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काशीपुर नगर निगम की बोर्ड बैठक में छाया लाइसेंस शुल्क का मुद्दा, पार्षदों का विरोध भी दिखा - मेयर ऊषा चौधरी

काशीपर नगर निगम में बोर्ड बैठक में लाइसेंस शुल्क और वसूली का मुद्दा छाया रहा. जिस पर मेयर उषा चौधरी ने लाइसेंस शुल्क फाइनल नहीं होने की बात कही.

काशीपुर नगर निगम बोर्ड बैठक
kashipur municipal corporation
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Published : Jul 19, 2021, 10:37 PM IST

काशीपुरः उधमसिंह नगर के काशीपर नगर निगम में बोर्ड बैठक आयोजित की गई. बैठक के एजेंडे में कर अनुभाग की ओर से 189 ट्रेड पर लाइसेंस शुल्क लगाने को लेकर चर्चा होनी थी, लेकिन कई ट्रेड पर कम लाइसेंस शुल्क तो कई ट्रेड पर औचित्यहीन लाइसेंस शुल्क लगाने को लेकर पार्षदों ने विरोध जताया. पार्षदों का कहना है जो ट्रेड अधिक आय कर रहे हैं, उन पर लाइसेंस शुल्क बढ़ाया जाए न कि छोटे ट्रेड से लाइसेंस शुल्क वसूला जाए.

नगर निगम सभागार में आयोजित बैठक में प्रस्तावित एजेंडे पर मेयर ऊषा चौधरी, नगर आयुक्त आकांक्षा वर्मा व एसएनए आलोक उनियाल की मौजूदगी चर्चा शुरू हुई. इस दौरान कर अधीक्षक संजय मेहरोत्रा ने सदन को बताया कि कर अनुभाग में ‌वर्ष 1998 में बने वार्षिक लाइसेंस शुल्क में संशोधन करके अब 189 ट्रेड पर लाइसेंस शुल्क लगाया जा रहा है. जिसे सदन की ओर से अनुमोदन करना है.

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बैठक में कर अधीक्षक मेहरोत्रा ने सदन को बताया कि होटल व नर्सिंग होम्स में बैड के मुताबिक वार्षिक लाइसेंस शुल्क लगाया जा रहा है, लेकिन इसी दौरान कई कर अधीक्षकों की ओर से होटलों, रेस्टोरेंट, ढाबों, खानपान के ठेलों व अस्पतालों पर कैटेगरी के मुताबिक लाइसेंस शुल्क निर्धारित नहीं करने का विरोध जताया. उनका कहना है कि कई होटल व अस्पताल लोगों से काफी अधिक वसूली करते हैं, उसके मुताबिक लाइसेंस शुल्क काफी कम है.

वहीं, सभी मेडिकल स्टोरों को एक श्रेणी में रखा गया. जिस पर पार्षदों ने कहा कि नर्सिंग होम के मेडिकल स्टोर की अधिक आमदनी होती है तो मुख्य सड़क के मेडिकल स्टोर और गली-मोहल्ले के मेडिकल स्टोर की अलग-अलग आमदनी होती है. इसलिए कैटेगरी के मुताबिक ही लाइसेंस शुल्क घटाया और बढ़ाया जाए.

स्कूलों, कोचिंग सेंटर, जिम पर लगाए गए लाइसेंस शुल्क पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कुछ लोग काफी अधिक फीस ले रहे हैं और बच्चे भी काफी ज्यादा हैं तो इसकी भी कैटेगरी बनाई जाए. एक सामान लाइसेंस शुल्क लगाना न्यायोचित नहीं है.

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वहीं, पार्षदों ने कई ट्रेड पर लगाए गए लाइसेंस शुल्क को सिरे से नकारते हुए रद्द करने को कहा. जिस पर मेयर ने कहा कि यह लाइसेंस शुल्क फाइनल नहीं हुआ है. अभी इस पर आपत्ति आएगी, उसके बाद इसे फाइनल बनाया जाएगा और अगले साल से नया लाइसेंस शुल्क लागू हो पाएगा.

उधर, निगम क्षेत्र में विभिन्न दिनों पर लगने वाले हाट बाजारों पर बोर्ड बैठक में पार्षद दीपक कांडपाल ने इनके ठेकदारों की ओर से बकाया शुल्क जमा नहीं करने पर सवाल उठाया. जिस पर मेयर ऊषा चौधरी ने कर अधिकारी संजय मेहरोत्रा से इस पर जवाब मांगा. तब कर अधीक्षक मेहरोत्रा ने बताया कि चार प्रमुख बाजारों का निगम पर 12 लाख से ज्यादा की रकम बकाया चल रही है. उक्त ठेकेदार बिना भुगतान किए हाट बाजार लगा रहे हैं.

