से शहीद के गांव तक सड़क के एक साल बाद भी जर्जर होने से दुखी हैं. उनके अनुसार सरकार ने न तो शहीद के नाम पर गांव की सड़क का निर्माण कराया, न ही गांव में शहीद द्वार और न ही आज तक शहीद वीरेंद्र सिंह राणा की मूर्ति लग पाई है.
शहीद वीरेंद्र सिंह राणा की शहादत के बाद उनके गांव मोहम्मदपुर भुड़िया के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का नाम सरकार ने शहीद वीरेंद्र राणा के नाम पर कर दिया था. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे शहीद वीरेंद्र सिंह राणा की शहादत पर गर्व करते हैं और बड़े होकर फौज में भर्ती होने की बात भी करते हैं.
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर उत्तराखंड के लाल शहीद वीरेंद्र सिंह राणा के गांव को जाने वाली जर्जर सड़क आज भी बनने का इंतजार कर रही है. शहीद का परिवार आज भी ये सवाल पूछता है कि सरकार अपने वादे के एक साल बाद भी सड़क क्यों नहीं बना पाई?