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मेयर ऊषा चौधरी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जब तक इन हाट बाजारों का पुराना बकाया निगम को नहीं चुकाया जाता, तब तक किसी हाल में यह हाट बाजार नहीं लगने दिया जाए. वहीं, मेयर ऊषा ने इस मामले पर कहा कि सभी बाजारों के चिह्नित स्थानों का फिर से सर्वे कराया जाए. जिससे निगम की अपनी जमीन पर ऐसे बाजारों को लगाने पर जोर दिया जाए. इसके लिए अलग से गाइडलाइन बनाई जाए.

काशीपुरः उधमसिंह नगर के काशीपर नगर निगम में बोर्ड बैठक आयोजित की गई. बैठक के एजेंडे में कर अनुभाग की ओर से 189 ट्रेड पर लाइसेंस शुल्क लगाने को लेकर चर्चा होनी थी, लेकिन कई ट्रेड पर कम लाइसेंस शुल्क तो कई ट्रेड पर औचित्यहीन लाइसेंस शुल्क लगाने को लेकर पार्षदों ने विरोध जताया. पार्षदों का कहना है जो ट्रेड अधिक आय कर रहे हैं, उन पर लाइसेंस शुल्क बढ़ाया जाए न कि छोटे ट्रेड से लाइसेंस शुल्क वसूला जाए.

नगर निगम सभागार में आयोजित बैठक में प्रस्तावित एजेंडे पर मेयर ऊषा चौधरी, नगर आयुक्त आकांक्षा वर्मा व एसएनए आलोक उनियाल की मौजूदगी चर्चा शुरू हुई. इस दौरान कर अधीक्षक संजय मेहरोत्रा ने सदन को बताया कि कर अनुभाग में ‌वर्ष 1998 में बने वार्षिक लाइसेंस शुल्क में संशोधन करके अब 189 ट्रेड पर लाइसेंस शुल्क लगाया जा रहा है. जिसे सदन की ओर से अनुमोदन करना है.

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बैठक में कर अधीक्षक मेहरोत्रा ने सदन को बताया कि होटल व नर्सिंग होम्स में बैड के मुताबिक वार्षिक लाइसेंस शुल्क लगाया जा रहा है, लेकिन इसी दौरान कई कर अधीक्षकों की ओर से होटलों, रेस्टोरेंट, ढाबों, खानपान के ठेलों व अस्पतालों पर कैटेगरी के मुताबिक लाइसेंस शुल्क निर्धारित नहीं करने का विरोध जताया. उनका कहना है कि कई होटल व अस्पताल लोगों से काफी अधिक वसूली करते हैं, उसके मुताबिक लाइसेंस शुल्क काफी कम है.

वहीं, सभी मेडिकल स्टोरों को एक श्रेणी में रखा गया. जिस पर पार्षदों ने कहा कि नर्सिंग होम के मेडिकल स्टोर की अधिक आमदनी होती है तो मुख्य सड़क के मेडिकल स्टोर और गली-मोहल्ले के मेडिकल स्टोर की अलग-अलग आमदनी होती है. इसलिए कैटेगरी के मुताबिक ही लाइसेंस शुल्क घटाया और बढ़ाया जाए.

स्कूलों, कोचिंग सेंटर, जिम पर लगाए गए लाइसेंस शुल्क पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कुछ लोग काफी अधिक फीस ले रहे हैं और बच्चे भी काफी ज्यादा हैं तो इसकी भी कैटेगरी बनाई जाए. एक सामान लाइसेंस शुल्क लगाना न्यायोचित नहीं है.

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उधर, निगम क्षेत्र में विभिन्न दिनों पर लगने वाले हाट बाजारों पर बोर्ड बैठक में पार्षद दीपक कांडपाल ने इनके ठेकदारों की ओर से बकाया शुल्क जमा नहीं करने पर सवाल उठाया. जिस पर मेयर ऊषा चौधरी ने कर अधिकारी संजय मेहरोत्रा से इस पर जवाब मांगा. तब कर अधीक्षक मेहरोत्रा ने बताया कि चार प्रमुख बाजारों का निगम पर 12 लाख से ज्यादा की रकम बकाया चल रही है. उक्त ठेकेदार बिना भुगतान किए हाट बाजार लगा रहे हैं.

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मेयर ऊषा चौधरी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जब तक इन हाट बाजारों का पुराना बकाया निगम को नहीं चुकाया जाता, तब तक किसी हाल में यह हाट बाजार नहीं लगने दिया जाए. वहीं, मेयर ऊषा ने इस मामले पर कहा कि सभी बाजारों के चिह्नित स्थानों का फिर से सर्वे कराया जाए. जिससे निगम की अपनी जमीन पर ऐसे बाजारों को लगाने पर जोर दिया जाए. इसके लिए अलग से गाइडलाइन बनाई जाए.

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